बालकथा
1.दीना-भदरी
नेपालक मिथिलांचलमे अछि जोगियानगर जतए रहै छला दु भाइ- दीना आ भदरी। मुसहर जातिक रहथि आ खेती करैत छलाह।
पाँच-पाँच मोनक कोदारि छलन्हि आ बिगहा भरि जमीन तामि लै छलाह दिन भरिमे।
जोगियानगरक बगलमे जाँजर गाम छल। ओतुक्का जमीन्दार छल कनक सिंह आ ओकर पत्नी रहए बुधनी। बड़ बदमाश दुनू टा। बोनिहार केँ देखए नहि चाहैत छल।
कनक सिंहकेँ पता चललै जे दीना-भदरी लग पाँच-पाँच मोनक कोदारि छै आ ओ सभ बिगहा-बिगहा भरि जमीन तामि लै छथि दिन भरिमे। ओ जोगियानगर गेल आ दीना-भदरीकेँ अपन गाम बजेलकै खेतीक करबा लेल। दीना-भदरीकेँ कनक सिंहक बोनिहारमे कएल जा रहल अत्याचार बुझल रहै। मारि-मारि कऽ छूटलाह ओ दुनू गोटे कनक सिंहपर। भागल कनक सिंह।
बुधनीकेँ पता चललै। ओ सलहेस थान गेल। कठोर तपस्या केलक। सलहेस प्रकट भेलाह। -माँग की चाही!
-दीना-भदरीक प्राण।
-आह।
सलहेस मूर्छित भऽ गेलाह। मुदा वचनक हारल। की करताह?
रातिमे दीना-भदरीकेँ सपना देलन्हि सलहेस।
-कटैया बोन मे आऊ। बड्ड शिकार भेटत।
रातिएमे बिदा भेलाह दीना-भदरी, तीर-धनुष लेने। संगमे मामा बहुरन। रस्तामे नंगड़ागोड़िया गाम, ओतए रहैत छलाह हुनकर सभक दोस जीतन यादव। हुनको शिकारक लेल चलबाक लेल कहलन्हि।
अमावस्याक राति! अन्हार गुज्ज।
मुदा शिकार एक्को टा नहि। बादुर घुमैत। दीना एसगरे जंगलक बीचमे चलि गेलाह। ओतए ठाढ़ि छलि बुधनी, सलहेस सेहो संगमे छलाह।
बुधनी बाजल:
-बोनक जानवरक देवता सलहेस अपन खुनीमा बाघ बजाऊ।
दीना बाण चलेलन्हि मुदा बाण रस्ता बिसरि जाइत छल। मल्ल युद्ध भेल। दीना सलहेसक नाम लए आक्रमण कएलन्हि, बाघकेँ मारि देलन्हि।
बुधनी बजल- भेष बदलैबाली अपघात भेलि बाघिनकेँ बजाऊ।
सलहेस दीनाक वीरतासँ प्रसन्न छलाह मुदा करथि तँ करथि की?
बगराक भेष बना कए बाघिन आयलि आ नीनाकेँ अपन बिखाह चांगुरसँ मारि देलक।
तखने भदरीक मोन बिखिन्न सन भेलैक।
-बहुरन मामा। हम जा रहल छी भैया लग। अहाँ गाछपर बैसि कऽ प्रतीक्षा करू।
लहास लग पहुँचलाह भदरी मुदा ओ बहुरुपिया बगरा हुनको मारि देलकन्हि।
बुधनी घर घुरि गेलि।
दीना आ भदरीक आत्मा दु गोटेक शरीरमे पैस गेल। बहुरन लग पहुँचलाह दुनू गोटे।
-अहाँक दुनू भागिन मारल गेलाह। गाम खबरि करू। लहास लऽ जाऊ। श्राद्ध करबाऊ। तावत जीतन सेहो पहुँचि गेलाह। जीतन गाम लऽ गेलाह दुनू गोटेक लहासकेँ आ स्वयं अग्नि देलन्हि दुनू गोटेकेँ।
दीना-भदरीक माए निरसो। श्राद्ध लेल पाइये नहि। की करतीह?
सपना देलन्हि दीना-भदरी।
-माए। घरमे तूर अछि। बनीमा लग लऽ जाओ। ओकर बदलामे ओ जे देत ताहिसँ हमर श्राद्ध भए जएत।
बनीमा जोखलक तूरकेँ- हँसैत। एक दिस तूर आ दोसर दिस बताशा। मुदा ई की? भरि दोकानक समान तौला गेल मुदा तूरबला पलड़ा नहि उठल। दीना-भदरी बैसि गेल रहथि ओहिपर।
बनीमा हाथ जोड़ि कऽ ठाढ़ भए गेल। निरसो संग बोनिहार आ समान पठा देलक। जेवार देलन्हि निरसो। दीना-भदरी रूप बदलि बारिक बनलाह। सभकेँ पड़सिकऽ खुअओलन्हि।
तखने दीना असल रूपमे आबि गेलाह। हुनकर कनियाँ हंसा हुनका देखि लेलन्हि। निरसो केँ ओ ई गप कहलन्हि- मुदा ओ गप नहि मानलन्हि।
-अपन छाती सात तह कपड़ासँ बान्हि लिअ आ ओकरा लग चलू जे दीना बनि गेल छल।
निरसो ओतए गेलीह। दूध निकलि कऽ दीना-भदरीक मुँहमे चलि गेल आ ओ दुनू गोटे बिला गेलाह।
फेर दीना-भदरी बिदा भेलाह मोरंग। जोरावरसिंह केँ मारि मुसहरक उत्थान कएलन्हि। फेर ताहिरकेँ मारलन्हि। फेर सुनरियाकेँ मारलन्हि। फेर धारक कातमे मारलन्हि डैनियाही बुधनीकेँ। डेढ़ सए दुष्टक नाश केलन्हि दीना-भदरी।
सलहेस बजलाह:
-जतए-जतए हमर पूजा हएत, ततए-ततए अहाँक पूजा सेहो हएत।
सलहेस आ दीना-भदरीक गहमर संगे रहए लागल तहियासँ।
फेर दीना-भदरीकेँ मुक्ति भेटि गेलन्हि। परलोकमे सलहेस आ दीना-भदरी संगे रहए लगलाह।
2.अमर बाबा
कमला धारक जन्म भेलन्हि। िकसान आ मलाह सभक जीवन आनन्दित भऽ गेल।
कमला पैघ भेलीह। बैदला बदमाशक मोनमे खोट आबि गेलै। ओ चमार जाितक सरदार छल। ओ
बरजोड़ी कमलासँ िबयाह करऽ चाहलक।
मलाह लोकनिकेँ एहि गपक पता चललन्हि तँ ओ सभ भोला बाबाक तपस्या करए लगलाह।
-कमलाक सतीत्व बचाऊ महादेव।
भोला बाबा उपाय केलन्हि। िशवरा गामक मलाह परिवारमे अमरिसंहक जन्म भेल।
अमर िसंह पैघ भेलाह। अखराहामे मािट देलन्हि बैदलाकेँ अमर िसंह। युद्ध भेल आ बैदला मारल
गेल।
मलाह लोकनि बैदलाक खानदान नष्ट करए चाहै छलाह। अमरिसंह बैदलाक गभर्वती कनियाँ केँ मािर
देलन्हि मुदा ओकर बच्चा तखने जनमल छल मुदा छल ओ बड्ड बलवान। कमला िकछु भेद बतेलन्हि आ अमरिसंह बैदलाक बेटाकेँ मारलन्हि।
मलाह लोकनि अमर िसंहक गहमर बना कए आइयो पूजा करै छथि, कमला धारक प्रति श्रद्धानवत
भऽ कऽ।
3.मोतीदाइ
गाम उजैनी। गहिल माताक भगतिन मोतीदाइ। मोतीदाइ जाितक रजक। एक िदनक गप, बाड़ीमे
गोबर पािथ रहल छलीह मोतीदाइ। गुअरटोलीक जनानी सभ हुनका देिख कऽ बाजल।
-अपन माल-जाल भगाऊ नहि तँ सभटा माल-जाल बिसखि जाएत, बाँझ भऽ जाएत; जेना ई मोतीदाइ अछि।
मोतीदाइ दुखसँ भरि गेलीह। गहिल माताक गहमर गेलीह, पीड़ी खोदऽ लगलीह। गहिल माता प्रगट
भेलीह।
-ठीक छै। हम इन्द्रक दरबार जएब आ अहाँ लेल बच्चा माँगब।
इन्द्रक दरबार। गहिल माता अपन भगतिन लेल बच्चा मँगलन्हि।
इन्द्र िहसाब लगेलन्हि।
-पूर्व जन्मक फल छै। ओकरा बच्चा नहि िलखल छै।
गहिल माता घुरलीह। मोतीदाइकेँ ई सभ कहलन्हि।
-आह! तखन हमर जीवन िनरथर्क अछि। एहिसँ तँ मरबे नीक।
मरबाक सूरसार शुरू केलन्हि मोतीदाइ।
गहिल माता फेर इन्द्र लग गेलीह। सभटा गप कहलन्हि।
-ठीक छै। बच्चा तँ होएतन्हि मोतीदाइकेँ मुदा छठिहारी िदन ओ मरि जएतन्हि।
सैह भेल। छठिहारी िदन बच्चा मरि गेल। बाँझ होएबाक दुख मुदा खतम भेलन्हि। गहिल माताक
भगता ओ खेलाए लगलीह।
4.मीरांसाहेब
िडलरीनगर। एकटा सैयद छलाह ओतए। एकटा कनियाँ छलखिन्ह आ कैकटा बेटा
छलन्हि। लड़ाका सभ।
नूनजागढ़क युद्ध। मुदा एहिबेर सैयद आ हुनकर सभटा बेटा मारल गेलाह। मुदा हुनकर िवधवा
गर्भसँ छलीह। िकछु िदनमे बच्चा भेलन्हि। नाम राखल गेल मीरां।
ओहो लड़ाका, मुदा माएकेँ ई पसिन्न नहि। हुनकर िबयाह करबाओल गेल कमे बयसमे, जे मोन
युद्धसँ हँटतैक। मुदा..
माए आ कनियाँ बड्ड बुझेलखिन्ह मुदा मीरां असगरे नूनजागढ़ गेला आ बाप-भाएक बदला लेलन्हि आ
घुिर कऽ िडलरीनगर अएलाह।
हुनकर आत्माक प्रभावसँ िडलरीनगरमे हुनकर मृत्युक बादो बहुत िदन धिर शान्ति रहल।
5.िबहुला
चम्पानगर।
ओतए एकटा पैघ बनिजारा- चाँद सौदागर।
िशवजीक भक्त।
एक बेर िवषहारा मनसा सोचलक जे ओ कैलाश त्यािग मृत्युलोक आबि जाए। लोक ओकर पूजा
करत।
मनसा मृत्युलोक आयलि- चम्पानगर। चाँद सौदागरकेँ कहलक- हमर पूजा कर।
मुदा चाँद सौदागर िशवक भक्त। मना कऽ देलक।
मनसा क्रोिधत! चाँद सौदागरक सात टा बेटा। मनसा सातूकेँ कािट लेलक। सभ मरि गेल।
फेर एक बेर जहाजसँ अबैत रहए सौदागर चाँद। दूर देशसँ। मनसा जहाज डुमा देलक।
कंगाल भऽ गेल चाँद। मुदा तखने ओकरा एकटा बेटा भेलै। लखिन्दर नाम राखल गेलै ओकर।
चाँद सौदागर डरायल रहए से अखण्ड सौभाग्यवती कन्या िबहुलासँ बेटाक िबयाह करेलक
लखिन्दरक। आब की करतीह मनसा?
मनसा सपना देलन्हि चाँद सौदागरकेँ। कोहबरमे डसब तोहर बेटाकेँ।
पातर जालीसँ कोहबर बनबओलक चाँद। आब की करतीह मनसा?
मुदा मनसा पातरो सँ पातर भऽ गेलीह। कािट लेलन्हि आ लखिन्दर खतम।
मिथिलामे साँपक काटलकेँ केराक थम्हमे बान्हि देल जाइत अछि। बहि गेल लखिन्दर गंगामे।
मुदा िबहुला। ओही केराक थम्ह पर बैिस गेलीह पिताक संग।
संगम पहुँचैत गेलाह सभ, त्रिवेणी घाट! एकटा धोिबन कपड़ा खीिच रहल छलीह। बेटा कानए
लगलन्हि तँ ओकरा मािर कऽ कपड़ासँ झाँिप देलन्हि। फेर जाइ काल ओकरा िजया कऽ िबदा
भेलीह। पुछलन्हि िबहुला- तँ पता लागलन्हि जे मनसाक कृपासँ ई सम्भव अछि।
तप, तप तप। िबहुलाक तपसँ प्रसन्न मनसा लखिन्दर आ जेठ सातू भाँएकेँ िजया देलन्हि।
चाँद सौदागर प्रसन्न। चम्पानगरक लोक प्रसन्न। सभ मनसाक आ संगमे िबहुलाक पूजा करए लगलाह
तहियासँ।
6.मोतीसाएरि
मोरंग।
राजा भीमसेन। िनःसन्तान।
यज्ञ। कन्याक प्राप्ति। नाम मोतीसाएरि।
पैघ भेिल मोतीसाएरि।
-कुंडली देखू पंिडत।
पंिडत कुंडली देखलन्हि। एकरासँ जे िबयाह करत से एहि प्रपंचक सभटा सुखपर अधिकार करत।
सोचलन्हि-
-अद्भुत। एकरासँ जे हमहॴ िबयाह कऽ ली।
मुदा कहताह कोना?
