नानी गेलै देखै लेए बारीमे आलू
लाइ उठा क' ओकर भगलै लालू
आँखि मुनि चारमे बेंग नुकाबै छै
कालू कौआ बनल कतेक छै चालू
केहेन होइ छै ई भोटक नाटक
बनि गेलै राज मंत्री चोरबा कालू
झट पट नेना सभ दौड़ क' आबै
देखही देखही कते नचै छै भालू
द'
दे नानी आब 'मनु'केँ दू रुपैया
नै सोचै मनमे कोना एकरा टालू
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)
जगदानन्द झा 'मनु'