Tuesday, July 31, 2012

बाल गजल

         बाल -गजल
कंटीरबा आ कंटीरबी माँ  बापक लेल दुनू आँखिक पुतली
एकटा अछि हीरा त' दोसर मोती भेल दुनू आँखिक पुतली

बौआ खेलय गेल गेंद कब्बडी  बुच्ची खेलय कनिआ-पुतरा
डाँर में घुघरू पैर  पाजेब बाजि गेल दुनू आँखिक पुतली

ठुमैक  चलै अछि बौआ ललन छ्मैक चलै बुच्ची लालपरी
जुडबै छाती माँ के बापक ओ शान भेल दुनू आँखिक पुतली

बौआ खेलक खोआ मिश्री बुच्ची खेलक  करकर कचरी माछ
फरिछ बाजै बुच्ची बौआ त' तोतला गेल दुनू आँखिक पुतली

रूबी लेल दुनू गौरब छै बौआ  राजाबाबू बुच्ची छै लालपरी
बनै कोनो हाकिम बच्चे माँ बाप लेल दुनू आँखिक पुतली
वर्ण-२३
रुबी झा

बाल गजल

   बाल  गजल
  हेरौ बौआ तूँ ऐना रुसल छेँ किए
  दूध-भात लेल तूँ बैसल छेँ किए

  मुँहमें खूएब आ कोरा बैसाएब
  गए कें दूध लेल अरल छेँ किए

   किन देब गेन लाल आ घुरकुन्ना
   छोर ने जिद्दपन डटल छेँ किए

  आबो दहुन बाबा के देठुन पेंरा
  पेंरा सन नीक कि नाठाल छेँ किए

  कहबै नाना कें देथुन धेनु गैया
  आबो बरेडी पर चढ़ल छेँ किए
  वर्ण-१३
  रूबी झा

बाल गजल

       बाल-गजल

हे रौ गुलेटेनमा  सुन रौ टुनटुनमा एलै छुट्टी गर्मी  क'
चल इस्कूल क' कहिये हम टाटा आब भेलै छुट्टी गर्मी क'

अन्हर बताश में खूब हम घुमब गाछी जा आमो चुनब
पाकल आमक रस निचोरब आई चढ़लै छुट्टी गर्मी क'

मेघ बुन्नी में खूब नहायेब माई क' हम बातो नै मानब
हत्ता-खत्ता में चल मान्छ जा' क' मारब बढ़लै छुट्टी गर्मी क'

हाट बजार में त' बाबु संग जेबै लेमंचुस बिस्कुट खेबै
मेला में जा' क' हम झुला झुलब कम बचलै छुट्टी गर्मी क'

इस्कूल क' गृहकार्य बांचल अछि रत्तियो नै त' वक्त छैक
अछि मोन विधुआयेल किये ख़तम भ' गेलै छुट्टी गर्मी क'

सरल वार्णिक बहर वर्ण -२२

रूबी झा

बाल गजल

बाल गजल
जए दे हमरो िददी केर सासुर गै माँ
हमहु खेबै माँछ भात आ काकुर गै माँ

ओझा भए के संग खेलेबै हम कबड्डी
बहिनक संग पकड़बै दादुर गै माँ

दी देलकै चुप्पे िचट्ठी देबै जा ओझा  क
भेन्ट करै ल दिदी  भेल छै आतुर गै माँ

बहला फुसला मना ओझा  के ल आनब
ध िघसीया क आनब नै त पाखुर गै माँ

जुनि खिसियो माँ हमहूँ बड़का भेलौं
मुँह फुला बैसै नै हो पित्ते माहुर गै माँ
आखर~१५
रुबी झा

बाल गजल

**बाल गजल**
हमर फुलबािर क दु टा अछि  फूल 
एक्टा  गेना दोसर  अिछ  अरुहूल

छोट ऊिमर कतै करए  पैघ बात
माँ हम छी अहान्क चरण केर धूल

पढी िलखी माई बनब हम साहेब 
खोईन्छ मे कमा क देब पाई समूल

बर तािक बहिन क करब िबयाह  
पढ िलख ल भैय क पठैब ईस्कुल

सुिन सुिन सभ क लागै छैक हैरत
करेज सटा नेना क माँ भेली व्याकूल

जुगे िजबु बेटा िलआ अशेष आशीष
भेल सबटा रुबी केर त्याग असूल
आखर~१४
रुबी झा

बाल गजल

बाल गजल
टुअर टापर बहिन कs टुअरे एकटा भाई छैक 
सड्क कात मे बैस कs कोना झिल्ली मुरही खाई छैक

