Wednesday, July 29, 2009

बालकविता - गजेन्द्र ठाकुर

बाल-कविता
ट्रेनक गाड़ी
छुक छुक छुक
भरल सवारी
ट्रेनक गाड़ी

पोखरि गाछी
दौगल जाइ छी

ट्रेन गाड़ी
ठाढ़ सवारी
पोखरि गाछी
दौगल जाइ छी!!

ट्रेन गाड़ी धारक कातमे
आएल स्टेशन छुटल बातमे
ट्रेन चलल दौगल भरि राति
सुतल गाछ बृच्छ भेल परात


के छथि
के छथि जिनकर हस्त-रेखमे
अछि परिश्रमसँ बढ़ब लिखल
के छथि जिनका ललाट मध्य
परिश्रमक गाथा रहैछ सकल

जे छथि सुस्त तकरे चमकैत
अछि हाथक रेखा बुझू सखा
जिनका घाम नहि खसन्हि
छन्हि ललाट चमकैत नहि बेजाए

राजा श्री अनुरन्वज सिंह
एक सुरमे बाजि देखाऊ नहि अरुनन्वन नहि सिंह पूरा एकहि बेर सुनाऊ राजा श्री अनुरन्वज सिंह


सूतल
सूतल धरती
सूतल आकाश
सूति गेल चिड़ै
सूतल गाछ-पात
सूतल बौआ
सूतल बुच्ची
सूतल बाबा
सूतल बाबी
सूतल चन्द मामा आब
सूतू-सूतू बौआ
उठबाक अछि
भोरे-सकाल

अखण्ड भारत
धीर वीर छी मातु बेर की
अबेर होइत सङ्कल्पक क्षण ई
बुद्धि वर्चसि पर्जन्य बरिसथि
सभा बिच वाक् निकसथि
औषधीक बूटी पाकए यथेष्ठा
अलभ्य लभ्यक योग रक्षा

आगाँ निश्चयेण कार्यक क्रमक
पराभव होए सभ शत्रु सभक
वृद्धि बुद्धिक होअए नाश शत्रुत्वक
मित्रक उदय होअए भरि जगत

नगर चालन करथि स्त्रीगण
कृषि सुफल होअए करू प्रयत्न
वृक्ष-जन्तुक संग बढि आब
ठाढ होऊ नहि भारत भेल साँझ
दोमू वर्चसिक गाछ झहराऊ पाकल फलानि
नञि सोचबाक अनुकरणक अछि बेर प्राणी

वर्चस्व अखण्ड भरतक मनसिक जगतमे
पूर्ण होएत मनोरथ सभक क्यो छुटत नञि

मोनक जड़िमे
पंक्त्तिबद्ध पुनः किञ्च नञि जानि किए सेजल
मोनक जड़िमे राखल सतत कार्यक क्रम भेटल

पर्वत शिखर सोझाँ अबैत हियाऊ गमाबथि
बल घटल जेकर पार दुःखक सागर करैत
करबाक सिद्धि सोझाँ छथि जे क्यो विकल
भोथलाइत प्यासल अरण्यपथ मे हँ बेकल

मोनक जड़िमे राखल सतत कार्यक क्रम भेटल
पंक्त्तिबद्ध पुनः किञ्च नञि जानि किए सेजल

हाथ दए तीर आनि दए करोँट तखन तत
मनसिक अन्हारक मध्य विचरणहि सतत
प्रकाशक ओतए कए उत्पत्ति ठामहि तखन
विपत्तिक पड़ल क्यो आब नञि होएत अबल

मोनक जड़िमे राखल सतत कार्यक क्रम भेटल
पंक्त्तिबद्ध कए पुनः किञ्च जानि किए सेजल

करबाक अछि लोक कल्याणक मन वचन कर्महि
नञि अछि अपन अभिमान छोड़ब अधः पथ ई
घुरत अभिमान देशक तखन अभिमानी हमहुँ छी
नञि तँ फुसियेक अभिमान लए करब पुनः की

मोनक जड़िमे राखल सतत कार्यक क्रमक ई
पंक्त्तिबद्ध पुनः किञ्च जानि कए सेजल छी

पुनः स्मृति
बितल बर्ख बितल युग
बितल सहस्राब्दि आब
मोन पाड़ि थाकल की
होयत स्मृतिक शाप

वैह पुनः पुनः घटित
हारि हमर विजय ओकर
नहि लेलहुँ पाठ कोनो
स्मृतिसँ पुनः पुनः

सभक योग यावत नहि
होएत गए सम्मिलन
हारि हमर विजय ओकर
होएत कखनहु नहि बन्द

कलम गाछी
सौँसे गमकैत
फूल निकलैत पात
सभ जाइ गेल इसकूल
तखने बहल बसात

आमक गाछक पात
कीड़ा छल लागल
घोरनक छल ई प्रताप
घोरन छत्ता बला पात
चुट्टी लाल लाल
जखन बहल बसात

हाथीक मुँहमे लागल पाइप
बानर सोचलक की ?
जीतए-ए ई हाथी
एहि होलीमे हमहूँ
मुँह लगाएब पाइप

पाइप लगओने हाफी
भरि रंग ओ बानर
रहए करैत इन्तजारी

आँखि लागलए ओकर
नाकमे भेलए सुरसरी
आऽऽऽछी
खसल रंग भरल पाइप सद्यहि

बानर राजा
सिँह राजसँ भेल पीड़ित वन-जन एलेक्शन करायल मिलि सभ क्यो संख्या वानरक हरिण मिला कय छल बेशी से राजा भेल बानर जो !
सिंहराजकेँ तामस अयलन्हि खा गेल हरिणराजक बच्चा एकदिन
दाबीसँ हरिण गेल सम्मुख वानर राजा कहलन्हि- बदमाशी अछि सिंहक कहि निकलि गेल जंगल बिच्चहि

गाछक डारि पकड़ि छिप्पी धरि खूब मचेलक धूम

तामसे विख भय सिंहराज खएलक बच्चा सभटा मृगराजक चुनि जखन सुनाओल जाय वनराजकेँ फेर वैह धूम ओ फेर मचाओल
मृगराज कहल हे नृप एहि हरकंपसँ की होयत ? जीवित होएत की हमर संतान?

कहल नृप कहू भाय हम्मर मेहनतिमे अछि की कमजोरी करल प्रयास हम भरिसक मुदा बुझू हमरो मजबूरी !

चिड़ियाखाना
चिड़ियाखाना
भालू मामा
बन्दर मामा
लुक्खी
खिखीर
कौआ कुचरए
आएत क्यो घर

मुरगाक कुकड़ू-कू
अंडा मुरगामे पैसल
मुरगा अंडासँ निकलल !

टिकली रंग-बिरंगक
खूब घुमए उड़ै अछि
टिकली पाँखि पसारल
फूलक रंग बुझाइए


जमबोनी
जमबोनीक जोम
पसरल
जोम रंग चारूकात
पीचल पिसीमाल
एत्तेक ऊँच गाछ
दोमब मुदा अछि बड्ड ऊँच
बोन सुपारी तोड़ि चली घुरि

बौआ ठेहुनिया मारि
बौआ ठेहुनिया मारि
भेल सोझ भए ठाढ़
लकड़ीक तिनपहिया
देलक बाबू आनि
पहिनहि भए गेल ठाढ़
पकड़ि की होएत आब!

ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
कैरियर बला साइकिल
बाबू आनल कीनि

ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
बिन कैरियरक साइकिल
नहि कोनो काजक ईह !

ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
बैस बैस बैस
कैरियरपर आबि

ट्रिंग-ट्रिंग-ट्रिंग
पैडल पर पएर
सभ रस्ता दैह !

भोरक बसात
भोरक बसात
उठू-उठू बुच्ची
भेल प्रात
रातिमे सभटा सुन्न
भोरमे चिड़ै-चुनमुन

फूलक गाछ
भोरक बसात
भरल नव फूलसँ
भेल प्रात

छाहक करतब
छाहक करतब
दुपहरियामे छोट
रौदक तीव्रतामे मरैत
साँझक रौद शीतल
छाह हँसैए
होइए पैघ


कर जोरि करैए प्रणाम
“छाह भाए
छह तोँ पैघ”

सपना
आइ देखल सपना
घर आएल बौआ
असगर छी ढहनाइत
बौआ संगे खेलाएब

माएक भेलैक बहन्ना !
हम्मर झोरा-झपटा
बिनु सरियेने जाथि

हम कहलियै देरी
तैयार करबएमे
किऐ करैछी अहाँ

माए कहैए
उठलहुँ देरीसँ अहाँ
उनटे हमरा कहए छी ?
स्कूलमे होमए दियौ ने देरी !


