Monday, May 26, 2014

होली एलै

होली एलै होली एलै
सबहक मोनमे खुशी जगेलै
रंग बिरंगक सपना अछि अनने
वसन्तक हबा संग झूमि एलै।

सीरक तोसक दूर भगा कए
डारि पातकेँ हरियर केलक
अँगना दौढ़ीमे फूल फुला कए
चाहुदिस हँसैत होली एलै।

धिया किनलनि फुचुक्का
नेना रंग आओर गुलाल
हाट बाजारमे हल्ला भेल छै
सबतरि भरल अबीर लाल गुलाब।

केकरो माथमे अबीर भरल अछि
केकरो मुँह मलल अछि रंग
केकरो हाथ मलपुआ भरल
कियो पिबैत भरि लोटा भंग।
©जगदानन्द झा ‘मनु’

Saturday, May 24, 2014

कथा बौद्ध सिद्ध मेहथपा (बाल साहित्य) मेंहथमे भेल ८२ म सगर राति दीप जरयमे पठित कथा सभक संकलन कथा बौद्ध सिद्ध मेहथपा


कथा बौद्ध सिद्ध मेहथपा (बाल साहित्य) मेंहथमे भेल ८२ म सगर राति दीप जरयमे पठित कथा सभक संकलन

कथा बौद्ध सिद्ध मेहथपा

Thursday, May 22, 2014

हमर अभिलाषा

हम तँ बनब किसान देशकेँ
अथवा बनब जवान देशकेँ।


माएक भूमिपर मऽरै बला
सत्य कर्म हिम्मत  बला
दुश्मनकेँ हम मारि भगाएब
हिम्मत अपन सभकेँ देखाएब
सोचल नै केखनो अनकर होएत
जखन हम देशक जवान होएब।

तनपर वर्दी होएत जखन हमर
मृत्युओ जीवन होएत हमर
अन्तिमो छनमे प्राण दए कऽ
देशकेँ नै हारब हम जी कऽ
छुल-छुल दुश्मन मूतत देख कऽ
जखन हम चलब सीना तानि कऽ।

हम तँ बनब किसान देशकेँ
अथवा बनब जवान देशकेँ।


घर-घर दाना पहुँचाएब अन्नकेँ
पुत्र बनि कए हम माएक भूमिकेँ
खून पसीनासँ धरतीकेँ पटाएब
कखनो नै मोनमे आलस लाएब
अन्न करब उपजा हम मनसँ
सजाएब सभटा सपना हम तनसँ।


प्रकृतिकेँ आगू नै हम झूकब
कर्म अपन हम निरन्तर करब
माँथ अपन ऊँच उठा कऽ
कहबै सभकेँ शान देखा कऽ
हम तँ छी किसान देशकेँ
कर्म जएकर सेवा खेतकेँ।


हम तँ बनब किसान देशकेँ
अथवा बनब जवान देशकेँ।
©जगदानन्द झा ‘मनु’

Wednesday, May 21, 2014

छुट्टी भऽ गेलै


टन टन टन टन घंटी बजलै
धिया पुताकेँ मनमा दोललै
मौलाएल मुँह झट हँसि गेलै
हजारो कमल जेना संग फूलि गेलै
हाथमे झोड़ा लए कऽ दौड़ल
खुशीसँ मोनमे दही पौड़ल
नै छै चिंता काल्हि की हेतै
नै छै चिंता आइ की हेतै
सबहक मोनमे खुशी छै ऐकेँ
छुट्टी भऽ गेलै आइ इस्कूलकेँ
छुट्टी भऽ गेलै छुट्टी भऽ गेलै
आइ इस्कूलकेँ छुट्टी भऽ गेलै
@ जगदानन्द झा ‘मनु’