माँथ मे नै तेल छैक एको बुन छिट्टा जकाँ केश छैक
सभ कियो  क रहतो ओ केहन टुअर बुझाई छैक

तन नै  चिथरो देने पढेता लिखेता की साढ़े बाईस
देशक भविष्य देखियौ किये एहन  कs घिनाई छैक  

दर्जन पुराब मे निर्लज्ज कs लागये छै मोन कतेक
छी तs हम बड्क़ा एको बेर कहितो नै लजाई छैक

कतबो करता बाप- बाप रोकल जाई जनसंख्याँ
पढ़ल लिखल गदहा एता  बड़ बेशी देखाई छैक

कतै करब बखान मातबरी मे नुकैल गरीबी कs
नेना सभक दशा देखि 'रुबी' कs किछ नै फुराई छैक
आखर --२०
रूबी झा

बाल गजल

       बाल गजल
मए गै आकाश सौ ओ चन्ना मंगा दे 
हनुमान जी ध्वजा केर फन्ना मंगा दे

रोज ईस्कुल जा क भ गेलहु हरान  
सर सौ आई छुट्टी क बहन्ना मंगा दे

दाई केलेन अनोना माँ क एकसन्झा
दाई आगु सौ आलू केर सन्ना मंगा दे

िददी खेलक बर्फ ललका धान बेिच 
हमरो कनेक दाई सौ मरधन्ना  मंगा दे

नै िलखब िसलेट पर नै चोक माटी
बाबु सौ कलम एकोटा  पन्ना  मंगा दे
आखर~१४
रुबी झा


Monday, July 30, 2012

बाल गजल

बाल गजल

आ रौ छौरा बान्हि दियौ तोहर हम झोट्टा रौ
ढील लिख सोहैर गेलौ आब हेतौ जट्टा रौ

हे रौ कने छौरा क पकैर क आन भगतौ
देख त कैस क पकर जा ओकर गट्टा रौ

दलान पर सौ बजा आनलौ फेर भगलै
आब जौ पकरबौ त तोरा मारबौ सट्टा रौ

इ बेर दुर्गा मे कटबा देब तोहर लापेट
छागरो त दाई कबूलने छथुन जोट्टा रौ

छोर नै छूबौ तोहर केश खए ले कने आ
राखने छी आ नै चुरा दही भ जेतौ ख्ट्टा रौ

आखर~१६
रुबी झा

बाल गजल

बाल गजल

बुच्चीया हम्मर रुसल छै
मुहं नुका कोना सुतल  छै

कािन रहल छै झुठे मुठे
गेरुआ सौसे त िभजल छै

सोना क हम लेब नथुनी
ओही बात पर अरल छै

नै बुझै त ओ बात ककरो
नाको कान नै त छेदल छै

दाई दौर बैसैलन कोरा
कािन िजह्वा तालू सटल छै

बाबा गेलेन सोनरा ओत
रौ हम्मर बुच्ची रुसल छै

िपतरो के तौ द दे नथुनी
ओ सोने सन जे गढल छै

बाप माई सब भेल थौआ
बुच्चीया मना क थाकल छै

नाक मे लटका क नथुनी
िजद्दे बुच्ची रुबी हारल छै

आखर~१०
रुबी झा

बाल गजल

बाल गजल

निन्न सँ मातल अछि बौआ आबि क सूताऊ यै
कतय गेलि बौआ मए ओछैन त ओछाऊ यै

खेलके नै ओ दिने सँ केहेन कठोर माई छी
भेल नै भानष त चूरे ढूध नेना बुझाऊ यै

खन बाबा खन हमरा कोरा झुकि खसय छै
अहाँ झट सँ जा किछ त बौआ क खुआऊ यै

कते महग गए किनलौं दुलरा पोता लेल
नेना काया में दूध बुन्न नै झट सँ पिआऊ यै

आबू यौ बौआ हमही दै छी अहाँ क दूध पिआ
कनि ''रूबी''आबि नेना क लोडियो त सुनाऊ यै
आखर -१७
रूबी झा

बाल गजल

बाल गजल

चलहिंन आई तौ गाम पर खुयेबौ हम तोरा माइर गै
चोरी क के हाथ नुका के बड़ बनल छै तों होशियाइर गै