कोइरीक कूकू
कोइरीक कूकू
कौआक करड़ब काऊँ
रातिमे गाछीक कीड़ीक स्वर
एहन सन-
“नानी तसला ला- भात पका!”
रातिक रतिचरक जीवन आहा

रातिमे इजोत भगजोगनीक
रातिमे अबैए दिनमे बिलाइए
दिनमे ओकर काजे की?
दोसर रतिचरक स्वर-
“क्वैटीक्विक”
रातिक रतिचरक जीवन ई

शितलपाटी
शितलपाटी हम्मर
पोथी हम्मर मनोहर पोथी
सभटा पढ़ी
साँझक प्रकाश झलफल
नहि एहि बेरमे पढू
बाप रौ बाप
आँखि होएत खराप

मकड़ीक जाल
मकड़ीक जाल
माँछक लेल महाजाल

कीड़ीक फँसब
माछक कूदब
महाजाल खसब
माछक करतब-खेल

मुदा आइ बुझलहुँ
रहए ई जीबाक संघर्ष
जे आइ कए रहल छी हम
एहि दिल्ली नगरियामे

वायुगोलक
वायुगोल बैलून
हरियर पीअर
एहिमे भरि रंग फेकी भाएक मूह
भरि एहिमे आब हाइड्रोजन
बेचै छी बच्चा सभकेँ
उड़बै छथि ओ ऊपर गगनमे

हाथीक सूप सन कान
हाथीक सूपसन कान
पाइप बला मूहसँ भरैए पानि

मुँह नीचाँमे आर
दू टा पैघ दाँत
चकाचक ठाढ़

मोट-मोट एकर पएर
पुच्छी अछि लटकैत
चीन्हि जाइ छियैक एकरा हम
मोट हाथीक धम्मक-धम

छुट्टी
आइ छुट्टी
काल्हि छुट्टी
घूमब-फिरब जाएब गाम
नाना-नानी मामा-मामी
चिड़ै-चुनमुनी सभसँ मिलान

बरखा बुन्नी आएल
मेघ दहोदिस भागल
कारी मेघ उज्जर मेघ
घटा पसरल
चिड़ै-चुनमुनी आएल
आइ छुट्टी
काल्हि छुट्टी
घूमब-फिरब जाएब गाम
नाना-नानी मामा-मामी
चिड़ै-चुनमुनी सभसँ मिलान

बौआ गेल सुनि
एक दू तीन
बौआ गेल सुनि
चारि पाँच छह
सुनि भेल भयावह
सात आठ नौ
गेल भदबरिया भाए
दस एगारह बारह
हमरा आबि उबारह
तेरह चौदह पन्द्रह
होएत आब सलहन्ना
सोलह सतरह आर
भेल भेर इयार
अठारह उन्नैस बीस
आब थाकल ईह
ईह सय हजार
हँ आब आएल तेजी इयार

मिथिला
मथल जतए शत्रुकेँ
मिथिला छल ओ धरती
सभ धकियेलक अपना-अपनी
सभ ठोंठियेलक यौ

जनक जन-विश सभ अप्पन
गुरु-माता-पिता ई तीनू
नहि झुकब छोड़ि ककरो सोझाँ
मुदा अभिमानक धरती छोड़ल
छोड़ल अभिमान ईह
सभ धकियेलक अपना-अपनी
सभ ठोंठियेलक यौ

बादुर सोंस
बादुर बादुर
राडार युक्त ई
बादुर बादुर
पबै-ए भोजन

प्रतिध्वनिक कारण
बचइ-ए कोनो
दुर्घटनासँ
बादुर बादुर
राडार युक्त ई

सोंस-डोलफिन अछि नाम
सोंस-डोलफिन
अबाज निकालए
प्रतिध्वनि आनए
माछक जाल फेकल
बचइ-ए ई बदलि रस्ता
दुर्घटनासँ

बादुर बादुर
राडार युक्त ई
बादुर बादुर
सोंस-डोलफिन
अबाज निकालए
प्रतिध्वनि आनए

की? किए? कोना? के?
की? किए? कोना? के?
गर्मी सँ बरखा
बरखासँ पनिसोखा
बरखामे चाली
चालीसँ माटि
चाली बिन पएरक

माटिसँ घास
घास खाए गाए
गाएसँ दूध
बौआ पीबू
गाएक बाछा
पीबि बहए हर
हरसँ खेत
खेतसँ धान
धानसँ भात
बौआ खाथि

बौआक देह
दूध भात

पानिक भाप
उड़ए अकास
अकाससँ बरखा
बरखासँ चाली
चालीसँ माटि
माटिसँ धान
की? किए? कोना? के?

फेर आएल जाड़
फेर आएल जाड़
कड़कराइत अछि हार
बिहारी!!
लागए-ये भेल भोर
गारिसँ फेर शुरू भेल प्रात
बिनु तैय्यारी

आगाँ
सूर्यसँ पूब आ अकाससँ ऊँच
पृथ्वीसँ नीचाँ चिन्तन करू अछि की?

अपन घर-गामक अपन देशक
माता-पिता-गुरुक कर्ज मोन राखि

तामसमे तोड़ब वस्तु नहि कठिन अछि
कोना तोड़लकेँ जोड़ब तकर बाट ताकि

सूर्यसँ पूब आ अकाससँ ऊँच
पृथ्वीसँ नीचाँ चिन्तन करू अछि की?


अंध विश्वास
सुमेरु पर्वतक चारू-कात चेन्ह देखाय कहलक गाइड सर्प केर चेन्ह अछि ई
भेल समुद्र-मंथन एहि पर्वतसँ सर्पक रस्सा अछि चेन्ह छोड़ि गेल चारू-कात तहीसँ

संगी हमर हँसल कहलक कोनो पहाड़ पर जाऊ पहाड़ ऊपर चढ़य लेल गोलाकार रस्ता बनबाऊ

नहि तँ सोझे ऊपर चढ़ब सोझे खसब नीचाँ मुहेँ हओ गाइड तोहूँ विश्वासक छह अंध-काण्ड सुनेबा लए

अभ्यास
पूछल गुरूसँ मृदंगपर हाथक गति भय रहल अछि किएक मंद गुरु कहलन्हि से करू अभ्यास तखन प्रतिदिन
प्रतिदिन तँ करितहि छी हम एकर सदिखन अभ्यास तहुखन हमर घटय अछि गति
आ टूटय अछि लय तात
करू भोर साँझ अहाँ अभ्यास बिना करि नागा भोर करब अभ्यास जखन साँझमे टूटत नहि लय साँझमे करब पुनराभ्यास होयत भोरमे हाथ गतिमय
गुरुसँ पूछल कोना कए एहि चट्टान काटि घोड़ा बनाएब घोटक गतिमय बनबएमे एक मास बेकार लगाओल
कहल गुरू तखन करू कल्पना एहि जड़-पाथरमे घोटक घोड़ा देखि करू प्रहार
जतए लागए घोटक नहि अछि


जतए पाथर बेशी अछि
तोड़ि अहाँ हटाऊ
बनत घोड़ा क्षणहि
घोड़ा चट्टानक बनाऊ

कहल ओ गुरूजी
काज वैह अछि सोचबाक अछि ई फेर पहिने बेशी काज लगैत छल आब थोड़ अछि भेल

आँखिक चश्मा
दादा पहुँचलाह डॉक्टर लग पुछल होइए की बाबा मर्र डॉक्टर अहाँ छी हमहीं बताऊ भेल की हमरा?
औँठासँ कय शुरू बताऊ पहुँचा धरिक समाचार कहल पहिने करू ठीक आँखिकेँ औ सरकार
कोनो चश्मा नहि फिट पड़ल दूरबीनक शीशा जखन लगाओल कहल हँ अछि आब कोनहुना भाखए अक्षर चराचर
सड़ही आम देखि बजलाह बूढ़ भेलहुँ हम अहाँ बुझय छी बच्चा बैलूनसँ खेलायब हम से वयस नहि अछि
अच्छा अच्छा !
यौ दादा ई सड़ही छी हम पड़ि गेल छी सोँचहि सड़ही आम अहाँ कोना देखब चश्माक नंबरे गलत पड़ल अछि