-अहाँक बेटीक भाग्यमे अनिष्टे-अनिष्ट। अहाँ आ अहाँक राज्यक समापन भऽ जएत। अविलम्ब एकरा
राज्यसँ बाहर करू।
एकटा पैघ सन्दूकमे खेनाइ-िपनाइक सामग्रीक संग मोतीसएरि बन्द भऽ गेलीह। हुनका बहा देल गेल
धारमे। पंिडत चाहलक जे संदूक ऊपर कऽ ली। मुदा प्रवाह तेज रहै। बहि गेल संदूक। आ एकटा
बोनमे कात लागल।मोरंगक बोन। एकटा सरदार रहए गवल। बोनक सरदार। ओ मोतीसएरिकेँ बेटी
जेकाँ मानए लागल।
पंिडतकेँ एहि गपक पता लािग गेलैक।
राजाकेँ फेर सन्तान प्राप्तिक िललसा भेलैक। पंिडतसँ पुछलक।
-राजन्। मोरंग बोनक गवली सरदारक पुत्रीसँ जे अहाँक िबयाह भऽ जाए तँ पुत्रक प्राप्तिक योग
अछि!
पंिडत सोचलक जे बेटीसँ िबयाह केने ओकरा राज्यसँ च्युत कऽ देल जएतैक। आ फेर पंिडत राजा
बनि सकत।
गवलसँ भयंकर युद्ध। भीमसेन हािर गेल।
भीमसेन पंिडतसँ मंत्रणा कए यादव जाितक सरदार कृष्णारामकेँ बजेलन्हि।
-गवलक बेटीकेँ आनि कऽ िदअ आ अदहा राज्य लऽ जाऊ।
बुझेलक गवलकेँ कृष्णाराम, मुदा गवल नहि मानल। आक्रमण केलन्हि कृष्णाराम मुदा नहि हारल
गवल। मरछौर िछटवा देलन्हि कृष्णाराम। मोतीसाएरिकेँ भीमसेन लग पहुँचा देलन्हि आ आधा मोरंग
भेिट गेलन्हि कृष्णारामकेँ।
मुदा जखने िबयाहक प्रस्ताव देलन्हि भीमसेन मोतीसाएरि शाप देलन्हि आ अपने अन्तर्धान भऽ गेलीह,
मोक्ष भेटलन्हि हुनका। भीमसेनक राज्य खतम भऽ गेल।
७.माधव सिंह आ अमता गाम
मिथिलामे माधव सिंहक राज्य छल तखने भयंकर दुर्भिक्ष आयल।डबरा-चभच्चा धरि सुखा गेल। दरबार बजाओल गेल।
-राजन्। नेपालक दरबारमे रामनवाज, सीताराम, राधाकृष्ण आ करताराम चारि संगीतज्ञ छथि आ चारू भाइ छथि। हुनकर संगीतमे जादू छन्हि। ओ संगीतसँ बरखा करबा सकै छथि।
नेपालसँ आग्रह कएल गेल तँ ओ राधाकृष्ण आ करतारामकेँ मिथिला दरबारमे पठेलन्हि। ई दुनू गोटे ध्रुवपदक प्रसिद्ध गबैय्या छलाह। जखन ई दुनू भाँए पखावजी भीम मल्लिकक संग राग मेघ मल्हारक सुरक नोम-तोम पूर्ण केलन्हि तँ घटा आबि गेल। बन्दिश प्रारम्भ भेल आ भीम मल्लिक पखावजपर थाप देलन्हि तँ बुन्नी पड़ए लागल। फेर बरखाक पानि दरबार आबि गेल। चारू दिस दूत पठाओल गेल जे कतहु रुक्ख तँ नहि अछि। आ जखन ई पता लागि गेल जे कतहु रुक्ख नहि अछि तखन जा कऽ गायन खतम भेल।
राजा हुनका सभक लेल अमता गाममे घर बनबा देलन्हि आ ओहि गाममे खीरीक गाछ लगबा देलन्हि जकर फरमे दूध भरल रहैत छल।
राजा अमता गाम ध्रुवपदक आनन्द लेबाक लेल जाइत रहैत छलाह। मृत्युकालमे राजा ध्रुवपद सुनबाक लेल अमता गाम बिदा भेला मुदा रस्ते मे हुनकर मृत्यु भऽ गेलन्हि।
८.उगना
विद्यापति शिवक भक्त छलाह। हुनकर नचारी सुनि कऽ शिव कैलासमे नाचए लगैत छलाह आ एक बेर ओ निर्णय लेलन्हि जे ओ विद्यापतिक घरमे नोकर बनि रहताह।
विद्यापतिक पत्नीक नाम चन्दन छलन्हि आ शिव जखन नोकरक भेषमे उगना बनि पहुँचलाह तँ विद्यापति पत्नीक सहायता करबाक लेल उगनाकेँ नोकर राखि लेलन्हि।
एक बेर विद्यापति कतौ जाइत छलाह। उगना संगमे छलन्हि। रस्तामे गुमारसँ विद्यापति बेकल छलाह, पियास लागि गेलन्हि। मुदा पानिक कतहु पता नहि। उगना सेहो पानि लेल चारू दिस घुमल आ घुमि कऽ आयल तँ विद्यापतिकेँ मूर्छित देखलक। तखन उगना अपन असली रूपमे आबि कऽ जटाक गंगधारसँ पानि निकालि विद्यापतिकेँ पियेलखिन्ह। विद्यापतिकेँ होश अएलन्हि, मुदा गंगाजलक स्वाद ओ परखि लेलन्हि। उगनाक केश एखनो भीजल छल ओ बुझि गेलाह जे ई साक्षात् शिव छथि। शिव अपन असली रूपक दर्शन विद्यापतिकेँ देलखिन्ह।विद्यापतिकेँ दुख भेलन्हि जे ओ शिवकेँ नोकर राखलन्हि मुदा शिव तँ विद्यापतिक नचारीक भूखल। कहलखिन्ह जे अहाँक गीत सुनबाक लेल हम नोकर बनि कऽ रहब मुदा जहिये अहाँ ई भेद खोलि देब तहिये हम अन्तर्धान भऽ जएब।
एम्हर पार्वती दुखी छलीह। से एक दिन जखन चन्दन विद्यापतिकेँ तेतरि अनबाक लेल पठेलन्हि तँ पार्वती सभटा तेतरि पहिनहिये तोड़बा लेलन्हि। उगनाकेँ एकोटा तेतरि नहि भेटलन्हि आ जखन ओ घुरलाह तँ तामसमे चन्दन बाढ़नि लऽ कऽ छुटलीह। विद्यापतिकेँ ई देखल नहि गेलन्हि आ ओ हा शिव! कहलन्हि आकि शिव अन्तर्धान भऽ गेलाह। तकर बाद कतेक दिन धरि विद्यापति विक्षिप्त रहलाह।
9.चूहड़मल आ ओकर रेशमा
मोकामा घाट।
चूहड़मल गरीब बोनिहार, जातिक दूधबंसी (दुसाध)।बापक नाम राजवंसी, माताक अंजनी आ काकाक नाम बैसीराय । अखरहाक वीर।
रेशमा पाइ बला बाप अजबी सिंहक बेटी, अजय सिंहक बहिन। भुमिहार ब्राह्मण जातिक।
एक दिन भेँट भेलै गंगा धारक कातमे तँ ओकरा देखिते रहि गेलीह रेशमा। प्रेम व्यक्त कऽ देलन्हि। कतबो बुझाबथि चूहड़मल मुदा गप बुझबे नहि करथि। भेँट करबा लेल आबि जाथि।
पहरा पड़ि गेल रेशमापर।
रेशमाक भाइ अजय सिंहक कहलापर गड़ेरिया रामजीत आ मन्ने खाँ बिदा भेलाह चूहड़मलक गरदनि कटबाक लेल। मुदा आहि रे ब्बा। कथी ले से होएत उनटे चूहड़मल तरुआरिसँ गरदनि काटि लेलक गड़ेरिया रामजीत आ मन्ने खाँक।
आक्रमण। दूधबंसी टोलपर।
मुदा रेशमा गेल बाप अजबी सिंहक लग आ रोकबेलक आक्रमण।
गेलि रेशमा सखी-बहिनपा रामसखीक संग फेर चूहड़मलसँ भेँट करबा लेल, गंगाक तटपर। रामसखी जादूसँ दऽ आयल रेशमाकेँ चूहड़मल लग। जादूक असरिसँ क्यो रेशमाकेँ देखि नहि सकल। घोड़ापर दुनू गोटे मोकामा टाल लग काली मन्दिर गेलाह, चूहड़मल अपन शोनितसँ रेशमाकेँ सिन्दूर देलक, , पुरहित आशीष देलक। मुदा घेरि लेल गेलाह। महुक गाछपर बैसा देलक रेशमाकेँ चूहड़मल। भयंकर युद्ध, मुदा चूहड़मल जितय बला रहए तखने कलुआ सिपाही रेश्माकेँ लऽ कऽ भागि गेल। दौगल चूहड़मल, घोड़ापर चढ़ि कऽ, मुदा घोड़ा मारल गेल आ रेशमा-रेशमा करैत चूहड़मल मरि गेल।
बचल अछि स्मृति टा मात्र, रेशमा आ चूहड़मलक, मोकामा टालक रेशमा-चूहड़मल मंदिरमे, जतए सभ बरख लगैए मेला।
१०.मूँगा आ जालिम सिंह
बेतिया राज।
जालिम सिंह, राजपूत, सिपाहीक सरदार । एक दिन इनार पर पानि भरैत देखलक मूँगाकेँ जे रहथि दूधबंसी (दुसाध)। पानि पिएबाक प्रार्थना कएलक जालिम मुदा भागि गेलीह मूँगा।
बेतिया राजाक मुँहलग्गू पृथ्वीपाल सिंह दुष्ट। जालिम सिंहक विरुद्ध कुचक्रमे लागल रहै छल। मुदा मलाह पट्टू जालिमक संगी। एक बेर आक्रमण करबेलक पृथ्वीपाल तँ पट्टू सभ टा आक्रमणकारीक मूड़ी काटि लेलक। पृथ्वीपाल राजाक कान भरए लागल, अनर्गल गप सभ, मूँगाक विषयमे सेहो। राजा खिसिया गेलाह जालिमपर।
गुरु मौनी बाबालग जालिम पट्टूक संग गेल।
-छोड़ि दे मूँगाक संग।
मौनी बाबाक गप सुनि जालिम हतप्रभ।
भवानीक नाम लऽ पट्टू मलाह खून कऽ देलक पृथ्वीपालक। मुदा पृथ्वीपालक लोक सभ घेरलक पट्टूकेँ आ ओकरो मारि देलक।
एम्हर मूँगाकेँ पठा देल गेल बेतियाक बोनमे, कनुआ दुसाध लग। मूँगाक भौजीक भाए छल कनुआ। सवा मोन दूध आ एकटा खस्सी रोजीना खाइ छल। महीसपर सबारी करै छल। आ महीसो तेहन जे बाघक शिकार करै छल। बोनक देवी लग बान्हल छलीह मूँगा आ खाँड़ासँ मूड़ी काटत ओकर कनुआ। तखने आएल जालिम आ भालासँ प्राण लेलक कनुआक महीसक। फेर युद्ध आ कनुआ मारल गेल। ओतहि सिनूर देलक जालिम, पुरहित आशीष देलक। अनलक गामपर, कहलक जे ई क्षत्राणी छी। मुदा जालिमक भाए कुँअरकेँ पाता लागि गेलै जे मूँगा दूधबंसी छी। माए मुदा जालिमक संग देलन्हि। मुदा एक दिन भाइ सभ जालिमपर आक्रमण कए भागि जाइ गेलाह। मूँगा अएलीह तँ वरकेँ जालिमक दोस भैरवक घर बिदा भेलीह। मुदा रस्तेमे मूँगा वरक हालत देखि कऽ वैद्य लग रुकि गेलि। मरहम-पट्टी भेलै जालिमक। फेर कनैत-कनैत माए आ भाए सभ अएलाह आ जालिम आ मूँगाकेँ घर लए गेलाह। सभ हँसी-खुशी रहए लगलाह।
ब्राह्मण आ ठाकुरक कथा
देबीगंज एकटा नगर छल आ ओहि नगरमे एकटा ब्राह्मण रहैत छल। हुनका भगवान श्री सत्यनारायणक पूजाक निमंत्रण दूरसँ आएल रहए। ब्राह्मण असगर रहए आ जएबाक ओकरा दुरगर छल, से ओ अपन नगरक एकटा ठाकुरक बच्चाकेँ संग कएलक। ठाकुरक बच्चा बाजल, जे पंडीजी हम तँ अहाँक संग जाएब, मुदा एकटा गप अछि। जतए कतहु हमरा कोनो गप गलत बुझाएत, ओतए अहाँकेँ हमरा बुझा देमए पड़त, नहि तँ हम अहाँक संग नहि जाएब। पंडितजी कहलन्हि जे चलू बुझा देब।