पहिने खेत सँ मटर चोरेलै गाछक तों बैर झटाहलै
हम जौं माँगी तोरा सँ त बिखिन्न बिखिन्न पाढ़े छै गाइर गै

नाना क देलहा फराको तों फारलही माँ क जा कहबो हम
अपनों तोरा कांट गरलौ बैरो क तोड़लहिन डाइर गै

मोन छौ की उलहन माँ क बटेदार सँ सुनेबे करेभिन
सौंसे देह त चुट्टा बिन्हलकौ कतेक चलबें तों झाइर गै

पढ़ लिख में नै मोन लगे छौ उचक्की बनि घूमल चलै छै
के तोरा सँग बियाहो करतौ कोना बसबें ससुराइर गै

आखर -२२

रूबी झा

बाल गजल

बाल गजल

दाई कने दे त हमरो तेल गमकौआ लगेबै
माँथ पर मे हमहु िटक़ुली झलकौआ लगेबै

तेल लगा हम गुहबै जुट्टी लाल बान्हब िफता
जुट्टी मे फूल िफता केर हम फलकौआ लगेबै

भैर भैर हाथ हमरो दाई गै चुडी प िहरा दे
आगु पाछु दुनु कात कंगन खनकौआ लगेबै

सोनरा सँ दुल्िहन ऍहन सन पायल िकन दे
ओए मे हम सौसे झुनकी त झनकौआ लगेबै

एकेटा िचज आर छै ललका साडी ओहो िकन दे
साडी मे हम चान आ िसतारा चमकौआ लगेबै

आखर~१८
रुबी झा

Saturday, July 28, 2012

बाल गजल


नेन्ना हम    मए केँ आँखि जूराएब
मिथिला केँ अपन  सोना सँ चमकाएब

मूरत सभ घरे रामे सिया केँ देखु
एहन आँन  कतए  मेल  देखाएब 

गंगा बसति पावन घर घरे मिथिलाक 
डुबकी मारि कमला घाट नाहाएब

मुठ्ठी भरि बिया भागक अपन हम रोपि
अपने माटि में हँसि हँसि कँ गौराएब 

'मनु' दै सपत घर घुरि आउ काका बाबु  
नेन्ना केँ कखन तक कोँढ ठोराएब 

(बहरे रजज, २२२१) 
जगदानन्द झा 'मनु'

Wednesday, July 25, 2012

बाल कविता @ (मेघक चोर)


बाल गजल


5

बाल गजल


बिनु पानिक  नाउ चलाएब हम 
बिनु चक्काक गाडी बनाएब हम 

हमर मोन में तँ जेँ किछु आएत 
बिन सोचने सभ सुनाएब  हम 

अपन ब्याह में हम नहि जाएब 
सराध दिन बजा बजाएब  हम 

कनियाँ केँ लय ओकर नैहर सँ 
सासुर सँ खूब  कतियाएब हम

'मनु' मन चंचल टोनए सभकेँ 
केकरो हाथ नै घुरि आएब हम  

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)

बाल गजल


उजरा भात गढका दूध बड़का थारी चाही
नै खेलेबौ कनिया पुतरा नबका गाड़ी चाही

भैया पहिरै नबका अंगा दशमी आ फगुआ
बेटा हमहु छियौ तोहर आब नै छारी चाही

भैया गेन खेलाई छौ टुकटुक हम छी ताकै
दूध भात भ कात नै हेबौ हमरो पारी चाही

काकाजी कान मचोरथि तोडी जखन टुकला
अपन लीची अपने झाँटी हमरा बाड़ी चाही

श्यामा लाई खूब खुवाबे टाटक भुरकी बाटे
ओहि टाटके काटि खसाबी हमरा आरी चाही

बाल गजल


खा ले रे बौआ दूधे भात
ठुनकि नै हो ठाढ कात

पढि बनबे तू बी डी ओ
मोन राख  हमर बात

पैघे के सब दै छै ध्यान
तोंही पेबें पहिल पात

छौ जे दुत्कारैत एखन
कान पाथि सुनतौ बात

मोन लगा जॉं पढबे तू
टाका के हेतौ बरसात

बाल गजल


छुनकी हीरा गीतिया सोनू
पाछू लागि सब रेल बनू

ईंजन बनि हम आगू छी
गार्ड बनता अपन मोनू

दूध सोहारी कोयला पानी
सकरी टीसन ठाढ गोनू

फ्री टिकट सब आबि चढु
सीट सबटा अपने जानू