तीने टा अछि ऋतु
पुछल स्कूल किएक नहि अएलहुँ
मास्टर साहेब होइत छल बरखा जाइतहुँ हम छल भीजि
बरखामे जाएब अहाँ भीजि गर्मीमे लागत लू-गर्मी आ जाड़क शीतलहरीमे हार-हाड़ होइत जाएब
सालमे पढ़ाइ-पढए कहिया आएब
बौआ होइत अछि ई तीनियेटा ऋतु


दरिद्र
आठ सय बीघा खेत कतेक पोखरि चास-बास
मुदा कालक गति बेचि बिकनि सभटा केलन्हि समाप्त

झंझारपुरसँ धोती कीनि घुरैत काल देखल माँछ बिकाइत धोती घुरा कए आनल आ कीनल माँछ सुआइद

पूछल कहल हौ माछ ई
काल्हि कतएसँ भेटत धोती तँ जखने पाइ होएत जाएब कीनि लाएब तुरत
दरिद्रताक कारण हुनकर हम आब बूझि गेल छी एक दिनुका गप नहि ई सभ दिनुका चरित्र छी

रौह नहि नैन
हँ यौ नैन अछि ई मुदा शहरक लोक की बुझए सभ ताकैत अछि रौह नैन कहबय तँ क्यो नहि कीनय
छागर खस्सी आ बकरीक अंतर ज्योँ जायब फरिछाबय
बिकायत किछु नहि एहि नगरमे
एहि नगरमे बिनु टाका किछु नहि आबय

जूताक आविष्कार
जखन गड़ल एक काँट राजा कहलक ओछाउ चर्म आ चर्मसँ माटिकेँ छाड़ि कए राजधानी निष्कंटक बनाऊ

जखन सभटा चर्म आनि कए नहि पूर्ण भए सकल ओछाओन एक चर्मकार आओल आ राजाकेँ फरिछाय बुझाओल
पैर बान्हि ली चर्मसँ आकि पृथ्वीकेँ ओहिसँ लए झाँपी निष्कंटक धरती नहि मुदा
मार्ग निष्कंटक होएत गए
जूताक भएल पदार्पण तहिना
राजा प्रसन्न कहल होअए एहिना

बूढ़ वर
कतय छी आयल आइ ?
ताकि रहल छी वर १५-१५ वरखक दूटा अछि कतहु अभड़ल ?
रंग सिलेबी सिंघ मुठिया अदंत तकैत छी आइ से भेटत कहिया ?
१५-१५ केर दू गोटक बदलेन ३० केर भेटत एकटा बाल-विवाहक दिन गेल

रिपेयर
स्कूलक तालाक रिपेयर केलक बिल मोटगर जखन देलक कारीगर पूछल एहि अलमीराक तँ ताला नहि महग छल ?
रिपेयरसँ सस्तमे तँ नव ताला आयत गय
औ बाबू तखन कमीशन अहीं जाय आऊ दऽ

नोकर
फोन कऽ कय घरमे पूछल पूछलन्हि बेटाक अफसर
छथि बेटा घरमे की ?
आकि..

आकि आगू पुछितथि ओ बजलाह दय कय एक धुतकारी
एहि फोनक हम बिल भरैत छी नहि करू अहाँ पुनि बात मैसेज अहाँक देब हम पुत्रकेँ से छी के अहाँ लाट?
नौकर नहि अहाँक ने छी हम अपन पुत्रक कनिया केर टा छी हम नौकर बुझू ई यौ अफसर

क्लासमे अबाज
दुनू दिशक बेंचकेँ उठाकय पुछलन्हि आयल कोन कातसँ अबाज
पकड़ल एक कातकेँ छोड़ल फेर कएल दू फाड़ि
आधक-आध करैत पहुँचलाह फेर लग लक्ष्य
दुइ गोट मध्य जानि नहि सकलाह अबाज केलक कोन वत्स

एस.एम.एस.
कहू एहिमे अहाँ छी सहमत आ की छी अहाँ असहमत दुनू रूपमे दिअ अहाँ अपन विचार कय एस.एम.एस.
आहि कमाऊ अहाँ रुपैय्या हम बूड़ि छी भाइ न्यु टेक्नोलोजी छी ई सभ बुरबक क्यो नहि आइ

टी.टी.
मजिस्ट्रेट चेकिङ भेल बिन टिकट बला वीर सभ भागल
बाधे-बाधे
खेहारलक पुलिस जखन चप्पल छोड़ल ओतय बेसुध तन
मुदा बुरबक लाल एकटा एक चप्पल लेलक उठाय दोसर चप्पल छोड़ि पड़ायल आयल गाम हँफाइत
सभ हँसि पुछलक हौ बाबू एकटा चट्टी लय कय कोन पैरमे पहिरब एकरा दोसर खाली रहत गए

ई बुरबकहा बुरबके रहल हँसि भेर भेल सभ
दोसर दिन बाध सभ गेल
देखल सबहक दुनू चट्टी भेल छल निपत्ता बुरबकहाक एक चट्टिये छल बाँचल नहि लेलक क्यो सोचि करब की एकटा?
मुँह लटकओने सभ घूरल आ नाम बदललक बुरबकहाक टी.टी. बाबूकेँ ई ठकलक नाम होयत सैह एकर आब

खगता
गोर लागि मौसीकेँ निकलल पूछतीह अछि किछु खगता आइ नहि पूछल जखन बैसल फेर ओ तखन
फेर उठल मौसी फेर नहि पुछलखिन्ह ई सोचि जे रहैत नहि छन्हि पाइक काज
जाएब कोना पाइक बड्ड अभाव !

आइ नहि पूछल जखन बैसल फेर ओ तखन

लोक कहैछ आयल छथि खगते ओना दर्शनहुँ दुर्लभ
अहीँ कहू खगतामे क्यो अछि पुछैत
आगूसँ ?
आइ नहि पूछल जखन बैसल फेर ओ तखन

क-ख सँ दर्शन
ट्युशन पढ़बय जाइत छँह इज्जत तँ करैत छौक? जलखै तँ नहिये परञ्च चाहो-पानिक हेतु पुछैत छौह ?
ट्युशन कय खाइत छी की कहलहुँ हे से नहि बाजू द्रोणक नव अवतार छी हम

से छियन्हि कहि देने जाइत देरी करह जलखैक व्यवस्था नहि तँ छी नहि हम द्रोण औठाँक नहि कोनो लालसा

मात्र पढ़ेबन्हि छओ महिना दर्शन नहि होयतन्हि क-ख केर नहि से नहि बाजू खुआ पिया कए केने अछि ढेर

चोरकेँ सिखाबह
यौ काका छी अहाँ खाटकेँ धोकड़ी किएक बनओने खोलि नेवाड़ फेर घोरिकेँ
बनाऊ खाट एखन नवीने
कहलन्हि काका हे हौ देखह आयत रातिमे जे चोर पटकत लाठी खाट पर आ धोकड़ीमे रहने
चोट नहि लागत मोर

परञ्च काका ज्योँ ओ चलबए लाठी नीचाँ बाटे वाह बेटा कहि दिहह चोरकेँ ई गप तोहीँ जा कय

नरक निवारण चतुर्दशी
भुखले भरि दिन दिन बिति गेल नरक निवारण लय हम रहलहुँ साँझमे मंदिर विदा सभ भेल
दुर्गापूजा लगमे आयल सिंगरहार केर चलती भेल माटि काटि गोबरसँ नीपि कय भोरे-भोर फूल लोढ़ि लेल
सरस्वती पूजाक समयमे बैर अशोकक-गाछ-पात गोलीक लेल
बोने-बोन महुआक फरक लेल घूमि-घामि अयलहुँ भेल-भेर

अण्डीक बीया तेलहानीमे दए तरुआ ओकर तेलक खएल
कुण्डली मिरचाइक फरमे अंतर बुझैत-बुझैत दिन कतेक गेल

सुग्गोकेँ ई खोआय रामायण
सुनला कत्तेक दिन भए गेल

नौकरी
नौकरी नहि करी तखन भेटय तनखा तन खायत वेतन भेटत बिना तनहि आब कते बुझायब
गाम घूरि ज्योँ जायब खायब की कमलाक बालू औ गुलाब काका पहिने हमरा ईएह बुझाऊ
भरि दिनका ठेही अछि जाइत जखन जाइत छी सूइत भोर उठला संता अखनहुँ समस्यासँ अछि नहि छूटि