ब्राह्मण आ ठाकुर चलल। चलैत-चलैत ओ दुनू गोटे एकटा धारक लग पहुँचल। ओकरा सभकेँ धार टपबाक रहए से ओतए ठाढ़ भए ओ सभ कपड़ा खोलि तैयार भेल तँ ठाकुरक बेटा धारमे देखलक जे एकटा लहास धारमे मरल-पड़ल छै आ भाँसि रहल छै। ओ स्त्री छलि, ओ भँसना बालु-रेतक छल आ ओ ओजनसँ भाँसि रहल छलि। ठाकुरक बेटा ई देखि कए बाजल -– पंडित ओ देख, ओ लहास भाँसि रहल अछि, ओ तीन जान बहुत आश्चर्य अछि। पंडितजी अहाँ हमरा बुझा दिअ नहि तँ हम घुरि कए चलि जाएब। पंडितजी खिस्सा कहए लगलाह।
देख बच्चा। अपन गाम लग के.नगरक राजा छल । ओहि राजाक एकटा बेटा रहए। ओकर बियाह ओही स्थानपर भेल, जतए हम सभ चलि रहल छी।
बादमे अपन नगरक राजा मरि गेल । ओकर बेटा राजकेँ सम्हारि नहि सकल आ राजकेँ बन्हक लगा देलक। ओकर सासुरमे पता लगलैक, जे राजा राजपाट बन्हक लगा देने अछि आ आब द्विरागमन करेबा लेल ओकरा लग पाइ नहि छै, तँ बड्ड मोश्किल भए गेलैक।
एक दिन ओकर सासुरमे भगवानक पूजा भए रहल छलैक। ओहि दिन ई गरीब राजा साँझमे पहुँचल तँ पूजा भए रहल छल। ई ओतए गेल तँ कियो ओकर खोज-पुछारी नहि कएलक। ओतहि ओ कातमे बैसि गेल। पूजा समाप्त भेल आ सभ कियो प्रसाद खा कए अपन-अपन घर गेल आ घरबारी सभ सेहो खा-पीबि कए सूति गेल। एहि बेचारोकेँ क्यो नहि पुछलक आ ओ ओही स्थानपर सूति गेल। रातिक जखन बारह बाजल तँ ओकर स्त्री उठि गेल आ अपन घोड़सनीयाँ लग गेल। ओतए सुतबाक कोनो ब्यबस्था नहि छल। एकटा खाट रहए जाहिमे ती टा टाँग रहए। एकटा टाँग कतएसँ लगाओत। लड़की आएल आ ओहि लड़कासँ पुछलक जे तूँ किछु खेने छह। लड़का कहलक नहि। बेचारा भूखक मारल बचल भोजन खएलक। ओहू समय लड़की अपन पतिकेँ नहि चिन्हलक। ओकरा कहलक जे चल आ जाहि खाटक एकटा टाँग टूटल छल ओही खाटमे एक दिस लगा देलक आ दुनू घोड़सनियाँ आ ओ लड़की सूति गेल। ओकर सुतलाक बाद लड़काकेँ कियो स्वप्न दैत अछि। ई राजाक बेटा, तूँ अपन घर जो, ओतए तोहर पिताक कोचक नीचाँ चरि घाड़ा द्रब छहु। ओहिमेसँ एक घाड़ा बेचि कए अपन राज छोड़ा लिअ। ई सपना सुनि राजाक बेटा स्थिरेसँ खाट राखि, अपन घर आपस आबि गेलि। ओ अपन राज बन्हकीसँ छोड़ा लेलक। पहिने जेकाँ भए गेल। जखन ओकर सासुरमे ई पता चलल, जे राजा पहिने सँ बेशी नीक भए गेल अछि तखन ओ सभ राजाकेँ खबरि कएलक जे अहाँ अपन द्विरागमन करबा लिअ। राजा दिन लए कए गेल आ ओही लड़कीकेँ गौना करा कए लए अनलक। राजा ओकरा एकटा खबासनीक संगे खेनाइक सभ समान दए एकटा कोठलीमे बन्न कए देलक। ओ खेनाइ खाइत छल आ ओही कोठलीमे रहैत छल, मुदा राजा ओतए नहि जाइत छल। जखन किछु दिन बीति गेल तँ एक दिन रानी खबासनीकेँ पठओलक, राजाकेँ बजेबाक लेल। राजा आएल तँ रानी कहलक जे अहाँ हमरा गौना करा कए अनलहुँ आ एहि कोठलीमे बन्न कए देने छी। अहाँ अबितो नहि छी। राजा कहलक जे ओ घोड़सनियाँ नहि छी, जे टूटल खाटक एक पएर वैह रहए। आ बाँचल भोजन हम खएने रही। आ फेर वैह ऐंठ खाए लेल हमरा कहलहुँ।
ई सुनि लड़की बहुत लज्जित भऽ गेलीह। भोर भेल आ ओ खबासनीसँ कहलक जे तूँ रह, हमर व्रतक दिन अछि आ हम धारसँ नहा कए अबैत छी। ओ सभटा कपड़ा खोलि धारमे फाँगि गेल। भसना भाठी जे भसैत अछि, जान ई ठाकुर, वैह लड़की अछि। चलू हमरा सभ आगाँ।
दोसर
ब्राह्मण आ ठाकुर ओइ धारक कातसँ बिदा भेल। धारकेँ पार करैत आ चलैत-चलैत ओ सभ एकटा पैघ गाममे पहुँचलाह। ओहि गाममे बड्ड भीड़ लागल रहए। ठाकुरक लड़का जा कए देखए लागल तँ ओ देखलक जे एकटा बकरीक बच्चा बान्हि कए राखल छल आ जे कियो अबैत रहए से ओहि बकड़ीक बच्चाकेँ दू लात मारैत छल। ठाकुरक बच्चा सोचलक जे ओ बकड़ीक बच्चा कोनो एक-दू गोटेक फसिल खा लेने होएत, मुदा तखन सभ मिलि कए किएक ओकरा मारि रहल अछि। ओ ब्राह्मणसँ पुछलक जे ई गप बुझा कए कह, तखन हम सभ आगू बढ़ब। ब्राह्मण पहिने ई गछने छल, जे जखन ओ कहत ओकरा बुझा कए कहत। ओही स्थानपर बैसि कए ब्राह्मण खिस्सा कहए लागल।
सुन ठाकुर हम आब खिस्सा कहैत छी। लोदीपुर एकटा नगर छल। ओहि नगरक राजा प्रताप सिंह रहए। हुनकर एकटा लड़का छल आ ओही गाममे एकटा ठाकुरक लड़का सेहो रहए। दुनूमे खूब दोसतियारी चलैत रहए। किछु दिनुका बाद दुनू दोस्त बिचार कएलक जे दुनू दोस्त घोड़ा कसा कए जंगल शिकार लेल जाए। तकर बाद दुनू दोस्त घोड़ापर सवार भए बिदा भेल आ घनघोर जंगल पहुँचि गेल। शिकार खेलाइत साँझ भए गेल आ दुनू दोस्त विचार कएलक जे आब हम सभ घर नहि जा सकब, से अही बोनमे राति काटि भोरमे घर चलि जाइ। ओतए एकटा बड्ड पैघ गाछ रहए, तकरे नीचाँमे ओ सभ रुकि गेल आ घोड़ाकेँ ओतए बान्हि दुनू दोस्त सूति गेल। सुतलाक बाद राति बारह बजे एक जोड़ा बीध-बीधीन ओहि गाछक ऊपर बैसि गेल। बीधीन मूड़ी उठा कए जे नीचाँ देखलक तँ ओहि दुनू दोस्तपर ओकर नजरि पड़लैक। बीधीन कहलक जे देखू कतेक सुन्दर अछि राजाक बेटा। बीध कहलक जतेक सुन्दर ई राजाक बेटा अछि, ततबे सुन्दर लालपरी कन्या अछि, दुनूक जोड़ी बड्ड सुन्दर होएत। बीधीन कहलक जे अहाँ तँ स्वयं विधाता छी। दुनूक जोड़ी लगेनाइ अहाँक काज छी। बिधाता ओहि दुनूकेँ ओतएसँ सुतलेमे उठा कए ओहि लालपरी कन्या लग पहुँचा देलक। राजा आ कन्या एक पलंगपर आ ठाकुर दोसर पलंगपर। भोर भेलापर निन्द टुटल, तँ लालपरी बगलमे राजाक लड़काकेँ देखलक, तँ खूब प्रसन्न भेल। ओकरा पलंगपर एकटा सिन्दूरक पुड़िआ राखल छल। परी कहलक जे ऊपरबला हमर आ अहाँक जोड़ी मिला देने अछि। आब देरी कोनो बातक नहि। राजाक लड़का आ लालपरी कन्या दुनूक ओतए बियाह भए गेल। किछु दिन धरि ओ ओतए रहल आ तकर बाद राजाक बेटा अपन ससुरारिसँ बिदा भेल । किछुए दूर आगाँ गेलाक बाद कन्याकेँ एकटा गप मोन पड़लैक। ओ अपन पतिसँ कहलक- हमर पिताकेँ चोला माने जीब बदल क मंत्र अबैत छन्हि। अहाँ हुनकासँ जा कए सीखि लिअ। ओतए दुनू डोली रोकि कए दुनू दोस्त ओकर पिताजी लग गेल आ जा कए कहलक जे हमरा सभकेँ चोला बदलबाक मंत्र सिखा दिअ। ओहि मंत्रकेँ दुनू दोस्त सीखि लेलक मुदा मंत्र सिखलाक बाद ठाकुरक बेटाक मोनमे खोट आबि गेलैक। तकर बाद एक डोलीपर राजाक बेटा आ परी आ दोसर डोलीपर ठाकुरक बेटा बिदा भेलाह। लालपरी पतिसँ पुछलक जे अहाँ चोला बदलबाक मंत्र सीखि लेलहुँ। तँ राजाक बेटा कहलक-हँ। तँ परी कहलक जे एकर परीक्षा करू। राजाक बेटा कहलक जे आगाँ चलू। चलैत-चलैत ओ सभ कनी आगाँ बढ़लाह। आगाँ एकटा सुग्गा मरल पड़ल रहए। ई सभ गप ठाकुर सुनैत जा रहल छल। जहिना राजाक बेटा सुगाक भीतर पैसल, ओही समय ठाकुर मंत्र पढ़ि राजाक पिंजरामे पैसि गेल। ई सभ परी देखलक। एक डोलीपर मात्र ठाकुरक लहाश पड़ल छै आ एक पर परी आ ओ ठाकुर राजा बनि जा रहल अछि आ राजाक जीव सुग्गा बनि उड़ि गेल। ठाकुरक लहाश फेकि ओ ठाकुर राजा बनि गेल आ ओकर पिंजड़ामे जा कए ओहि लालपरीकेँ दखल कए लेलक। लालपरी कन्या ई बुझि गेल, जे ई हमर पति नहि अछि। ठाकुर राजा अपन महलमे जा कए रहए लागल आ एहि विषयमे ककरो बुझल नहि रहैक। ठाकुर राजा कन्यासँ कहलक जे आब हम सभ सुखी निन्दक राति बिताएब। परी कहलक जे एखन नहि। एखन हमर एकटा कौल बाँकी अछि। ओ पूरा कए लेब तकर बाद। ठाकुर राजा कहलक जे की कौल अछि अहाँ पूर्ण कए लिअ। परी कहलक जे हमरा एकटा मन्दिर बनबा दिअ जबुनाक तटपर। हम बारह बरख सदाव्रत बाँटब। तकर बाद राजा सोचलक जे आब हमरा छोड़ि कए ककरो ई नहि होएत ताहि लेल हम एकटा उपाय करैत छी, कि एहि बोनमे जतेक सुगा अछि ओहि सभकेँ मारि दैत छी। ठाकुर राजा ई सोचि शिकारीकेँ मँगबेलक आ ओकरा कहलक जे एहि जंगलमे जतेक सुगा अछि, ओकरा पकड़ि कए आन हम तोरा एक सुगाक एक टाका देबहु। शिकारी सुग्गा बझबए लागल आ राजाकेँ देमए लागल। राजा सभ सुगाकेँ मारि कए फेंकि दैत छल। एक दिन शिकारी सुगा बझा कए ओही जबुनाक किनार धए आबि रहल छल, तँ परीक नजरि ओहि शिकारीपर पड़ल। ओकरा माथमे ओ गप मोन पड़लैक, तँ ओ शिकारीकेँ बजेलक आ पुछलक जे अहाँ ई सुग्गा ककरा दैत छी। ओ कहलक जे ई सभ सुग्गा हम अही राजाकेँ दैत छी। परी पुछलक जे राजा तखन एकर की करैत अछि। शिकारी कहलक जे