Sunday, September 16, 2012

बाल कथा@ अंगरेजिया सबक

बाल कथा@ अंगरेजिया सबक

भोरे-भोर सिया आर सान के माँ दुनु के इस्कुल जेबाक लेल उठेली. दुनु भाय-बहिन ओछायन छोड़लक आ इस्कुल जेबाक तैयारी में लागि गेल आ की तहने सिया के अंग्रेजिक सबक इयाद नहि हेबाक गप्प मोन पड़लैक. राति में रटैत-रटैत कक्खन नीन्न पड़ि गेल किछ मोन नहि. ओकरा डरे हताश सुखा गेलै. कोना नै सुखाय..? इस्कुल में सभ सँ बेशी अंग्रेजिये पढ़बै वाली मैडम मारैत छथिन्ह. आब तऽ ओकरा कोनो काज में मोन

े नहि लागि रहल छलैक.

ओ सान सँ पूछलक, "भैया रउ तोहर सभटा सबक पूरा भऽ गेलऊ की..?"
सान- "हाँ गै", हम तऽ रातिये में सभटा पूरा कऽ लेलियैक".
सिया-"आ अंग्रेजी में"..?
सान- "ओ तऽ हम सभ सँ पहिने पूरा केलियैक, तोरा बूझल नहि छौ जे अंग्रेजी वाली मैडम कोना मारि-मारि कऽ छट-पिटा दैत छथिन्ह".
सिया-"ठीक केलें नहि तऽ मंगनी में मारि लगितऊ".

सिया बाजि तऽ देलक मुदा ओकरा डरे प्राण सुखाय लगलै. आब तऽ ओकर सभटा काज उन्टा होमय लगलै. अंगा के बट्टम सभ उनटा, दाहिना पैरक जूता बामा पैर में आ बामा पैरक दाहिना में. जूता के फीतों उंटे बान्हल. ओकरा एना अप्सियांत भेल देखि माँ पूछलखिन्ह "की होई छौ बौआ, मोन नहि ठीक लागैत छौ..? सिया के जान आयल कतौह सँ. मुदा हड़बड़ में कोनो बहन्ने नहि सूझलै. मूड़ी झुकौने ठाढ़ छल. मुदा तखने किछु फुरेलै. ओ दाबल स्वर में बाजल, "राइत में तों हमरा गेरुआ नहि देलें सिरमा में से हमरा कैस कऽ माथ दुखैत अछि, आइ हम इस्कुल नै जेबौ". "नहि-नहि इस्कुल नहि नागा करी.. इ तऽ बकलेलक काज छै...अहाँ इस्कुल जाऊ, आइ राइत सँ हम पक्का अहाँ के सिरमा तऽर में गेरुआ देब". माँ के ई गप्प सुनि सिया के करेज बैस गेलै.

इस्कुल के बेर भेल, इस्कुल घर सँ सटले छलै तैं माँ अपने लऽ कऽ जैत छलखिन्ह. रस्ता में सिया के डेगे नहि उठैत छल. आन दिन सिया अप्पन बस्ता माँ के दऽ दैत छल आ आगू-आगू फुदकि कऽ चलैत छल. मुदा आइ... आइ बस्ता किन्नहूँ नहि देलक. बाजल जे रहऽ दही हमरा भारी नहि लागैत अछि. अंग्रेजिक सबक याद नहि हेबाक भय के बोझ तऽरे ओ एना दबल-सहमल जा रहल छल जे ओकरा इस्कुल के बेस-भारी बसतो हल्लुक लागैत छलैक. इस्कुल के मुख्य द्वार लग छोड़ि माँ आपस भऽ गेली. आब तऽ सिया के विरोग छूटै लगलैक. अंगा में नोर पोछैत ओ अपना कक्षा दिस विदा भेल. मुदा डेग ससरबे नहि करय. पहिले घंटी अंग्रेजिक छलय. आइ तऽ मैडम हाथ फुला देथिन्ह छौंकी सँ मारि-मारि कऽ. काल्हिये चेता देने छलखिन्ह जे जेकरा सबक नहि इयाद होमय से देह के मजगूत कऽ कऽ आबय. सिया के सक में किछ नहि छलय. ओ टुघरैत-टुघरैत अपना कक्षा में सभ सँ पिछला पाइंत में जा बैसल.

प्रार्थनाक उपरान्त सभ विद्यार्थी अप्पन-अप्पन स्थान धेलक. पहिल घंटी बाजल.. . "टन्न".. आ ओम्हर... सियाक करेजा.. "धक्क"..! नोरे-नोराम भऽ गेल छल. आंखि लाल भऽ गेल छलय कनैत-कनैत. अप्पन तरहत्थी के सेहो रगड़ि-रगड़ि लाल कऽ लेने छल. संगी-बहिनपा सभ कतबो पूछै, मुदा एकदम गुम भेल. ओकरा आँखिक सोझा तऽ बस अंग्रेजी वाली मैडम आ हुनकर हाथक बांसक पतरका हरियर करचिए टा नाचि रहल छलैक. कने कालक उपरान्त हिंदी वाली मैडम कक्षा में प्रवेश केलैन्ह.. सिया अकचकायल...! मैडम बजलथि, "आइ अहाँ सबहक अंग्रेजी वाली मैडम नहि आयल छथि तैं आइ अंग्रेजी हमही पढ़ायब. सिया के जानि कतय सँ एकदम फुर्ती आबि गेलैक... आंखि में चमक, ठोढ़ पर मुस्की आ मोन भय-मुक्त. ओ अप्पन बस्ता उठेलक आ झट दऽ अगिला पाइंत में जा कऽ बैस गेल. मुदा ई ठानि लेलक जे आइ के बाद कहियो बिना सबक पूरा केने इस्कुल नहि आयब, आ ताहू में अंग्रेजी के तऽ किन्नहूँ नहि...!!!

©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-०७.०८.२०१२)

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