मरकरी डिलाइट
सोझाँसँ त्रिपुण्ड-चानन देने आयल रहथि उदना
देखल गामक प्रवासी जहिना कहल रौ छँ तोँ भाइ उदना
संग कटलहुँ बाँस
आवाजकेँ दबेबा लेल
जड़िमे बान्ही गमछा
आ टेंगारीसँ दू छहमे
काटय छलह तोँ

पुरनाहाक डबरामे
लीढ़क नीचाँ नुका कय
करी संपन्न
काज बिन विघ्न

पश्चात् भेलहुँ प्रवासी मरकरी-डिलाइट दयकेँ तोँ भेलह गामक वासी
पंडितक अकाल छल नहि छलह कोनो कंपीटीशन
भेलहुँ अहाँ औ भजार गामक नव उदयनाचार्य

दीयाबाती
अन्हरिया भगेलक
इजोरिया बजेलक
दीयाबाती हम्मर
तरेगण बजेलक

अकाससँ उतारि
रखलहुँ अप्पन द्वारि

फ्रैक्चर
हॉस्पीटलमे आबाजाही
गामक प्रवासीक बुझैत छलाह जखन समाचार पिताक भर्त्तीक ठामहि दरभङ्गा बस-स्टैंडहिसँ गाम जयबाक बदला आबथि हॉस्पीटल

की केलहुँ शरीरकेँ
नहिये बनेलहुँ जमीन-जत्था बच्चा सभक लेल नहि
राखल दृष्टि यैह व्यथा
की सभ करैत कतय नहि पढ़ैत चण्डाल किए भेलहुँ हे कक्का
ओतहि बैसल छलाह टुटियाँ पिताक समक्ष पहिनहिँ बुझने छलाह जे ककाकेँ छलन्हि भेल फ्रैक्चर
कहल पहिने समाचार तँ पुछिअन्हु चाहो आब अबैत होयत पैर हाथ धोआय अनिहन्हु !
कहल पैर टुटि गेल की कका पिता किछु बजितथि
बजलाह टुटियाँ

होइछ टूटब आ फ्रैक्चर एक्के नहि छलन्हि बूझल से कहल नहि चिंता करैत जाउ भगवान रक्ष रखलन्हि फ्रैक्चरे भेलन्हि
पैर टूटलन्हि नहि बाउ

बापकेँ नोशि नहि भेटलन्हि
यौ बुझलहुँ बुच्चुनक गप्प नहि करैत छी खिधांश
सुनू हम्मर साँच

समयक छलए नहि हमरो अभाव कहल हँ सुनाउ किछु भाषण-भाख

देखि पुछलियैक बुच्चुनकेँ हौ ई की उजरा नाँकसँ सुँघने जाइत छह कहलक काका खोखीँ होइत छल खोखीँक ई दवाइ अछि
औ बाबू बाप मरि गेलैक मोशकिल रहय नौँसि भेटब मुदा देखू बेटा सोँटैत अछि विक्स वेपोरब

नहि करैत छथि खिधांशसुनियन्हु हुनकर साँच


दहेज
ट्रेनमे भेटलन्हि घटक यौ फलना बाबू मुँह देखाबक जोग नहि छोड़ल आगाँ की-की बाजू
शांत बैसू भेल की?
अहाँक अछैत होइत की ? एहि गरीबक पुत्रीक कन्यादान संभव रहए की भाइजी?
औ अहाँ गछि लेलियन्हि भेल कोजगरा द्विरागमनो भेटलन्हि किछुओटा नहि वरागतकेँ कोनोटा इज्जत नहि राखलन्हि ओ
यौ अहूँ हद्द कएलहुँ मोन नहि की-की गछलियन्हि
ओहि सुरमे छलुहुँ बेसुध हँ मे हँ टा मिलेलियन्हि कहैत गेलाह ओ एक पर एक नहि कहि कऽ बुरबकी करितहुँ ? लक्ष्मीपात्र छथि से लक्ष्मी देलियन्हि आबो तँ जान बकसथु
मोटरसायकिल लय की करतथि देहो-दशा ताहि लेले चाही चेनक लेल बेचैन किए छथि
निचेन रहथु अछि बात ई
ताकि रहल छी पुत्रक हेतु तकैत रही अहींक आस औ छलहुँ कतय भाँसल अहाँ यौ घटकराज
कोनो मोटगर असामी आनि करू उद्धार तीनू बेटीक कर्जसँ उबारथि चाही एहन गुणानुरागी

बेचैन नहि निचैन रहू
दौगि-दौगि कय पोस्ट-ऑफिस भेलहुँ जखन अपस्याँत किएक तँ
मनीऑर्डरक छल आस
पुछल एखन धरि अछि नहि आयल मनीऑर्डर यौ प्रभास
चिट्ठीयेक संग पठेने छलथि पाइ चिट्ठी तँ समयेसँ पहुँचल टाका किए नहि बाउ ?
पोस्ट बाबू कए नेने रहथि हुनकर पाइसँ कोनो उद्यम

कहल चिट्ठी अबैत अछि बेटा अछि छट्ठू अहाँक पाइ पठबैत समयसँ तँ पहुँचैत मुदा पठबैत अछि छुच्छे संदेश

बेचैन किए छी की अप्पन उद्यम करब
हम अहाँक टाकासँ से बुझैत छी ?

दोसर गामक पोस्टबाबू फेकैत अछि चिट्ठी कमलाक धारमे हम छी बँटैत तेँ कहैत छी
जे भेटल अछि मात्र संदेश अहाँकेँ

होइ अछि जे हुम लुक्खी नहि छी
देखि हुनका (गारिपढ़ुआकेँ) देबय लागलथि गारि लुक्खीक नाम लय कय सात पुरखाकेँ देलन्हि तारि
ओ अनठेने ठाढ़
बूझल दैत अछि ई लुक्खीकेँ गारि
कहल अन्तमे (गारि पढ़निहार) हौ की छह होइत ? मूँह तँ देखू केहन अछि अप्पन लुक्खी नहि अपनाकेँ छी बुझैत?

थल-थल
कतबो दिन बीतल गद्दा जेकाँ थलथल पट्टी टोलक ओ रस्ता भेल आइ निपत्ता
माटि खसा कय लगा खरंजा पजेबाक दय पंक्ति नव-बच्चा सभ कोना झूलत ओहि गद्दा पर आइ ?
थल-थल करैत ओ रस्ता लोकक शोक कहाँ भेल बंद ? माँ सीते की अहाँ बिलेलहुँ ओहि दरारिमे करैत अंत

क्रिकेट-फील्डिंग
हम बाबा करू की पहिने बॉलिंग आ कि बैटिंग
बॉलिंग कय हम जायब थाकि बैटिंग करि खायब की मारि ?
पहिले दिन तूँ भाँसि गेलह से सुनह ई बात बौआ बैटिंग बॉलिंग छोड़ि-छाड़ि पहिने करह गऽ फील्डिंग हथौआ


मैट्रिक प्लक
हौ सभकेँ सुनलहुँ केने
बी.ए.
एम.ए.
मुदा बुझल नहि छल डिग्री दोसरो होइछ आनो-आनो
आइ एक पकठोस बटुक अछि आयल दलान पर पूछल कोन अंग्रेजिया डिग्री छी लेने मैट्रिक प्लक एहने किछु बाजल
हौ काका अछि की ओ गेल ओकर गेलाक बाद हम बाजब कारण अछि भेल ओ फेल

काँकड़ु
काँकड़ुगणकेँ छोड़ल एकटा ड्रममे नहि बन्न कएलक ऊपरसँ ढाकनसँ पुछल हम छी निःशंक अपने ?

यौ हमर टोलक ई अछि काँकड़ु सभ एक दोसराक टाँग खींचत बक्शा बन्द करबाक करू नहि चिन्ता खुजलो सभटा सभ ठामे रहत !


कैप्टन
वॉलीवॉलमे खेलाइत काल पप्पू भाइक होइछ हुरदंग खेलायब हम फॉरवार्डसँ नहि नीक खेलाइत छी
तँ आगू खेलनाइ देखाएब हम !