ओ एकरा सभकेँ मारि कए फेकि दैत अछि। परीकेँ ई सुनि कए माथ दुखाए लगलैक। ओ शिकारीकेँ पुछलक जे राजा एक सुगाक कतेक कए पाइ दैत अछि। शिकारी कहलक जे एक सुगाक ओ पाँच टाका दैत अछि। परी कहलक जे आइसँ सभ सुगा हमरा देल कर, हम एक सुगाक दस टाका देल करब। ओहि दिनसँ सभ शिकारी परीकेँ सभ सुग्गा देमए लगलाह। परी सभ सुगासँ पूछथि जे अहाँ चोला बदलबाक मंत्र जनैत छी, एहि तरहेँ ओ बहुत रास सुगाकेँ पुछैत गेलीह आ छोड़ैत गेलीह। ओहिमे सँ एकटा सुग्गा बाजल- हँ, हम चोला बदलबाक मंत्र जनैत छी। ओहि सुगाकेँ परी अपना पिजरामे बन्न कए लेलन्हि आ एकटा छोट बकड़ीक बच्चा कीनि कए राखि लेलन्हि। कनेक दिनका बाद बारह बरखक समय पूर्ण भऽ गेल । ठाकुर राजा अपन डोली कहार पठेलक आ ओतएसँ परीकेँ अपन महलमे आपस अनलक। परी जतए रहैत छल, ओतए ओ बकरीक बच्चा राखि लेलक आ सुतबाक काल ओहि बकड़ीक बच्चाकेँ मारि देलक। खेनाइ धरि नहि खएलक आ कानए लागलि। राजाकेँ एहि गपक पता लागल जे रानी खेनाइ धरि नहि खएने छथि आ कानि रहल छथि। राजा आएल आ पुछलक जे अहाँ किएक कानि रहल छी। खेनाइ किएक नहि खएने छी। परी ठाकुर राजासँ कहलक- हम कोनाकेँ खाएब, ई जे बकरीक बच्चा मरि गेल, तँ हम आब जीवित नहि रहब। जाधरि ई बकरीक बच्चा नहि खाइत छल, ताधरि हम नहि खाइत छलहुँ। ई मरि गेल से आब हमहूँ मरि जाएब। ओम्हर सुगा देखि रहल छल, एम्हर ठाकुर राजा विचलित भऽ रहल छल। राजा सोचि कए कहलक जे अहाँ चुप रहू, बकरीक बच्चा जीवित भए जाएत। एतेक कहलापर परी चुप भए गेलि आ जहिना राजा अपन चोला बदलि ओहि बकड़ीमे पैसल तखने सुगा अपना राजाक पिंजरामे चलि गेल। सुगा जेहेने-तेहने पड़ल रहि गेल आ ठाकुर राजा ओही बकड़ीक पिंजरामे चलि गेल।
सुनलहुँ, बकड़ीक बच्चा वएह ठाकुर राजा अछि आ जे क्यो अबैत अछि ओकारा दू लात मारैत अछि।
तेसर
ब्राह्मण आ ठाकुरक लड़का ओतएसँ चलल। चलैत-चलैत किछु दूर गेल तँ एकटा नगरमे पहुँचल। ओहि नगरक बीच चौबटियापर बड्ड भीड़ रहए। लोकक ई भीड़ देखि कए ठाकुरक लड़का दौगि कए गेल आ देखलक जे ओहि चौबटियापर एकटा अस्सी बरखक बुढ़ियाकेँ फाँसी देल जा रहल अछि। ठाकुरक लड़का सोचलक जे ओ बुढ़िया ककरो घरमे जा कए भूखमे कोनो अनाज वा भात रोटी खएने होएत, से ओकरा फाँसीक सजा भऽ रहल छै। ठाकुरक लड़का पुछलक- पंडितजी एहि गपकेँ हमरा कहि कए बुझा दिअ। पंडितजी कहलक जे चलू रस्तामे अहाँकेँ बुझा देब। बच्चा कहलक जे नहि, एतहिये हमरा कहि कए बुझा दिअ, नहि तँ अहाँक संग हम नहि जाएब। ब्राह्मण कहलक ठीक अछि। सुनू ठाकुरक बच्चा, बैसू, हम बुझबैत छी।
-बिराटनगरक बिराट राजा छलए। हुनका एकटा मन्त्री छलन्हि। राजाक लड़का आ मन्त्रीक लड़काकमे दोस्तियारी चलि रहल छल। एक दिन दुनू दोस्त विचार कएलक आ जंगलमे शिकार खेलाइ लेल तैयार भेल आ घोड़ा कसेलक। बोनमे शिकार खेलाइत-खेलाइत साँझ भए गेल आ ओही बोनमे एकटा बड्ड पैघ गाछ छल। दुनू गोटे ओहि गाछपर चढ़ि कए सूति गेल। मंत्रीक बेटा सोचलक जे ई राजाक बेटा अछि। कहियो गाछपर नहि सूतल अछि, से ओ कतहु खसि नहि पड़ए, से सोचि ओकरा ओ गमछासँ बान्हि देलक आ ओ दोसर ठाढ़िपर चलि गेल। बारह राति बाजल तँ बोनमे एकटा बड़ पैघ साँप निकलल आ ओहि गाछक लग आबि अपन मणी निकालि कऽ राखि देलक आ ताहिसँ इजोत होमए लागल। सर्प चरए लागल। ओहि इजोतकेँ मन्त्रीक बेटा देखलक आ तकर बाद ओ आस्ते सँ गाछक जड़िमे अपन तलवार ठाढ़ कए देलक आ फेर ऊपर चढ़ि गेल। जाहि ठाम मणी जरि रहल छल ओकर सोझाँ ठाढ़िपर जा कए गमछा दोबर कए ओहि मणीपर खसा देलक। मणी झँपा गेल आ अन्हार भऽ गेल। साँप व्याकुल भए गेल आ ओ गाछक जड़िमे अपन पुच्छी पटकि-पटकि कए टुकड़ा-टुकड़ा भए गेल। भोर भेल तँ ओ अपन दोस्त राजाक बेटाकेँ जगेलक आ कहलक जे दोस अहाँ तँ सूति गेल रही। नीचाँ देखू की भेल अछि। नीचाँमे गमछा उघारि मणी लए ओ दुनू दोस बिदा भेल। ओहि बोनमे एकटा पैघ पोखरि रहए। दुनू दोस्त विचारलक जे अही पोखरिमे एकरा धोबि कए साफ कए ली। राजाक बेटा नीचाँ हाथ राखलक आ मन्त्रीक बेटा ऊपरमे हाथ राखि कए ओकरा साफ करए लागल। ओ मणी तखने दुनू दोसकेँ खेंचि लेलक आ ओतए लऽ गेल जतए नागवत्ती कन्या रहए। नागवत्ती कन्या ओकरा सभकेँ देखलक तँ कहलक जे अहाँ सभ हमर पिताकेँ मारि देलहुँ तँ हम कहिया धरि कुमारि रहब। कन्या कहलक जे अहाँ हमरासँ बियाह कए लिअ। मन्त्रीक बेटा राजाक बेटाक बियाह ओहि कन्यासँ करेबाक निर्णय कएलक तँ राजाक बेटा कहलक जे यावत ढोल बाजा पालकी नहि आनब, बियाह कोना होएत। मन्त्री-वजीरक बेटा ढोल-बाजा-पालकी अनबा लेल बिदा भेल। दोसर दिन १२ बजे दिनमे नागवती कन्याँ पोखरिमे नहा रहल छलीह, तखने ठगपुर नगरक राजाक लड़का शिकार खेलेबा लेल जंगलमे आएल रहए। गरमीक मास छल, ओकरा बड़ जोरसँ पियास लगलैक तँ ओ ओही पोखरिमे गेल। जखने ओ ओहि कन्याकेँ देखलक तँ मूर्च्छा खा कए खसि पड़ल आ कन्या पोखरिक भीतर चलि गेलि। जखन ओकरा होश अएलैक तँ ओहि कन्याकेँ ओ नहि देखलक। ओहि समयसँ राजाक बेटा अपन घर जा कए पागल भए गेल। ई समाचार ठगपुरक राजाकेँ पता चललैक तँ ओ बड्ड उपाय कएलक मुदा ओकर बिमारी नहि ठीक भेलैक।
राजाकेँ बड्ड चिन्ता भऽ गेलैक। राजा अपन राज्यमे ढोलहो पिटबा देलक जे, जे क्यो हमर बेटाकेँ ठीक कए देत ओकरा राज्यक एक हीस दऽ देल जाएत आ डाला भरि सोनाक संग अपन बेटीक संग ओकर बियाह सेहो ओ करा देत। ई सुनि मारते रास लोक आएल मुदा ओ ठीक नहि भेलि। ओही गाममे एकटा बुढ़िया रहैत छलि, महागरीब। ओ करीब-करीब अस्सी बरिखक रहए। ओहि बुढ़ियाक एकटा बताह बेटा रहए। ओ बुढ़िया ओहि राजाक बेटाकेँ ठीक करबा लेल तैयार भेलि। राजा ओकरा आदेश देलक जे जो, आ हमर बेटाकेँ ठीक कर गऽ। तखन तोरे इनाम सेहो भेटतौक आ अपन बेटीक संग हम तोहर बेटाक बियाह सेहो करबा देबौक। बुढ़िया गेल आ राजाक लड़काकेँ एकटा कोठामे बन्न कए देलक आ अपने सेहो ओहि कोठामे चलि गेल। बुढ़िया राजाक बेटासँ पुछलक, मुदा ओ कोनो उत्तर नहि देलक। तखन बुढ़िया ओकर दुनू गालमे दू चमेटा मारलक आ तकर बाद ओ बाजल, जे हम जंगलमे शिकार खेलाइ लेल गेल छलहुँ। ओतए एकटा पोखरिमे पानि पीबा लेल गेलहुँ, तँ एकटा बड्ड सुन्दरि स्त्रीकेँ देखलहुँ आ हम बेहोश भए गेलहुँ। होश अएलापर देखलहुँ जे ओ लड़की बिला गेलि। तखनेसँ हमर मोन बताह भऽ गेल, जे कहिया ओ लड़की हमरा भेटि जाए। ओ बुढ़िया कहलक जे ओहि लड़कीकेँ हम आनब। एखनसँ तूँ ठीक रह, ओकरा आनब हमर काज छी। बुढ़ियाक कहलापर ओ चुप भऽ गेल आ बुढ़िया राजाकेँ कहलक जे हमर संग पाँच टा सखी-सहेली चाही आ ओहि बिमारीकेँ हम ठीक करब। राजा पाँच टा सखी देलक आ बुढ़िया ओकरा सभकेँ लऽ कए बिदा भेल। ओ बोन दिस गेल, जतए ओ पोखरि रहए आ ओकर चारू दिसन ओ सभ नुका गेल। जखन दिनक बारह बाजल तँ ओ लड़की पोखरिसँ निकलल आ ओहि पोखरिक महारपर बैसि कए नहाय लागल। बुढ़िया जंगलसँ बहार भेल आ कन्याक बगलमे नहाए लागल। बुढ़ियाकेँ देखि कए कन्या सोचलक जे ओ अस्सी बरखक बुढ़िया अछि, ओकर सेवा केनाइ जरूरी अछि। ओ ओहि बुढ़िया लग जा कए ओकर सौँसे देहकेँ साफ करए लागल। कहलक माँ आब फेर नहा लिअ। बुढ़िया कहलक लाऊ बेटी, अहूँक सौँसे देह साफ कऽ दैत छी। बुढ़िया कन्याक देह साफ करए लागल। साफ करैत बुढ़िया चुटकी बजेलक तँ ओकर सखी सभ चारू दिसनसँ ओकरा पकड़ि लेलक आ आपस ठगपुर गाम दिस बिदा भेल, जतए राजाक घर छल। ठग राजा इनाम देबा लेल तैयार भेल आ अपन लड़कीक बियाह ओकर बताह लड़का संग करएबा लेल तैयार भेल। राजा अपना गाममे जतेक बाजा आ पालकी रहए, अपना ओहिठाम अनबा लेल कहलक। ओहि गाम आ नगरक सभटा बाजा आ पालकी, सभटा राजा लग चल गेल।