सभ सोचि विचार कय बनाओल कैप्टन पप्पू भायकेँ टीमक हारि देखि कय
खेलाइथ पछाति पाछुएसँ
फारवॉर्ड बनू अहीं सभ
नहि तँ मैच हारए जाएब आगुएसँ


दूध
महीस लागल छल लागय बहिन दाइक ठाम
पहुँचलहुँ आस लेने ठाँऊ भेल बैसलहुँ
दूध छल जाइत औँटल मुदा बहिन दाइ केँ गप्पमे
होसे नहि रहल
भोजन समाप्ते प्राय छल दूध राखल औँटाइते रहल
कहल हम हे बहिन दाइ अबैत रही रस्तामे देखल साँप एक बड़-पैघ एतयसँ ओहि लोहिया धरि नमगर दूध जतय अछि औँटाइत
ओह भैया बिसरलहुँ हम दूध रहल औँटाइत मोनमे बात ततेक छल घुमरल होश कहाँ छल आइ

अटेंडेंस
लेट किए अएलहुँ अहाँ अटेंडेंस लगाऊ
लाल बहादुर अयलाह जखन देखल छल क्रॉस लगाएल नहि देल ध्यान साइन कएल
पूछल मास्टर “लेट छी आयल? ऊपरसँ कए हस्ताक्षर क्रॉस नुकयबा लेल
मुदा नहि अछि ई मेटायल” !
लाल बहादुर कहल सुनू ई के करत निर्णय तखन हम कएल हस्ताक्षर पहिने क्रॉस लगाओल अहाँ कखन?

शो-फटक्का
की यौ बाबू शो-फटक्का बड्ड देने छी आइ पहिने कोनो दिन आबि बुझायब नहि जायब पड़ताय
दहो-दिशा दस दिन देत काज देत चालि संग चालिस साल बड़ा देने छी शो-फतक्का करू पहिने किछु काज

भारमे माटि
काबिल ठाकुर कहल जोनकेँ भारमे माटि उघि आनू दुहु दिशि भार रहत तँ बोझ दुनू दिशि जायत कम थाकब अहाँ आ माटि सेहो बेशी आओत
दियाद कलामी ठाकुर देखि ई
सोचल ओकर नोकसानक भाँज भरिया तोरा जान मारतह एके बोनिमे दोबर काज !

पटकि भार भरिया पड़ायल काबिल ठाकुर रहल मसोँसि लंघी मारि पएर खेंचि कय अप्पन कोन भल भेल हे भाइ ?

कंजूस
तीमन माँगल भनसियासँ सूँघा रहल छल गमक कहियो तँ अयबह हमरा लग देबह तखन उत्तर
शहर भगेलग पाइ कमेलहुँ माँगल पाइ किछु दैह बदला पाइक झनक सुनएबह गमकसँ नहि छल मोन भरैत


पाइ
देखू पाइ नहि लिअ अहाँ बेटा विवाहमे
कारण जे पुतोहु करत उछन्नड़ पाइ बाली आयत ज्योँ
पूछल
अहाँ सभ जे छलियैक लेने बेटा विवाहमे पाइ कहलन्हि अहूमे गप्प अछि दूटा
पहिल जे पाइ दबबैत अछि लोककेँ मुदा दोसर
जे दबा दैत छियैक हमरा सभ पाइकेँ
जे कहलहुँ गुनू तकरे हमरा सभपर नहि आउ दाइ गे !


असत्य
हम कक्कर काज नहि कएलहुँ बेर पर मुदा काज क्यो आयल? असत्य नहि कहियो छी बाजल सत्यक आस नहि छोड़लहुँ आ असत्यक बाट सेहो नहि ताकल
यौ अहाँ एहनो क्यो बजैत अछि असत्य नहि छी कहियो बाजल एहिसँ पैघ कोनो असत्य अछि ?

क्यो दुःखी कहलक तँ काज केलहुँ अपने जा कय तँ नहि पुछलहुँ ओक्कर काज अपने भय जाइत छै तँ उपकरि कय पुछैत छी
आ ज्योँ काजमे भाँगठ होइत छै तँ निपत्ता भय जाइत छी बेर पर एहने काज अहाँ अबैत छी !

हम आलांकारिक प्रयोग केलहुँ तेँ टाँग पकड़ैत जाइत छी ?


समुद्री
संस्कृतक पाठ नहि पढ़ल कोन पाठ अहाँ पढ़ने छी पंडित कहि बजबैत अछि सभ क्यो त्रिपुण्ड धारण कएने छी !
रहथि हमर पुरखा पंडित छोड़ू हमरा हमर इतिहास देखू मिथिलाक गौरव याज्ञवलक्य कपिल कणादक देश छी ई जैमिनीक गौतमक अछैतहुँ
पुछै छी पण्डित केहन छी
सामुद्रिक विद्या ज्योतिषिक जनय छी
नहि सुनल फेर बहस किए केने छी ? फेर छी हँसी करैत अहाँ भने भविष्यक छी हम हाल किए लेने !


गाम
तीस वर्ष नौकरी कइयो कय नहि बनल एकोटा मित्र
आस-पड़ोसी चिन्हैतो नहि अछि ऑफिसक पूछू नहि गति
गाम छोड़ि शहर छी आयल मुदा अछि मोन सात जनम घूरि नहि जायब गाम छोड़ि नगरक कोनो कोन


लोली
एहि शब्द पर भेल धमगिज्जर लोल हम्मर अछि नहि बढ़ल एतेक सुन्दर ठोढ़केँ छी अहाँ
लोली कहि रहल ?
हँसल हम नहि स्मृतिकेँ छोड़ि छी सकलहुँ अहाँ फैशन-लिपिस्टिक युगोमे लोलीकेँ खराब बुझलहुँ अहाँ !


तकलाहा दिन
विवाह दिन तकेबाक बात युवक बाजल पंडितजी अहूँ नहि बुझलहुँ अमेरिकाक प्रगति ओतय के दिन तकबैत अछि कहू ?
अहाँ अधखिज्जू विद्वान सुनू
हमर तकलाहा दिनमे विवाह कय झगड़ा-झाँटि करितहु बुझु जिनगी भरि पड़ै अछि निमाहय
ओतय बिनु दिनुक विवाह बात भोरसँ साँझेमे भय जाइछ समाप्त

बिकौआ
बड़ पैघ भोज उपनयनक
पछबारि पारक छथि नव-धनिक
बी.के.नाम नहि सुनल ओतय ठाढ़ ओ धनिक
आरौ बिकौआ छँ तूहीँ
दूटा पाइ भेल ओ भाइ कलकत्ता नगरीक प्रतापे नहि तँ मरितहुँ बिकौए बनि बी.के. नाम भेल आब जाए


गद्दरिक भात
गत्र- गत्र अछि पाँजर सन
हड्डी निकलल बाहर भेल भात धानक नहि भेटय तँ गद्दरियोक किए नहि देल
औ बाबू गहूमक नहि पूछू अछि ओकर दाम बेशी भेल गेल ओ जमाना बड़का बात-गप्पक नहि खेलत खेल

एकटा आर कोपर
गप्प पर गप्प प्रकाण्डताक विद्वताक
हम्मर पुरखा ई हाथीक चर्चा सिक्कड़ि-जंजीर टा जकर बाँचल
आँगनमे लालटेन नहि वरन् डिबिया टिमटिमाइत
लालटेन गाममे समृद्धिक प्रतीक !
फेर दलान पर गप्पक छोड़ एकटा कोपर दियौक आउर

महीस पर वी.आइ.पी.
छलहुँ हम सभ जाइत आर मारि लोकसभ पएरे-पएरे दुर्गास्थानमे छल कोनो मेला देखि हमरा सभकेँ बाट देल
मारि लोक छल ओतय छलहुँ महीस पर हम चारिटा वी.आइ.पी.ये ! ओकर सभक बात छल लौकिक ज्योँ हमरा लोकनिक आध्यात्मिक तेँ मूल-गोत्रक प्रभावे !!


गप्प-सरक्का
नहि गेलथि घूमय बूरि बुझैत अछि बड्ड छन्हि काज आइ-काल्हि तँ हिनकर चलती अछि हमरा सभतँ करैत छी बेकाजक काज !

फलनाक बेटा
भोज देलन्हि रेंजरक बाप आह कमेने अछि तँ
फलनाक बेटा !
भोज समाप्ति पर पान सुपारी लय देखल
रेंजरकेँ लोक
अओ कहू कोन बोनकेँ साफ कएल एहि भोजक लेल !

ट्रांसफर
नॉर्म्सक हिसाबे ट्रांसफर कएल हम अहाँक कहलन्हि ओ छल एकर कोन महाशय जरूरति
कएल सेवा हम अहाँक राति-दिन भोर धरि
अप्पन घरक काज छोड़ल अहाँक काजकेँ आगू राखल ताहिमे नहि हम लगायल नॉर्म्स नॉर्म्स केर नहि गप्प छल आयल
ट्रांसफरमे ई कतयसँ आबि गेल श्रीमान !

तखनहि रोकल हुनक ट्रांसफर औफिसर तत्काल

मजूरी नहि माँगह
भरि दिन खटि हम गेलहुँ माँगय अपन मजूरी कहलन्हि ज्योँ मजूरी मँगबह मारि देबह हम छूरी
कहल नहि बरू दिअ मजूरी मारू नहि परञ्च ई छूरी
जियब जखन हम करब काज कय आनो ठाम जी-हजूरी

दोषी
दोषी छह तोँ नहि छी मालिक
देलक दू सटक्का
हम छी दोषी बाजल तखन बता संगीक पता
साँझ धरि पड़ल मारि परञ्च नहि बता सकल ओ नाम सङ्गीक
कारण
छल नहि ओ दोषी नाम बतायत तखन कथीक


लंदनक खिस्सा
लन्दनक साउथ हॉलमे शहीद भिंडरा लेस्टरमे शहीद सतवंत-बेअंत

लेस्टरमे सभ अपने लोक नहि भेटैछ अंग्रेज एकोटा भेटने हमही मँगैत जाइत छी वीसापासपोर्ट
सेहो अंग्रेज सभसँ सभटा
होयत खिधांश सुनू तखनो
नहि मानब हम गुरुकुलकेँ
इतिहाससँ नहि लेब सबक
तँ आएत पुनः ओ घुरि
अंग्रेजक नाम कतेक दिन धरि लेब
सभ अछि गेल बुझि

प्रथम जनवरी
प्रथम जनवरी देखल एक भोरे-भोर दूधक लेल लागि लाइन जखन आयल बेर
खुशी-प्रफुल्लित पाओल फेर

मुदा रस्ताक बीचहि खसल दूध ओह भेल अपशकुन बहुत
सुनि खौँजाइ कहल नहि से पता नहि शकुने होअय जे
कहल हँ-हँ शकुने थीक माँ पृथ्वीकेँ लागल अर्घ्य
प्रथमे पायल प्रथमक भोग हरतीह सभटा दुःख आ रोग

ऑफिसमे भरि राति बन्द
साँझ परल सभ उठल गेल अप्पन-अप्पन घर बाबूजी रहथि फाइलमे करैत अपनाकेँ व्यस्त
चौकीदार नहि देलक ध्यान केलक बन्द ओहि राति हमरा सभ चिंतित भेलहुँ कएलहुँ चिंतित कछमछ धरि प्राति
भोरमे जखन दरबान खोलि देखलक हुनका ऑफिसमे माफी माँगि औँघायल पहुँचेलक घर जल्दीसँ
एक बूढ़ी हमर पड़ोसी कहलन्हि कोना रहल भेल हमरा सभ तँ नहि तकितहुँ बाट राति भरिमे भय जयतहुँ अपस्याँत बेटा सभ लजकोटर मुँहचूरू छन्हि हिनक हे दाइ (हमर माइ)

हॉलीक्रॉस स्कूल दरभंगामे भेल छल घटित एक बात
गर्मी तातिलमे बच्चाकेँ बन्द कएल दरबान
महिना भरि खोजबीन भेल नहि चलल पता कथूक स्कूल खूजल देखल बच्चाक लहाश सभ हुजूम
बाप ओकर मुँहचुरू छल स्कूलसँ ज्योँ बच्चा नहि आयल सुतले छोड़ि गएल तखन गेल रहय पछतायल

बच्चा देबाल पर लिखने रहय अपन कष्टक बखान पानि भोजन बिना भेलय ओकर प्राणांत


नानीक पत्र
पत्र आयल मोन ठीक नहि लक्ष्मी अहाँ देखि जाउ एहि बेर नहि बाँचब
नहि ई गप बुझु बाउ

पेटक अलसर अछि खयने चटकार सँ खाओल जेना मसल्ला अंतिम क्षण देखबाक बड्ड अछि मोन चिट्ठी लिखबाले अयलाह तेहल्ला

क्यो नहि पहुँचेलकन्हि लक्ष्मीकेँ कहल चिट्ठीमे अछि भाड़भीस कएल
एक टा आर चिट्ठी आएल जे माय गेलीह देह छोड़ि
लक्ष्मीक बेटा बोकारि पारि कानय कहलक छी हम सभ असहाय
नहि अयतीह हमर लक्ष्मी मायक मुँह देखय अंतिम बेर नाम रटैत अहाँक ई बूढ़ि
गुजरि गेलि जग छोड़ि
अपन घरक हाल की कहू भगवाने छथि सहाय घरघुस्सू सभ घरमे अछि दैव कृपा हे दाय

केवाड़ बन्द
बाहरसँ आबयमे भेल लेट छोट भाय कएल केवाड़ बन्द किछु कालक बाद जखन खुजल भैय्या कहल हे अनुज दुःखी छी हम पाड़ि ई मोन अहिना जखन छलहुँ हम सभ बच्चा पिता कएलन्हि घर बन्द
कनेक देरी होयबाक कारण पुछलन्हि नहि ओ तुरंत
तुरंत काका सेहो बुझाओल बाल विज्ञानक द्वंद जे भेल से बिसरि शुरू करू नव जीवन स्वाच्छंद

जेठांश
छोट भायकेँ देल परती
आ राखल सेहो जेठांश
मरल जखन कनियाँ तखन भोजक कएल वृत्तांत

कहल नमहर भोज करू पाइ नहि तकर ने बहन्ना जकरे कहबय से दय देत चीनी चाउर सलहाना
खेत बेचि कय हम कएलहुँ श्राद्ध पिताक ओहि बेर
अपना बेरमे नहि चलत बहन्ना फेर बुझू एक बेर

सादा आकि रंगीन
ब्लैक एण्ड ह्वाइटक गेल जमाना सादा आकि रंगीन
दरिभंगा काली मंदिर लगक
लस्सी बलाक ई मेख-मीन
जखन बूझि नहि सकलहुँ तखन कहल एकगोट मीत सादा भेल सादा आ भांगक संग भेल रंगीन


जोंकही पोखरिमे भरि राति
सुनैत छलहुँ जे बड़बड़ियाबाबू साहेबक लगान देलामे ज्योँ होइत छल लेट भरि राति ठाढ़ कएल जोंकही पोखरिमे
बीतल युग अयलाह फेर जखन हाथी पर लेबाक हेतु लगान-लहना जहिना गारि-गूड़ि दैत हाथी पर छूटल टोलक-टोल मुँह दुसना
जमीनदारी खतम भेलो पर सोचल किछु ली असूलि मुदा लोक सभ बुधियारी कएल नहि अएलाह ओ घूरि


गैस सिलिण्डरक चोरि
गेलहुँ रपट लिखाबय भेल छल सिलिण्डरक चोरि मोंछ बला थानेदार बजलाह बूड़ि बुझैत छी हमरा सभकेँ डबल सिलिनडर चाही एफ. आइ. आर. सस्ता नहि नहि सस्ता अछि एतेक हे भाइ
हम कहल डबल सिलेण्डर तँ अछिये हमरा
अच्छा तँ
तेसर सिलेण्डर लेबाक अछि देरी ?
ताकल कतय चोरकेँ अहाँ अहाँक तकनाइ अछि जेना चलैत अछि कोल्हूक बरद
भरि दिन घुमैछ नहि बढ़ैछ एको डेग अहँ नहि करू सैह प्रगतिक नाम पर एहि बेर
स्कूटरक चोरिक बेर कहलक इंस्योरेंसक पाइ चाही कहू अहाँसँ कोर्टमे भऽ पाएत देल अहाँसँ गबाही

फेरी पड़ि जायत अहाँकेँ पुनःप्रात होएत कोर्टमे जायब उलटा निर्णयो भऽ जायत बूझि फेर से आयब

संग गेल ड्राइवर कहलक नोकरी छै एकरे ठीक पाइयो अछि कमाइत करैत रंगदारी
फेकैत पानक पीक


फैक्स
फैक्टरी पहुँचि कहल करू सर्च वारंट पर साइन मालिक कहल रुकू किछु काल धरि फोन करय छी आइ

ट्रांसफरक ऑर्डर आयल रिलीविङगक संगहि अफसर निकलल ओतयसँ वारंट बिना एक्सीक्यूट केनहि

दीया-बाती
आयल दीया बाती कतेक अमावस्या अछि बीतल जकर अन्हारमे लागल चोट कतेक जीव थकुचायल पएरहि अन्हारक छल छाती
दीया बाती अनलक प्रकाश ज्ञान-ज्योतिक अकाश नमन करय छी हम एहि बातक अंधकार-तिमिर केर होबय नाश

इटालियन सैलून
घर भेल समस्तीपुर दिल्लीमे छी आयल खोलि सैलून इटालियन अयलहुँ कमाय लेल

पुलिसक रोक देखि कय गेलहुँ गाम घुरि पुनः छी आयल सैलून कतय बानाओल?
ईटा पर जे छी अहाँ बैसल सैह कहबैछ इटालियन
अहू पर अछि पुलिसक मौखिक-रोक सेहो धरि नहि बूझल अहाँ ?