आब मन्त्रीक बेटा गाम-गाममे पुछैत अछि तँ सभ कहलक जे सभटा बाजा आ पालकी राजा ओहिठाम चलि गेल। ओतएसँ अएलाक बादे बाजा भेटत। ई सुनि मन्त्रीक बेटा कहलक जे ठीक अछि हम कनेक दिन रुकि जाइत छी। ओतए एम्हर बुढ़ियाक बताह बेटाक बियाहक दिन पड़ि गेलैक। मन्त्रीक बेटा ओहि गामक बच्चासँ पुछलक जे ई बरियाती कतए जाएत। बच्चा बाजल जे बरियाती कतहु नहि जाएत। हमर गामक एकटा बुढ़िया एहि बोनक पोखरिसँ एकटा कन्याकेँ पकड़ि कऽ अनने अछि। मन्त्रीक बेटाकेँ चिन्ता पैसि गेलैक जे ई वएह लड़की तँ नहि अछि। मन्त्रीक बेटा अपन सभटा पोशाक खोलिकऽ राखि देलक आ एकटा भिखमंगाक रूप धऽ कए राजाक आँगनमे गेल आ ओहि लड़कीकेँ देखलक आ इशारा कऽ देलक जे साँझ धरि हम आएब। ओहि ठामसँ बजीरक बेटा निकलि कऽ बाहर आएल आ ओहि बुढ़िया आ ओकर बताह बेटाक पता लगओलक। तँ देखलक जे ओ बताह बच्चा सभक संग गाए-महीस चरेबाक लेल बोन गेल अछि। मन्त्रीक बेटा सेहो बोन चलि गेल आ जतए पागल रहए, ओकरे संग खेलाए लागल। बच्चा सभकेँ जखन भूख लगलैक तँ मन्त्री-पुत्र आ ओहि बताह बच्चाकेँ छोड़ि कए चलि गेल। मन्त्रीक बेटा ओहि बताह बच्चाकेँ बोनमे भीतर लए जाए छोड़ि देलक आ ओकर सभटा कपड़ा लए लेलक। कनेक झलफल भेल महिसबार सभ गाए-महीस लए घुरए लागल, तँ मन्त्रीक बेटा सेहो बताह जेकाँ करैत घुरि आएल आ घरमे जा कए ओही लड़कीक चारू दिस घुरिआए लागल, जकरा संग ओकर बियाह होमए बला छलैक। ओहिना ओ ओहि घरमे सेहो चलि गेल जतए ओ नागवती कन्या रहए आ ओतए जा कए कहलक कि अहाँ एहि कपड़ाकेँ बदलि लिअ आ पोटरी बान्हि कए बगलमे दबा लिअ आ राजाक लड़कीबला कपड़ा पहिरि लिअ। आगाँ निकलू आ पाछाँ हम जाइत छी। कन्या आगाँ निकललि, पाछाँ मन्त्रीक बेटा बताह जेकाँ करैत, दुनू बाहर निकलि गेल। दुनू ओतएसँ बिदा भेल आ जतए पोखरि छल ओतए पहुँचि गेल।
सुनलहुँ ठाकुरक बेटा। अही गपपर अस्सी बरखक बुढ़ियाकेँ फाँसी देल जा रहल अछि, राजा कहलक जे ई बुढ़िया हमर राज्यक हिस्सा लेबाक लेल ई षडयन्त्र रचने रहए आ तेँ ओकरा फाँसी दए रहल अछि।
चारिम
आब राजाका बेटा आ कन्या संग किछु समए बिता कए बजीरक बेटा फेर घुरि आएल पालकी आ बाजा लेल। ओहि दिन पालकी आ बाजा दुनू भेटि गेल आ बजीर ओकरा लए चलि आएल। बहुत नीक जेकाँ दुनुक बियाह भेल आ बरियातीक संग अपन घरक लेल बिदा भेल।
चलैत-चलैत किछु दूर गेल तँ साँझ भए गेल। एकटा बड्ड पैघ गाछक लग ओ ठाढ़ भए गेल। सभकेँ खेनाइ खुआ कए सभ कियो सूति गेल। रस्ताक थकान रहए सभ कियो निन्नमे सूति गेल। रातिक बारह बाजल तँ बिध-बिधाता आएल आ ओहि गाछपर बैसि गेल। बिध बाजल- बड्ड नीक जोड़ी लागल अछि तँ बिधाता कहलक जे जोड़ी तँ ठीके बड्ड नीक अछि मुदा राजाक बेटा मरि जाएत। बीध पुछलक –किएक। तँ बिधाता बाजल हम तँ कहब मुदा एहि बरियातीमे सँ कियो सुनैत होएत, तँ ई बाँचि जाएत। ओहि समय नागवत्ती कन्या आ बजीर सुनि रहल छल। सभटा मिला कए पचीस टा संकट पड़त आ सभटा संकट ओ बतेलक। भोर भेल तँ नागवत्ती कन्या आ बजीर कहलक जे ई बरियाती सभकेँ एतएसँ आपस पठा दिअ आ हम तीनू गोटे एतएसँ चली। ओतएसँ तीनू गोटे बिदा भेल आ चलैत चलैत किछु दूर गेल तँ रस्ताक कातमे दू टा गाछ छल। मन्त्रीक बेटा आ कन्या कहलक जे हम तीनू गोटे हाथ पकड़ि कए चली। राजाक बेटाकेँ बीचमे लए दुनू गोटे दुनू दिससँ हाथ पकड़लक आ लग गेल आ कहलक जे हम तीनू गोटे एतएसँ दौगि कए चली। ई कहि कए ओ सभ दौगनाइ शुरू कएलक आ जहिना दौगि कए आगाँ गेल तँ दुनू दिसका गाछ खसि पड़ल। पाछाँ घुरि कए ओ सभ देखलक आ बाजल जे हम सभ दौगि कए जे आगाँ नहि अबितहुँ तँ ई हमरा सभक ऊपर खसि पड़ितए। ई कहि ओ सभ आगाँ बिदा भेल। ओतएसँ चलैत-चलैत किछु दूर आगाँ ओ सभ गेल तँ रस्तामे एकटा धार भेटि गेल तँ ओतहु ओहिना राजाक बेटाकेँ बीचमे लए दुनू दिससँ ओकर हाथ पकड़ि लेलक आ धारमे चलए लागल। बहुत तेजीसँ ओ सभ आगाँ बढ़ल आ जहिना ऊपर गेल तँ बीच पानिसँ निकलि गेल आ घुरि कए देखलक तँ बोचपर नजरि पड़लैक। ओ सभ बाजल जे हम सभ तेजीसँ नहि निकलितहुँ तँ बोच हमरा सभकेँ पकड़ि लैतए, आ तकर बाद ओ सभ ओतएसँ बिदा भेल। अपन कलम-गाछी होइत घर पहुँचैत गेल। मारते रास लोक ओतए जमा भए गेल आ राजाक बेटाकेँ देखए लागल आ कहए लागल जे बड्ड नीक जोड़ी मिलल अछि। ओ सभ महलक भीतर जेबाक पहिने अगुलका छत तोड़बा देलक। राजाक बेटाकेँ बजीरक बेटा आ कन्यापर ओहिहाम शक भेलैक। राजा आ कन्या महल गेल। आब राजा पुछलक जे हमर दोस बजीरकेँ बजाऊ। पूछए लागल जे दोस अहाँ दुनू गोटे रस्तासँ घर धरि एतेक रास बात केलहुँ, से हमरा बुझल नहि भेल, से अहाँ ओ सभ गप हमरा कहू। बजीरक बेटा बाजल जे दोस ई सभ कोनो गप नहि अछि। ई सभ हम सभ हँसी कए रहल छलहुँ, जे देखी जे हमर सभ राजा दौगि सकैत छथि आकि नहि , आ चलि सकए छथि आकि नहि। ताहि द्वारे हम सभ हँसी कए रहल छलहुँ। एहि गपपर राजाकेँ बिस्बास नहि भेलैक आ ओ कहलक जे जे यदि ई गप अहाँ नहि कहब तँ अहाँकेँ फाँसीपर लटकबा देब। एहि गपकेँ कन्या सेहो सुनि रहल छलीह। हारि कए बजीरक बेटा कहलक जे जतएसँ बरियाती आपस भेल छल। बिधाता जे कहने छल ओ सभ गप कहलक आ रस्तामे जे बितल सेहो कहलक। ई सभ कहिते बजीरक बेटाक अदहा अंग पाथरक भए गेलैक। आ जखन सभ गप पूर्ण भेल तँ बजीरक बेटा ओही कोचक बगलमे पहाड़ बनि गेल। किछु दिनुका बाद राजाकेँ एकटा बेटा रातिमे जन्म लेलक। कहल गपकेँ ओही समय ओ पूर्ण करए लागल आ ओही पहाड़पर ओहि बालककेँ राखि पघरियासँ दू टुकड़ी कए देलक। ओकर टुकड़ा होइतहि बजीरक बेटा फेरसँ तैयार भऽ गेल आ कहलक जे हमरा आब ओ लड़का दिअ। बजीरक बेटा ओहि बालककेँ लए अपन सासुर गेल। ओ बारह बजे रातिमे पहुँचल। कोनो तरहेँ अपन स्त्रीक लग पहुँचल आ सभ गप कहि बालककेँ आमक गाछक ठाढ़िपर लटका देलक। रातिमे अपन स्त्रीकेँ कलममे अनलक आ बालककेँ ठाढ़िपरसँ उतारि कए नीचाँ कएलक आ कहलक जे ई चक्कू लिअ आ अपन हाथक कँगुरिआ आँगुर काटि कए एहि बच्चापर छीटि दिअ। जखने ओ छीटलक तखने ओ बच्चा कानए लागल आ तखने ओ ओकरा लए जा कए राजाकेँ देलक। बजीरक बेटा कहलक जे आब आइ दिनसँ अहाँक संग हमर दोसतियारी समाप्त भेल। ई कहि बजीरक बेटा अपन घर घुरए लागल, तँ ओही समय राजाकेँ ज्ञान प्राप्त भेल आ जा कए अपन दोस्तकेँ गरा लागि ओ क्षमा मँगलक आ कहलक जे आइसँ एहन गलती हमरासँ कहियो नहि होएत आ ई दोस्ती बनल रहत।
राजा अनसारी
राजा अनसारी महान राजा छलाह। हुनकर राज्य १४ कोशमे पसरल रहए। ओ राजा अपन मनोकामनाक अनुसार राज्य करैत छलाह। जे हुनकर हृदयमे अबैत छलन्हि वैह करैत छलाह। हुनका तीन टा बेटा छलन्हि। एक दिनुका गप अछि। राजाकेँ कोनो वस्तुक कमी नहि छलन्हि। घर मकान, बंगला आ बाग-बगीचासँ भरल-पूरल छलन्हि। एक दिन राजा रातिमे सूतल छलाह कि अचानके ओ सपना देखलन्हि जे हमर घरमे हीरा-मोती झरि-झरि कए खसैत अछि आ मोजर चुनि-चुनि कए सभ खाइत अछि। भोर भेल तँ राजा अपन लड़काकेँ कहलक जे देखू हम रातिमे ई सपना देखलहुँ। लड़का उत्तर देलक जे पिताजी अहाँ एहि गपक चिन्ता नहि करू, हम ओकरा पूरा कए देब। तीनू भाए विचार कए भोरे घोड़ा कसेलक आ बिदा भेल। चलैत-चलैत एकटा भयंकर बोनमे ओ सभ पहुँचल। तीनू भाए ओहि बोनमे रस्ता बिसरि गेल आ तीन रस्तापर बिदा भऽ गेल। दू भाइ भटकैत रहल आ एहिना किछु दिन बीति गेल। छोट भाए बोनक रस्तामे भूख-पिआससँ थाकि गेल आ घोड़ाकेँ छोड़ि देलक आ पएरे चलए लागल। कनेक कालक बाद ओकरा रस्तामे एकटा इन्सान भेटल। ओकरासँ ओ पुछलक, हमर सोनारूपी गाछक ठाढ़िसँ मोती झरैत अछि आ मोजर चुनि कए खाइत अछि। हमरा ओतहि जएबाक अछि। ओ इनसान कहलक जे एहि रस्तासँ चलि जाऊ। आगाँ एकटा इनार अछि। ओही इनारक बाटे एकटा रस्ता अछि। छोटका भाए ओकरे कहल अनुसार चलैत रहल आ जखन ओहि इनारक लग गेल तँ देखलक जे रस्ता ओही बाटे रहए। ओ इनारमे जा कए खसि पड़ल। चलैत-चलैत ओ भैरवानन्द जोगी लग पहुँचल। ओ जोगी कहलक जे रे बच्चा तूँ एतए कतएसँ अएलँह, एतए तँ कोनो मनुख आइ धरि नहि पहुँचि सकल रहए। ओतए ओ बच्चा ओहि जोगीक सेवा करए लागल। सेवा करैत किछु दिन बीति गेल तँ जोगी ओहि बच्चापर बड्ड प्रसन्न भऽ गेल, बाजल-बच्चा माँग की मँगैत छँह। हम तोरा अवश्य देबौक। बच्चा बाजल-जोगी बाबा, हमरा सोनाक गाछ आ रूपाक ठाढ़ि जाहिमेसँ मोती झरैत अछि आ मोजर चुनि कए खाइत अछि, से चाही। ओ योगी ई गप सुनि कए बड्ड आश्चर्य व्यक्त कएलक। तूँ ई चीज कोना पता लगेलह । ठीक अछि। हम जखन वरदान दए चुकल