शव नहि उठत
गामक कनियाँ मूइलि शव अँगनामे राखल सभ युवा कएने अछि नगर दिशि पलायन जे क्यो रहथि से घुमैत रहथि ब्लॉक दिशि साँझमे अयलाह देखल कहल भेलीह मुइल
गामपर क्यो नहि उठेलक शवकेँ किएक ? हम कोना छुबितहुँ भाबहु ओ होयतीह मुइल पर भाबहु की भैसुर केलहुँ अतत्तह समय बदलल नहि बदलल ई गाम हमर

अतिचार
तीन साल छल अतिचार नहि होयत एहि कारण बियाह पंडितबे सभ बुझथुन्ह छन्हि पतरा सभ जे बिकाइत पकड़त सभ बनारसी पतराकेँ सेहो नहि बिकाओत
समय अभावेँ होयत ई ज्योँ अतिशय भऽ जायत

रबड़ खाऊ
रबड़ खाऊ आ वमन करू चट्टी अपचनीय तथ्य सभ देखल भ्रात बड़ छल बुधियार केलक घटकैती शुरू जखन भेल सिद्धांत विवाद विवाह ठीक भेलाक बादक दोसर सिद्धांत लड़का विवाह कालमे बिसरलाह भाषण नव सिद्धांतक सृजन कय केलन्हि सम्मार्जन

बाजा अहाँ बजाऊ
मेहनति अहाँ करू फल हमरा दिअ
चित्र अहाँ बनाऊ आवरण सजाऊ हमर किताबक
नृत्य हम करू बाजा अहाँ बजाऊ
कृति हमर रहत मेहनति करब अहाँ आइसँ नहि ई बात
अछि तहियासँ जहियासँ शाहजहाँ

पिण्डश्याम
दहेज विरोधी प्रोफेसर केर सुनू ई बात पुत्री विवाहमे कएल एकर ढेर प्रचार
पुत्रक विवाहमे बदलि सिद्धांत वधू रहय श्याम मुदा मारुति भेटय श्वेत सिद्धांतक मूलमे
छोड़ू विवेक !

पाँच पाइक लालछड़ी
परिवार छल चला रहल बेचि भरि दिन पाँच पाइक लालछड़ी दस पाइमे कनेक मोट लपेटन
नहाइत साँझमे ठेला चला कय आयल बेटाकेँ पढ़ायल आइ.आइ.टी.मे पढ़ि निकलल कएलक विवाह जजक छलि ओ बेटी
पिता कोन कष्टसँ पढाओल गेल बिसरि पिताक स्मृतिसँ दूर नशा-मदिरामे लीन कनियाँ परेशान लगेलन्हि आगि झड़कलि ओकरा बचेबामे ओहो गेला झड़कि

कनियाँ तँ गुजिरि गेलीह ठामे
मुदा ओ तीन मास धरि कष्ट काटि पश्चात्ताप कए मुइलाह बेचारे

चोरुक्का विवाह
सिखायब
हिस्सक छूटत नहि आनब कनियाँकेँ भायक माथ टूटत !
भेल धमगिज्जर सालक साल बीतल युवक-युवती दुनू भेल चोर विवाहक कैदी
नहि छल कोनो हाथ परंच छल सजा पबैत
भागल घरसँ युवक आब पछतायल घरबारी मुदा की होयत आब ओ समाजक व्यभिचारी

एलेक्शनक झगड़ामे भाय-भायकेँ मारल चोरुक्का विवाहक घटनामे ओकरा दोहरायल !


भ्रातृद्वितीया
कय ठाँऊ बैसलि आसमे छलि भाय आओत

आँखिक नोर छल सुखायल सालमे एक बेर छल अबैत चण्डाल
कनियाँक गप पर
सेहो क्रम ई टूटल
कय ठाँऊ बैसलि धोखरि अरिपन विसर्जित दिन बीतल छल साँझ आयल


नव-घरारी
साँप काटल नन्दिनीकेँ नव घरारी लेलक खून टोलक घरारी छोड़ू जुनि !
ई विशाल जनसंख्या एतय छल बनल एकटा काल ई नव-घरारी लेलक प्राण टोलक घरारी साबिकक डीह परञ्च अछि छोट आब की ?
खून लेलक आब ई बनि गेल अख्खज नव घरारी होयत छोट किछु काल अनन्तर


रिक्त
पाँचम वर्गसँ सातम वर्गमे तड़पि गेल छलहुँ हम छट्ठा वर्गक अनुभव अछि रिक्त बा आ बाबा जन्मक पहिनहि
प्राप्त कएलन्हि मृत्यु वात्स्ल्यक अनुभव भेल रिक्त माँ एके बहिनि छलि तेँ मौसी-मौसाक अनुभवो नहि ईहो रहल रिक्त
क्यो कहैत अछि जे छठामे पढ़ैत छी बा आ बाबाक संग घुमैत छी मौसी-मौसाक काज उद्यममे जाइत छी तँ हम कहैत छी जे ई कोन संबंध कोन वर्ग अछि ई छोड़ि सकैत छी
उत्तर भेटैछ अहाँ नहि बुझब
मुदा नव संबंध नब नगर नव भाषा नवीन पीढ़ीकेँ कोना बुझायब ओ कोना बुझत ? ओ तँ नहि बूझि सकत काका-काकी नहि बूझत दीया-बाती खटैत दौड़ैत आ नहि घुरि आओत ककरा बुझायब आ के बूझत ?

प्रवासी
संगहि काटल घास महीस संगे चरेलहुँ पुछैत छी गहूम ई पाकत कहिया?
दू दिन दिल्ली गेलहुँ सभटा बिसरलहुँ ईहो बिसरि गेलहुँ जे धान कटाइछ कहिया ?


वेद
वेद वाक्य परम सत्य संस्कृत साहित्य अति उत्तम करैत छी अहाँ वक्त्तव्य मुदा अहाँ की अहाँक पुरखा मरि गेलाह बिन सुनने वेद वाक्य
बिन पढ़ने संस्कृत

यौ अहाँ नहि पढ़लहुँ अहाँ अनका अनधिकार बनेबाक चेष्टा कएलहुँ अहाँ

छी वेदक अप्रेमी नहि अछि क्षमता वेदक पक्ष आकि विपक्षमे बजबाक वेद वाक्य सत्य
एकरा बनेने छी अहाँ फकड़ा

चोरि
गेलहुँ गाम आ एम्हर आयल फोन समाचार चोरिक छुट्टी होयबला छल समाप्त मुदा चोरक गणना छल ठीक

आबयसँ एक्के दिन पहिने लगेलन्हि घात तोड़ि कय केबाड़ उधेसल घर-बार नहि पाबि कोनोटा चीज घुरल माथ पीटि
भोरमे पड़ोसी कएलन्हि डायल सय पुलिस आयल हारि थाकि कय पड़ोसीसँ किनबाय दू टा अतिरिक्त ताल (पुलिस महराज अपन घरक हेतु एकटा बेशीये कऽ) चाभी लेलन्हि अपन काबिजमे
चोर हरबड़ीमे छल चलि गेल मुदा पुलिस महाशयक हाथ चाभी आएल आ शो-केशक चानीक नर्त्तकी गुम भेल
चोरकेँ छल डर गेटक दरबानक से छलाह ओ गहनाक आ नकदीक ताकिमे
मुदा पुलिस महाराज दय राब दौब दरबानहुँकेँ निकललाह चोरि कय बरजोड़ीसँ

होली
धुरखेलक कादो-माटिसँ रहथि अकच्छ रंग अबीर भने आयल मुदा लगैछ टका
साफ-सुथड़ा बुझैत छलहुँ एकरा मुदा निबंध निकलैत अछि रंगक केमिकलक विषयमे विषय अछि पुरनके
वएह छल ठीक यौ कका

दारू पिनहार सोमरसक चर्चा करैत नहि अघाइत छथि देवतो पिबैत रहथि ओकरा पुरनका नामसँ
अछि होली
मित्रता बढ़ेबासँ बेशी घटा रहल अछि आइ काल्हि ई


बुद्ध
हृदय लग अछि जेबी से जखन रहय खाली मोन कोना रहत प्रसन्न बुद्ध सेहो कहि गेल छलाह ई
मुम्बइमे सूप मँगलहुँ पुछलक अहाँ सभमे जैनी कैकटा छी देत लहसुन की नहि रहय तात्पर्य आपद्काले रहि गेल अछि आइ काल्हि सदिखन
मुम्बइ सेल टैक्समे करैत छथि भरि दिन काज तैँ प्रोननशियेशन भेल छन्हि मराठी
“छी हमहुँ इलाकेक लोक उत्पाद विभाग अछि केन्द्रीय सरकार संपर्क बाहरीसँ बेशी कनियाँ करइ छथि ओतहि काज हुनकर बोली छन्हि देशी”
छत्तीसगढ़क छत्तीस घंटाक यात्रा उत्तर-मध्य क्षेत्रक स्तूपक बंगाल - पंजाब घूमल बंगाली कहलन्हि सुनु जे ज्योँ बंगाली जायत संग करत कानूनी बात सरदारजी कहलन्हि रोड पर रेड लाइट रहलो करू पार
सोझाँसँ अबैत छल एकटा सरदार
कहल करत आब ई अराड़ि

सक्सेना कहलक एक मैथिलकेँ- मैथिल अछि मैथिलक परम शत्रु हम कहल सक्सेनाकेँ हे
जुनि करू हुनका दूरि काज सभटा झट कराऊ जुनि भड़काऊ

बुद्धक भूमिसँ घुरि आयल छथि दिल्लीक सड़क पर एहि बेर पाटलिपुत्र भारतक रहय राजधानी दिल्ली बनल राजधानी आब छलहुँ ततय पुनि फेर
कोन जुलुम हम कएल आबि एतए ?
कणाद कपिल गौतम जेमिनी देतथि ज्योँ नहि काज कहलन्हि ई ठीके हृदय लग जेबी देने अछि सीबि
सौँसे देश घुमलहुँ एहि पेटक लेल
जेबीमे पाइ नहि रहत उपासे करब हम भाइ
जेबीक लग अछि हृदय तखन से कोना रहत प्रसन्न
जे रहत ई खाली ? बुद्ध सेहो कहि गेलाह ई !


कोठिया पछबाइ टोल
बूढ़ छलाह मरैक मान पुत्र पुछल अछि कोनो इच्छा जेना मधुर खयबाक मोन नीक कपड़ा पहिरबाक मोन फल-फूल खयबाक मोन
कोठाक घर बनयबाक इच्छा पूर्ण भय पायत किछु सालक बादे कहू कोनो छोट-मोट इच्छा पूर करब हम ठामे

हौ कहितो लाजे होइत अछि पछिबारि टोल कोठियाक रस्ता दुरिगरो रहला उत्तर ओकरे धेलहुँ जाइत दुर्गास्थान कारण टोल छल ओ अडवांस्ड
मोनमे लेने ई इच्छा जाइत छी जे ओहि टोलमे होइत विवाह
कहैत तावत हालत बिगड़ि गेलन्हि आ ओ बूढ़ स्वर्गवासी भेलाह

मरलोपर मोह संग जाइत अछि
इच्छाक नियंत्रण अछैत

बुच्ची-बाउ
बुच्ची-बाउ
किताब बेचि कए
कमाइत अहाँकेँ देखि
सड़कक चौबटियापर
अपन मैथिली भाषा बजैत
भरि जाइत अछि मोन गर्वसँ सेहो
चोरि तँ नहि कऽ रहल छी
मेहनतिसँ कमा रहल छी
ई मजूरक टोली
राज करत दिल्लीपर

मारीशस आ वेस्ट इन्डीजमे
एहिना हेंजक-हेंज चलैत रहए मजूरक टोली

सभ ठाम अहाँक खिधांश
कारण अहाँ मँगैत छी मात्र काज
नहि मँगैत छी दरमाहा
ई बिहारी सभ रेट कम कए देलक अछि !

एहि खिधांशमे हम देखि रहल छी भय
खेत बेचि बनल सेठ सभमे
बड़का गाड़ीमे शीसा खोलि बाजा बजबैत छथि
जे सभ !

गामक गाम उपटि
माइलक माइल पएरे चलैत
मुदा ओहू कनी सन दरमाहासँ बचा कए
गाम पठेबा लेल मनीऑर्डरक लाइनमे लागल
बेर-बेर फॉर्म अछि भरबैत ओ किरानी
मूरख कहैत
खौंझाइत

ओहि किरानीक खौँझाइत स्वर
छै ओकर हारिक प्रतीक
मात्र एक पीढ़ीक अछि गप
करत अहाँ बाद राज
अगिला पीढ़ी
एहि दिल्लीपर

आकक दूध
मोन पड़ल चोरि केर बात चोरक आँखिमे आकक पात पातक दूध पड़ला संता चोर सोचलक आब आँखि गेल छोड़ि
कहलक मोने बुद-बुदाय करु तेल नहि देब मोर भाय
अर्कक दूधक संग करु तेल बना देत सूरदासक चेल
गौवाँ केलन्हि बुरबकी एहि बेर चोरक बुनल जालक छल फेर तेल ढ़ारि पठौलन्हि चोरकेँ गाम

मुदा रसायन भेल विपरीत चोरक आँखि बचि गेल हे मीत गौआँक काजक हम लेब नहि पक्ष मात्र सुनायल रटन्त विद्याक विपक्ष

केसर श्वेत हरित त्रिवार्णिक
केसर श्वेत हरित त्रिवार्णिक
मध्य नील चक्र अछि शोभित
चौबीस कीलक चक्र खचित अछि
अछि हाथ हमर पताका ई,
वन्दन, भारतभूमिक पूजन,
करय छी हम, लए अरिमर्दनक हम प्रण।

अहर्निश जागि करब हम रक्षा
प्राणक बलिदान दए देब अपन
सुख पसरत दुख दूर होएत गए
छी हम देशक ई देश हमर

अपन अपन पथमे लागल सभ
करत धन्य-धान्यक पूर्ति जखन
हाथ त्रिवार्णिक चक्र खचित बिच
बढ़त कीर्तिक संग देश तखन।

करि वन्दन मातृभूमिक पूजन,
छी हम, बढ़ि अरिमर्दनक लए प्रण।

समतल पर्वत तट सगरक
गङ्गा गोदावरी कावेरी ताप्ती,
नर्मदाक पावन धार,सरस्वती,
सिन्धु यमुनाक कातक हम
छी प्रगतिक आकांक्षी

देशक निर्माणक कार्मिक अविचल,
स्वच्छ धारक कातक बासी,
कीर्ति त्रिवार्णिक हाथ लेने छी,
वन्दन करैत माँ भारतीक,
कीर्तिक अभिलाषी,
आन्हीक बिहारिक आकांक्षी।

*ई पद्य समर्पित अछि १६ बलिदानीक नाम जे मुम्बईमे देशक सम्मानक रक्षार्थ अपन प्राणक बलिदान देलन्हि।१. एन.एस.जी. मेजर सन्दीप उन्नीकृष्णन्, २. ए.टी.एस.चीफ हेमंत कड़कड़े, ३. अशोक कामटे, ४. इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, ५. एन.एस.जी हवलदार गजेन्द्र सिंह "बिष्ट", ६. इंस्पेक्टर शशांक शिन्दे, ७. इंस्पेक्टर ए.आर.चिटले, ८. सब इंस्पेक्टर प्रकाश मोरे, ९. कांस्टेबल विजय खांडेकर, १०. ए.एस.आइ. वी.अबाले, ११. बाउ साब दुर्गुरे, १२. नानासाहब भोसले,१३. कांसटेबल जयवंत पाटिल, १४. कांसटेबल शेघोष पाटिल, १५. अम्बादास रामचन्द्र पवार आ १६. एस.सी.चौधरी

No comments:

Post a Comment