छी, तँ अवश्य देब। तोरा कष्ट उठाबए पड़तह। भोर भेल तँ बच्चाकेँ एकटा जंत्र देलक आ कहलक जे जाऊ आ सात समुद्र पार ओतए एकटा अमर फलक गाछ अछि, ओहिमेसँ एकटा फल तोड़ि कए लए आनू। ओ बच्चा ओतएसँ बिदा भेल। सुग्गाक रूप धारण कएलक, उड़ैत-उड़ैत सात समुद्र पार गेल, जतए अमरफलक गाछ रहए। ओ फल तोड़ि ओतएसँ बिदा भेल जखन ओकरा पाछाँ तीन टा परी लागि गेल आ ओ सभ तखन अबाज देलक जे घुरि कए देख। एना कहैत, पाछाँ करैत, चलि आबि रहल छल ओ सभ। समुद्र टपलाक बाद सुग्गा घुरि कए देखलक आ ओतहि मरि गेल। जोगी ई सभ ध्यानमे देखि रहल छल। सुग्गा घुरि कए देखलक आ मरि गेल ! जोगी बिदा भेल अपन चुट्टा लए। चुट्टासँ मारि कए सुग्गाकेँ जिएलक आ कहलक जे आब जो। तूँ फल लए जे आब चलमे, तँ घुरि कए नहि देखिहँ। एना बुझा कए ओकरा जोगी पठेलक आ ओ चलि गेल। फल तोड़ि एहि बेर ओ उड़ैत रहि गेल, घुरि कए नहि देखलक आ जोगी लग पहुँचि गेल। जोगी लग ओ पहुँचि गेल आ ओ फल जोगीक हाथमे देलक। ओ अमर फलसँ किछु बच्चाकेँ खोआ देलक आ कहलक जे आब जाऊ अहाँ अमर भए गेलहुँ। फेर ओ कहलक जे ओही सात समुद्र पार एकटा कलम-गाछी अछि। ओही गाछीमे तीन बहिन रहैत छथि। ओकरे लग तोहर बात पूर्ण होएतौक। बच्चा बिदा भेल, फेर सात समुद्र पार गेल आ ओही गाछीमे पैघ बहिन लग जा कए कहलक तँ ओ ओकरा माँझिल लग पठा देलक। ओकरा लग गेल तँ ओ ओकरा छोटकी लग पठा देलक। जखन ओ छोटकी बहिन लग गेल तँ ओ हाथमे चक्कू लेने बड़की आ माँझिल बहिन लग आएल। तखन तीनू बहिन ओहि लड़कासँ पुछलक जे तोँ कतएसँ आएल छह। लड़का जवाब देलक जे जोगी बाबा हमरा पठेने छथि। अहाँ सभ हमरा संगे जोगीबाबा लग चलू। ओ चारू गोटे ओतएसँ जोगीबाबा लग अएलाह। जोगीबाबा कहलक-बेटी, आब अहाँ तीनू गोटेकेँ एकरा संग जेबाक अछि।
ओ तीनू परी चलबा लेल तैयार भऽ गेलीह। जोगी बाबासँ बच्चा कहलक- हमरा गाछ नहि देखाइ पड़ल। ओहि समय जोगी बाबा आदेश देलक आ खेला देखेलक। तीनू परी एक लाइनमे ठाढ़ भए गेलीह आ लड़काक हाथमे चक्कू देलक आ कहलक जे एक्के संग तीनू परीक गरदनिमे चक्कू मारू आ अपन गरदनिमे सेहो मारू। एना कएलासँ सोनाक गाछ आ रूपाक ठाढ़िपरसँ मोती झरए लागल आ मोजर चुनि कए खाए लागल। बच्चाकेँ आब बिसबास भेलैक आ तखन किछु दिनुका बाद ओ चारू गोटे ओतएसँ बिदा भेल आ घर पहुँचल।
ओ अब्बूकेँ कहलक पिताजी हम सोना-रूपाक गाछ अनने छी।
राजा अनसारी कहलक- बेवकूफ! तूँ तीनटा औरत अनने छँह आ कहैत छँह जे गाछ अनने छी।
बच्चा कहलक जे सौँसे नगरक लोककेँ बजाऊ आ तखन हम देखबैत छी।
राजा सभकेँ बजेलक एकत्र कएलक।
बच्चा तीनू परीक गरदनिमे चक्कू मारलक आ अपन गरदनिमे सेहो। सोनाक गाछ आ रूपाक ठाढ़ि सँ मोती झरए लागल आ मोजर चुनि कए खाए लागल।
राजाक सपना पूरा भेल।
राजा ढोलन
गढ़ नारियलक राजा दक्ष रहए। ओ राजा बड्ड प्रतापी छल। मुदा ओकरा राज्यमे कोनो हाट-बजार नहि रहए। राजा सोचलक जे हमर राज्यमे हाट कोना लगत? से राजा अपन राज्यमे ढोलहो पिटबा देलक जे हमरा राज्यमे हाट लागत आ जकर जे समान नहि बिकाओत से हम कीनि लेब। सम्पूर्ण राज्यक लोक आबए लागल आ हाट लगबए लागल। एहि प्रकारेँ सभ दिन हाटमे जे समान बचि जाइत छल, तकरा राजा कीनि लैत छल। एहिना कतेक दिन बीति गेल। एक बेर एकटा सूतबला सूत बेचए लेल ओतए आएल मुदा तावत हाट उठि गेल रहए आ ओकर सूता नहि बिकाएल। राजा ओकर सूत सेहो कीनि लेलक।
मुदा जहियासँ राजा सूता किनलक तहियेसँ ओकर अबस्था घटए लागल। किछु दिनुका बाद राजाक हालति गरीब जेकाँ भऽ गेल। राजा अपन स्त्रीसँ कहलक-अम्बिका सुनू। अपन राज्यमे गरीबी पसरि गेल अछि। आब अपन राज्य रहबा योग्य नहि रहल। ओतए सँ राजा बिदा भेल आ जाइत-जाइत कोनो देशमे पहुँचल। ओहि देशक नाम गढ़पिंगल रहए। ओतुक्का राजाक नाम सेहो देशक नामपर छल। गढ़पिंगल राजाक ओही नगरमे गढ़नारियल राजा घुमैत-घुमैत पहुँचि गेल आ कहए लागल जे हे भाइ हमरा कियो नोकरी राखत ? राजा कहलक-हँ। हमरा एकटा नोकरक जरूरी अछि। एकरा राखि लिअ। गढ़पिंगल राजाकेँ एक सए नोकर रहए आ ओकरा एकटा आर नोकरक आवश्यकता रहए कारण ओकरा लग १०१ टा घोड़ा रहए। ओ राजाक एहिठाम रहि गेल आ सभ दिन घोड़ाक घास लेल जाए लागल आ घास छीलि कए आनए लागल। गढ़नारियलक राजा दक्षक स्त्री गर्भवती रहए आ गढ़पिंगलक राजाक स्त्री सेहो गर्भवती रहए। आ संयोग एहन रहल जे दुनू राजाक स्त्री एक्के दिन जन्म दैत अछि। पिंगलक राजा ब्राह्मण बजा कए ज्योतिष देखेलक आ राजा अपन पुत्रीक नाम राखलक आ कहलक जे एकर नाम मडुवन किएक अछि। ब्राह्मण कहलक जे एकर बियाह छठी रातिकेँ होएत। राजा ओही दिनसँ अपन राज्यमे ताकैत-ताकैत थाकि गेलथि मुदा हुनका ओ नहि भेटल। राजाक खबासिनी कहलक जे अहाँ सभ चिन्ता किएक करैत छी। राजा साहब पछिला बेर जे नोकर रखने छथि हुनका एहिठाम एकटा लड़का जन्म लेने अछि। ओकरे संग बियाह करा देल जाए। ओहि बच्चाक नाम राशिक अनुसार राजा ढोलन राखल गेल छल। गढ़पिंगलक राजा सोचलक जे ई बड्ड नीक गप अछि, जखन ई लगेमे अछि तँ ओकरे संग बियाह करा देल जाए। दिन तँ ताकले रहए से ओही छठिक रातिमे बियाह भए गेल। किछु दिनुका बाद राजा दक्ष कहलक जे आब एतए रहबाक योग्य नहि अछि। आब अपन देश जएबाक चाही।
राजा जाहि साढ़ीनपर चढ़ि कए आएल रहथि ओहि साढ़ीनकेँ कहलन्हि जे साढ़िन आब अपन देश चलू। आब साढ़ीपर चढ़ि कए राजा-रानी बिदा भेलाह। किछु दूर रस्तामे गेलाह तँ एकटा बोन भेटलन्हि। ओहि बोनमे रस्ताक कातमे एकटा पोखरि रहए। ओही पोखरिक महारपर दू टा बाघ-बाघिन रहैत छल। राजा सोचलक जे हमर सभक बच्चा जखन एहि रस्तासँ अपन सासुर जएताह, तखन ई बाघ हमर बच्चा सभकेँ खा जाएत। ताहि द्वारे एकरा मारि देनाइ ठीक होएत। राजा बाघकेँ मारि देलक आ आगाँ चलल तँ बाघिन कहलक जे राजा तूँ हमरा जेना राँड़ कए जा रहल छह, ओहिना तोहर बेटा जखन अपन सासुर जेतह तँ गढ़पीपली राजमे ओकर कनियाँकेँ हमहू राँड़ कए देबैक।
बाघिनक ई अबाज मात्र राजा सुनलक। राजा अपन घर पहुँचि कए ई गप ककरो नहि कहलक। ओ अपन साढ़िनकेँ एकटा पैघ खधाइ खूनि कए ओहिमे धऽ देलक कारण बाहर रहलासँ ओ ई गप ओकर बच्चाकेँ सुना दैत। ओही समय छोट बालककेँ अपन फुलवाड़ीक रेखा-पेखा मालिनक संग दए देलक। ओकर दुनू बहिन ओकरा बड्ड नीक जेकाँ सेवा करए लगलीह। एहिना करैत किछु दिन बीति गेल तँ ई बच्चा समर्थ भऽ गेल आ तखनो ओकरा किछु बूझल नहि भेलैक। ओम्हर ओ मड़ुअन कन्याँ सेहो पैघ भऽ गेलि। कन्या युवा भऽ गेलि तँ ओहि सखी सभक घुमैत फिरैत हुनका कोनो संगी कहलक जे हे बहिन। आब अहाँ समर्थ भऽ गेलहुँ। अहाँक पिताजी अहाँक बियाहक विषयमे किछु नहि सोचि रहल छथि। ई बात सुनि कए कन्याँ बड़ चिन्तामे पड़ि गेलीह। अपन महलमे जा कए ओ पलंगपर पड़ि रहलीह आ खेनाइ त्यागि देलन्हि। एहिपर ओकर माए कन्या लग जाए कहलक, बेटी अहाँ खेनाइ किएक नहि खाइत छी ?
कन्याँ बाजलि-माए। सखी सभ बड्ड किचकिचबैत अछि। ताहि द्वारे हमरा भूख नहि लगैत अछि। माए कहलक- अहाँकेँ की कहि किचकिचबैत छथि?
कन्याँ बाजल-ओ सभ हमरा कहैत छथि जे अहाँक पिताजीकेँ कोन चीजक कमी अछि, जे अहाँक पिताजी अहाँक बियाह नहि करा रहल छथि?
माए कहलक- – बेटी अहाँक बियाह छठीक रातिमे भए गेल अछि। अहाँक सासुर गढ़नारियलमे अछि। नहि जानि ओ किएक नहि अबैत छथि?
ई सुनि कन्याँ कहलक जे हमरा जबुनाक कातमे एकटा मकान बना दिअ आ सभ वस्तुक व्यवस्था कए दिअ। हम बारह बरिख धरि सदाव्रत बाँटब। एतेक सुनि राजा ओहिना कएलक। मड़ुवन कन्याँ जबुनाक कातमे सदाव्रत बँटनाइ शुरू कए देलक।
बनिजारा सभ वाणिज्य करबाक लेल गढ़नारियलसँ गढ़-पिन्गल जा रहल छलाह। बनिजारा सभ जखन गढ़-पिन्गल पहुँचलाह तँ जबुना धारक कातसँ होइत आगाँ बढ़ि रहल छलाह। जाइत-जाइत ओ सभ ओहिठाम पहुँचलाह जतए मड़ुवन कन्या सदाव्रत बाँटि रहल छलीह। ओ कन्याँ पुछलक-अहाँ सभ कतए जा रहल छी आ कतएसँ आएल छी। बनिजारा बाजल-हम सभ गढ़नारियलसँ आएल छी आ गढ़पिन्गलमे हीरा-मोतीक वाणिज्य करैत छी। कन्याँ बाजल-अहाँ वाणिज्य कए घुरब तँ हमर एकटा पत्र लए जाएब?
बनिजारा बाजल-अहाँ पत्र लिखि कए राखब, हम जरूर लए जाएब। बनिजारा जखन घुरल तँ ओ पत्र लए चलि गेल आ जखन गढ़ नारियल पहुँचल तँ हरेबा-परेबा जे दुनू बहिन छलि-आ बड्ड पैघ जादूगरनी छलि- ओ जादूक जोरसँ पता लगा कए राजाकेँ खबरि कएलक आ बनिजारासँ ओ पत्र लऽ कऽ ओकरा आगिमे जरा देलक आ ओहि राजाक बेटाकेँ एकर पता नहि चलए देलक। कन्याँक ई पत्र मारल गेल। ओ बेचारी बाट तकैत रहल। किछु दिन बीतल। ओ कन्याँ एकटा सुग्गा पोसने छलीह। ओ सुग्गासँ पुछलक-की तूँ हमर पत्र लए जा सकैत छह। सुग्गा बाजल-हँ। हम पत्र राजाकेँ दए देब। कन्याँ पत्र लिखि कए सुग्गाक गरदनिमे लटका देलक आ कहलक- जाऊ।
सुग्गा ओतएसँ बिदा भेल। सुग्गा आकासमे उड़ि बिदा भेल आ पहुँचल गढ़नारियल राज्य जतए हरेबा-परेबा आ राजा ढोलन रहथि। सुग्गा उड़ि कए ओकर कान्हपर बैसि गेल, ठोंठसँ सूता काटि कए खसेलक। ओहि समय हरेबा-परेबा राजा ढोलनक फुलवारीमे बैसल रहए। ठंढ़ीक मौसम छल। आगि पजारि कए बैसल छल। जखने ओ पत्र खसेलक तखने मालिन ओहि पत्रकेँ आगिमे धऽ देलक। राजा ढोलनकेँ बड्ड तामस उठलैक। दुनूकेँ दू-दू चमेटा मारलक आ कहलक जे तूँ दुनू गोटे एतएसँ चलि जो। दुनू बहिन पकड़ि कए ओकरा मनाबए लागल। कन्याँक ओहो पत्र खतम भए गेल। कन्याँ बहुत चिन्तामे पड़ि गेल। बहुत समय आर बीति गेल।
एक दिन जबुनाक किनारसँ एकटा महात्मा जोगी रूपमे जा रहल छल। कन्याँक नजरि ओहि महात्मापर पड़ि गेल। कन्याँ बड्ड चिन्तित भए कानि रहल छलीह। ओ साधु महात्मा कन्याँक कननाइ सुनि अएलीह आ कारण पुछलक।
कन्याँ सभटा हाल बतेलक ।
महात्मा कहलक जे तूँ एकटा पत्र लिखि कए हमरा दे आ हम ओ पत्र ओतए पहुँचाएब।
कन्याँ पत्र लिखि कए महात्माकेँ देलक। महात्मा ओतएसँ बिदा भेल।
कन्याँ महात्माकेँ गाँजा,भाँग आ हफीम देलक। महात्मा ओकरा खाइत-पिबैत ओतएसँ बिदा भेल। किछु दिनुका बाद महात्मा गढ़नारियल पहुँचल, जतए हरेबा-परेबा आ राजा ढोलन रहए। ओ फुलबारीक बीचमे अपन डेरा खसेलक। रातुक मौसम छल। भोर होइ बला छल। ओही समय महात्मा एकटा मोहिनी बाँसुरी निकाललक आ बजबए लागल। ओहि बाँसुरीक अबाज सुनि राजा ढोलन उठल आ चलबा लए तैयार भेल तँ दुनू बहिन ओहि बाँसुरीपर बहुत रास जादू-गुण चलेलक। मुदा महात्माक किछु नहि बिगड़ल। राजा ढोलन उठल आ दुनूकेँ दू-दू लात मारि महात्मा लग गेल। साधुजी ओहि पत्रकेँ निकालि कऽ राजा ढोलनकेँ देलन्हि। आर से पढ़ि राजा ढोलन तामसे विख-सबिख भए गेल आ ओतएसँ घर गेल आ एकटा तलबार लए पितासँ पूछए लागल जे बताऊ जे ई हमर बियाह कतए भेल अछि ? पिताकेँ ओ बाघिन मोन पड़ि गेलैक से ओ झूठ बाजल आ कहलक जे हम तोहर बियाह नहि करबेने छियहु।
तामसे भेर भए ओ ओहि पत्रकेँ राजाक सोझाँ राखलक। राजा ओ पढ़ि बड्ड चिन्तामे पड़ि गेल।
ओ अपन बेटाकेँ कहलक। देखू बेटा। अहाँक बियाह हम छठीक राति कएने छी आ गौना एहि द्वारे नहि कएलहुँ कारण अबैत काल हम एकटा बाघकेँ मारि देलहुँ। फेर ओ सभटा खिस्सा कहि सुनेलक आ कहलक, जे ओ डरे ओकर गौना नहि करेलक।
ढोलन बाजल-हमर सवारी कतए अछि। हमर सवारी दिअ।
राजा कहलक-साढ़नी तँ तरहाराक नीचाँ अछि। ओ जीवित अछि वा मरि गेल से नहि जानि।
राजा ढोलन तरहराक नीचाँ सँ साढ़िनकेँ बहार कएलक तँ साढ़िनक देहमे पिल्लू लागि गेल छल। ओ ओकरा साफ कएलक आ ओकरा चना-चबेना खुअएलक। खुआबैत-खुआबैत ओ पहिने जेकाँ तन्दरुस्त भए गेल।
राजा ढोलन बाजल-साढ़िन, तोहर पैर बहुत दिनसँ बान्हल छह। तूँ चौदह कोसक रस्ताकेँ एक दिनमे चारि चौखड़ लगा दिअ तँ हम बुझब। हम सभ फेरसँ गढ़पिंगल पहुँचब। साढ़िन अपन चालि एक दिनमे बना लेलक। राजा ढोलन अपन सासुर बिदा भेल। साढ़िनपर स्वार भए अपन कान्हपर बन्दूक लेलक आ बिदा भेल। चलैत-चलैत ओ ओही बोनमे पहुँचल। ओही रस्तासँ ओ सभ जा रहल छल, जतए ओ बाघिन रहैत छलीह। बाघिनकेँ राजा ढोलन देखलक आ ओहि बाघिनकेँ मारि देलक। फेर ओ अपन सासुर गढ़पीपली गेल आ फूल बगानमे डेरा खसेलक। साढ़नीकेँ ओ ओतहि छोड़ि फूल-बगानकेँ तोड़ि-तारि कए तहस-नहस कए देलक। मालिन कहलक जे तोरा राजासँ पिटान पिटबेबउ आ जतेक तोँ बरबादी कएने छँह तकर हरजाना लेबउ। राजा ढोलन बाजल- जो तोरा जे करबाक छौक कर।
मालिन तामसे बिदा भेलि आ राजा लग गेलि। राजासँ कहलक।
राजा पुछलक जे ओ कतुक्का अछि।
मालिन कहलक जे ओ अपन घर गढ़नारियलक बतेलक अछि।
राजा अपन सिपाही सभकेँ पठेलक। ओ सभ ढोलनकेँ पुछलक-अहाँ कतुक्का छी आ कतएसँ आएल छी।
ढोलन बाजल- हमर घर गढ़ नारियल अछि आ हम अपन सासुर गढ़पिंगल- ओतहिसँ आएल छी।
सिपाही सभ ई गप राजाकेँ जा कए कहलक।
राजा प्रसन्नतासँ स्वागत कए डोलीमे बैसा कए ढोलनकेँ अपना घर अनलक। किछु दिनुका बाद राजा अपन बेटी-जमाएकेँ गढ़-पिंगलसँ गढ़ नारियलक लेल बिदा केलक। ओतए सँ राजा ढोलन आ ओ मड़ुवन कन्याँ अपन घर गेल आ अपन राज्य करए लागल।
बगियाक गाछ
एकटा मसोमात छलीह आ हुनका एकेटा बेटा छलन्हि। ओ छल बड्ड चुस्त-चलाक।
एक दिनुका गप अछि। ओ स्त्री जे छलीह, अपना बेटाकेँ बगिया बना कए देलखिन्ह। ओहि बालककेँ बगिया बड्ड नीक लगैत छलैक। से ओ एहि बेर एकटा बगिया बाड़ीमे रोपि देलक। ओतए गाछ जनमि गेल। बगियाक गाछ, नञि देखल ने सुनल।
माए-बेटा ओहि बगियाक गाछक खूब सेवा करए लगलाह। कनेक दिनमे ओहि गाछमे खूब बगिया फड़य लागल। ओ बच्चा गाछ पर चढ़ि कए बगिया तोड़ि कए खाइत रहैत छल।
एक दिनुका गप अछि। एकटा डाइन बुढ़िया रस्तासँ जा रहल छलि। ओकरा मनुक्खक मसुआइ बना कए खायमे बड्ड नीक लगैत रहैक। ओ जे ओहि बच्चाकेँ गाछ पर चढ़ल देखलक तँ ओकर मोन लुसफुस करए लगलैक। आब ओ बुढ़िया मोनसूबा बनबए लागल जे कोना कए ओहि बच्चाकेँ फुसियाबी आ एकरा घर लऽ जा कए ओकर मसुआइ बना कए खाइ।
बच्चाकेँ असगर देखि ओ लग गेलि आ बच्चाकेँ कहलक-
“बौआ एकटा बगिया हमरा नहि देब? बड्ड भूख लागल अछि।
बच्चा ओकर हाथ पर बगिया देबय लागल।
“बौआ हम हाथसँ कोना लेब बगिया हथाइन भऽ जाएत”।
बच्चा बगिया ओकर माथ पर राखए लागल।
“हँ हँ माथ पर नहि राखू। मथाइन भऽ जाएत”।
बच्चो छल दस बुधियारक एक बुधियार। खोइछमे बगिया देबए लागल।
“ई की करैत छी बौआ। बगिया खोँछाइन भऽ जाएत, अहाँ झुकि कए बोरामे दए दिअ”।
मुदा बच्चा तँ छल बुझू जे गोनू झाक मूल-गोत्रेक।
बाजल-
“नञि गए बुढ़िया। तोँ हमरा बोरामे बन्द कए भागि जेमह। माए हमरा ठग सभसँ सहचेत रहबाक हेतु कहने अछि”।
मुदा बुढ़ियो छल ठगिन बुढ़िया। ठकि फिसिया कए बोली-बानी दए कए ओकरा मना लेलक। जखने बच्चा झुकल ओ ओकरा बोरामे कसि कए बिदा भेलि। बुढ़िया रस्तामे थाकि कए एकटा गाछक छाहरिमे बैसि गेलि।
कनेक कालमे ओकरा आँखि लागि गेलैक। बच्चा मौका देखि कोनहुना कए ओहि बोरासँ बाहर बहरा गेल आ भीजल माटि, पाथर आ काँट-कूस बोरामे धऽ कए ओहिना बान्हि कए पड़ा गेल।
बुढ़िया जखन सूति कए उठल आ बोरा लऽ कए आगू बढ़ल तँ ओकरा बोरा भरिगर बुझएलैक। मोने-मोन प्रसन्न भऽ गेलि ई सोचि जे हृष्ट-पुष्ट मसुआइ खएबाक मौका बहुत दिन पर भेटल छै ओकरा। रस्तामे भीजल माटिसँ पानि खसए लागल तँ ओकरा लगलैक जे बच्चा लगही कए रहल अछि।
ओ कहलक जे-
”माथ पर लघुशंका कए रहल छह बौआ। कोनो बात नहि। घर पर तोहर मसुआइ बना कए खायब हम”।
कनेक कालक बाद काँट गरए लगलैक बुढ़ियाकेँ। कहलक-
”बौआ। बिट्ठू काटि रहल छी। कोनो बात नहि कतेक काल धरि काटब”।
बुढ़्याक एकटा बेटी छलैक। गाम पर पहुँचि कए बुढ़िया ओकरा कहलक जे आइ एकटा मोट-सोट शिकार अछि बोरामे। माए बेटी जखन बोरा खोललक तँ निकलल माटि, काँट आ पाथर।
कोनो बात नहि।
बुढ़िया भेष बदलि पहुँचल फेरसँ बगियाक गाछ तर।
एहि बेर बच्चा ओकरा नञि चीन्हि सकल। मुदा जखन ओ झुकि कए बगिया बोरामे देबाक गप कहलक तँ बच्चाकेँ आशंका भेलैक।
”गए बुढ़िया। तोँही छँह ठगिन बुढ़िया”।
मुदा बुढ़िया जखन सप्पत खएलक तँ ओ बच्चा झुकि कए बगिया बोरामे देबए लागल। आ फेर वैह बात।
एहि बेर बुढ़िया कतहु ठाढ़ नहि भेलि। सोझे घर पहुँचल आ बेटी लग बोरा राखि नहाए-सोनाए लेल चलि गेलि।बेटी जे बोरा खोललक तँ एकटा झोँटा बला बच्चाकेँ देखलक। ओ पुछलक-
“हमर केश नमगर नहि अछि किएक?”।
“अहाँक माय अहाँक माथ ऊखड़िमे दए समाठसँ नहि कुटने होयतीह। तेँ ”। बच्चा तँ छल दस होसियरक एक होसियार से ओ बाजल।
बुढ़ियाक बेटी अपन केश बढ़ेबाक हेतु अपन माथ ऊखड़िमे देलक आ ओ बच्चा ओकरा समाठसँ कूटए लागल।
ओकरा मारि ओकर मासु बनेलक। बुढ़िया जखन पोखरिसँ नहा कए आयल तँ बुढ़ियाक आगू ओ मासु परसि देलक।
जखने ओ खेनाइ पर बैसलि तँ लगमे एकटा बिलाड़ि छल से बाजि उठल-
“म्याँऊ। अपन धीया अपने खाँऊ। म्याँऊ”।
“बेटी एकरा मासु नहि देलहुँ की। तेँ बाजि रहल अछि”।
ओ बच्चा बिलाड़िक आगाँ मासु राखि देलक मुदा बिलाड़ि मासु नहि खएलक।
आब बुढ़ियाक माथ घुमल। ओ बेटीकेँ सोर कएलक तँ ओ बच्चा समाठ लऽ कए आयल आ ओकरा मारि देलक।
फेरसँ बच्चा बगियाक गाछ पर चढ़ि बगिया खए लागल। बड्ड नीक लगैत छल ओकरा बगिया।
ज्योति पँजियार
ज्योति पँजियार छलाह सिद्ध। पम्पीपुर गामक। तंत्र-मंत्र जानएबला। धर्मराज रहथि हुनकर कुलदेवता। ज्योति पँजियारक पत्नी छलीह लखिमा।
एक बेर साधुक वेष धऽ धर्मराज भिक्षाक हेतु अएलाह। ज्योति पँजियार लखिमाक संग गहबर बना रहल छलाह। माय सूपमे अन्न लए कऽ अयलीह। मुदा साधु कहलखिन्ह जे हम तँ भीख लेब ज्योति पँजियारक हाथेटा सँ। ज्योति पँजियार मना कए देलखिन्ह जे हम गहबर बनायब छोड़ि कए नहि आयब। साधु श्राप दए देलखिन्ह जे निर्धन भऽ जयताह ज्योति पँजियार, कुष्ठ फूटि जएतन्हि हुनका।
आस्ते-आस्ते ई घटित होमए लागल। ज्योति पँजियार बहिनिक ओहिठाम चलि गेलाह। मुदा ओतय अवहेलना भेटलन्हि। ज्योति ओतय सँ निकलि गेलाह। ओइटदल गाम पहुँचि गेलाह अपन संगी लगवारक लग। एकटा तांत्रिक अएलाह। कहल- बारह वर्ष धरि कदलीवनमे रहए पड़त। धर्मराजक आराधना करए पड़त, गहबड़ बनाए करची रोपी ओतए। बाँसक घर बनाऊ धर्मराजक हेतु। धर्मराज दर्शन देताह, अहाँ ठीक भऽ जाएब। पँजियार चललाह।
रस्तामे सैनी गाछ भेटलन्हि, ओकर छाहमे सुस्तेलाह पँजियार। मुदा ओ गाछ सुखा गेल, अरड़ा कए खसि पड़ल।
कोइलीकेँ कहलन्हि जे पानि आनि दिअ। ओ उड़ल तँ बिहाड़ आबि गेल। कोइली मरि गेल।
पँजियार उड़ि कए पहुँचि गेलाह कदली वनमे। एकटा महिसबार कहलकन्हि जे अछमितपुर गाम जाऊ। महिसबार छलाह धर्मराज, बनि गेलाह भेम-भौरा।
एकटा व्यक्त्ति भेटलन्हि। ओ कहलकन्हि जे आगू वरक गाछ भेटत, ओकर पात तोड़ू।ओहि पर अहाँक सभ प्रश्नक उत्तर रहत। ई कहि ओ परबा बनि गेल।
वरक पात तोड़लन्हि ज्योति तँ ओहि पर लिखल छल, यैह छी अछमितपुर। ओतुक्का राजाकेँ बच्चा नहि छलन्हि। ज्योति आशीर्वाद देलन्हि। कहलन्हि, एकटा छागर ओहि दिन पोसब जाहि दिन गर्भ ठहरि जाए। हम कदली वनसँ आएब तँ ई छागर स्वयं खुट्टासँ खुजि जाएत। १२ बरखक बाद ज्योति कदली वनसँ चललाह। कोइलीकेँ जीवित कए देलन्हि। सुखाएल धारमे पानि आबि गेल। सैनीक गाछ हरियर कचोर भऽ जीबि उठल। अछमितपुर गाममे राजा कहलन्हि जे छागर आ पुत्र दुनू एकहि दिन मरि गेल। पँजियार पाठाकेँ जिआ देलन्हि, कहलन्हि जो तोँ कदलीवनक धारमे नाओ पर चढ़ि जो, मनुक्ख रूप भेटि जएतौक। तावत राजाक पुत्र सेहो कदलीवनसँ शिकार खेला कए घोड़ा पर चढ़ि कए आबि गेल। ज्योति पँजियार गाम पहुँचि गेलाह गमछामे गहबर लेने।
राजा सलहेस
राजा सलहेस सुन्दर आ वीर छलाह। मोरंग, नेपालमे रहैत छलाह। ओ दुसाध जातिक छलाह आ दबना जे मोरंग राजाक मालिन छलि, सलहेससँ प्रेम करैत छलि। राजक वैद्य दबनासँ प्रेम करैत छलाह आ दबनाक अस्वीकृतिसँ ओ आत्महत्या कए लेलन्हि।
सलहेस छलाह मोरंगक तालुकदार नौरंगी बहादुर थापाक सिपाही। सलेहस छलाह मोनक राजा। सभकेँ विपत्तिमे सहायता दैत रहथि। ताहि द्वारे दबना दिशि हुनकर कोनो ध्यान नहि छलन्हि। सभ हुनका राजा कहैत छलन्हि, से ई तालुकदारकेँ पसिन्न नहि पड़ल।
एक दिन दरबारमे ओ सलहेसकेँ पुछलक-
अहाँक नाम की?
सलहेस कहलन्हि- हमर नाम छी राजा सलहेस।
तखन थापा कहलकन्हि, जे अहाँ अपन नाममे राजा नहि लगाऊ।
सलहेस कहलन्हि जे ई पदवी छी, जन द्वारा देल पदवी। कोना छोड़ब एकरा। हम छोड़ियो देब, लोक तँ कहबे करत।
तखन थापा कहलखिन्ह जे लोककेँ मना कऽ दियौक।
सलहेस कहलन्हि जे लोककेँ कोना मना करबैक। लोकक मोन जे ओ ककरा की बजाओत।
निकलि गेलाह सलहेस ओतएसँ। आब नहि निमहत ई नोकरी। आइ कहैत अछि नाम छोड़ए लेल, काल्हि किछु आर कहत।
पितियौत बहिन रहैत छलन्हि मुंगेरमे। बहिनोइ राज दरभंगाक नोकरीमे छलाह।
एम्हर कुसमी दबनाकेँ कहि देलक जे सलहेस जा रहल अछि मोरंग छोड़ि कए। दबना छलि कमरू-कमख्यासँ तंत्र-मंत्र सिखने।
ओ सलहेसकेँ कहलक जे हम राजाक दरबारमे सात सए सिपाहीक सरदार चूहड़मलकेँ हटबा कऽ अहाँकेँ सरदार बना देब। सैह भेल। बड़का जलसा देलक दबना, गेलक गीत-
रौ सुरहा,
बारह बरस तोरा लेल आँचर बन्हलौँ।
मुदा, केलक चोरि चूहड़मल, चोरेलक नौ लाखक रानीक हार आ नुका देलक सलहेसक ओछैनमे।
उनटे चूहड़मल राजाकेँ कहलक जे सलहेसक घरक तलासी लेल जाए।सलहेसक गेरुआक खोलसँ खसल हार।
दबना काली मन्दिरमे तंत्र साधना शुरू कएलक। भूत-प्रेतकेँ नोतलक। खून बोकरबेलक चूहड़मलसँ।
चूहड़मल सभटा बकि देलक।
सलहेसकेँ जेलसँ छोड़ि देल गेल आ ओकर ओहदा बढ़ा देल गेल। चूहड़मलकेँ भेलैक जेल।
दबना आ सलहेस विवाह कए खुशीसँ रहए लगलाह।
बहुरा गोढ़िन नटुआदयाल
एकटा छलि बहुरा गोढ़िन आ एकटा छलाह नटुआ दयाल।
बहुरा गोढ़िन नर्त्तकी छलि आ ओकरा जादू अबैत छलैक।
नटुआ दयाल बहुरा गोढ़िनक प्रशंसक छल, किएक तँ ओ छल प्रेमी, बहुरा गोढ़िनक पुत्रीक।
छल मुदा ओहो तांत्रिक।
कमला-बलानक कातक केवटी छलि बहुरा, बखरी, बेगूसरायक रहनिहारि।
हकलि छलि, कमरू सँ सीखने छलि जादू।
दुलरा दयाल छल मिथिला राज्यक भरौड़क राजकुमार, ओकरे नाम छल नटुआ दयाल।
नृत्य जे ओ बहुरासँ सिखलक तँ सभ नामे राखि देलकैक ओकर नटुआ।
नटुआ दयालक गुरू छलाह मंगल।
सिद्ध पुरुष।
अकाशमे बिन खुट्टीक धोती टँगैत छलाह, सुखला पर उतारैत छलाह।
बहुरा गाछ हँकैत छलि, जकरासँ झगड़ा भेल ओकरा सुग्गा बना पोसि लैत छलीह।
कमला कातमे रहैत छलाह आ भजैत छलाह-
कमलेक आसन, ओहीमे बास हे कमला मैय्या।
बहुरा वरकेँ मारि सीखने छल जादू। राजकुमारक विवाहक प्रस्तावकेँ नहि ठुकरा सकलि मुदा। बरियाती दरबज्जा लागल तँ भऽ गेलैक कहा सुनी आ सभकेँ बना देलक ओ बत्तु।
मंत्री मल्लक एक आँखिक रोश्नी खतम।
आहि रे बा।
व्यापारी जयसिंह छल मोहित महुराक बेटी पर, ओकरे खड्यंत्र।
आहि रे बा।
गुरू लग गेल राजकुमार आ आदेश भेलैक, जो कामाख्या, सीखय लेल षट् नृत्य आ जादू।
चण्डिका मंदिरमे योगिनीसँ षट्नृत्य सिखलक आ आदेश भेलैक सर्रैया ग्रामक भुवन मोहिनीसँ षट् नृत्यक एक अंग सीखबाक।
ओहि गामक सिद्ध देवी रहथि वागेश्वरी।
नरबलि चढैत छल ओतए। दैत्य अबैत छल ओतए।
सिखलक राजकुमार सिद्ध नृत्य अनहद आ आज्ञा चक्र।
करिया जादूकेँ काटय बला मंत्र फुकलक राजकुमारक कानमे।
कमला बलान लग आएल राजकुमार।
बहुरा सुखेलक धारक पानि।
राजा पता लगेलक जूकियासँ, अनलक बहुराकेँ। मुदा ओ तँ लगा देलक दोष राजकुमार पर। यज्ञ भेल तैयो कमलामे पानि नहि आएल, नटुआ पठेलक सभटा पानिकेँ पताल?
नटुआकेँ पकड़ि कय आनल गेल। ओ अपन नृत्यसँ जलाजल केलक कमलाकेँ।मुदा कहलक बहुराकेँ माफी दियौक।
बहुरा कहलक आब तोँ भेलह हमर बेटीक योग्य।
आबह बरियाती लऽ कए।
नटुआ बरियाती लऽ कऽ पहुँचल।
तीन टा पान अएलैक, एक कमलाक पानिक हेतु, दोसर बहुराकेँ माफ करबाक
हेतु।
आ तेसर ओकर बेटीसँ व्याह करबाक हेतु।
तीनूटा पान उठेलक नटुआ आ शुरू भेल गीत-नाद।
पियास लगलैक नटुआकेँ शिष्य झिलमिलकेँ पठेलक इनार पर।
डोरी छोट भए गेलैक। अपने गेल नटुआ आ डोरी पैघ भऽ गेलैक।
फूलमती छलि ओतए, पतिक प्रतिभासँ प्रसन्न छलि ओ।
मल्लक आँखि ठीक कएलक बहुरा।
कमला पहुँचल कनियाँक संग नटुआ।
मुदा आहि रेबा।
नटुआकेँ चक्कू मारलक बहुरासँ दूर भेल ओकर शिष्य।
मुदा नटुआ चढ़ेने छल पटोर कमला मैय्याकेँ।
कमलाक धार खूने-खूनामे।
मुदा कामाख्याक जदूगरनी अएलीह आ जीवीत कएलन्हि नटुआकेँ।
दुश्मनक बलि चढ़ेलक ओ कमलाकेँ।
महुआ घटवारिन
महुआ घटवारिन परी जेकाँ सुन्दरि छलीह जेना गूथल आँटामे एक चुटकी केसर, मुदा सतवंती छलीह।
बाप गँजेरी शराबी आ माए सतमाय, नजरि चोर। घरमे सतमाएक राज छल।
सोलह बरखक भए गेल रहथि मुदा हुनकर बियाहक चिंता ककरो नहि रहैक। परमान नदीक पुरनका घाटक मलाह प्र्रर्थना करैत छथि जे महुआक नावकेँ किनार लगा दियौक।
साओन-भादवक, भरल धार,
कम वयसक महुआ नहि जाऊ,
एहि राति खेबय लेल नाह।
एहने साओन-भादवक रातिमे सतमाए, घाट पर उतरल वणिक् केँ तेल लगेबाक हेतु महुआकेँ पठबए चाहैत अछि आ ओ जाए नहि चाहैत अछि। अपन माएकेँ मोन पाड़ैत अछि।
नोन चटा केँ किए नहि मारलँह,
पोसलँह एहि दिन खातिर।
मुदा सतमाए साओन-भादवक रातिमे पथिककेँ घाट पार करबाबए लेल महुआकेँ पठा देलक। महुआ बिदा भेलि आ बीच रस्तामे अपन सखी-बहिनपा फूलमतीसँ भरि राति गप करैत रहलि।
केहन माए अछि जे रातिमे घाट पार करेबाक लेल कहैत अछि। माय ईहो कहलक जे पथिक पाइबला होए आ बूढ़ होए तँ ओकरा तेल-मालिस करबामे कोनो हर्ज नहि। ओकर मोनमे जे होअए, भेल तँ ओ पिते समान।ओकरा जेबीसँ चारि पाइ निकालि लेल जाएय, अहीमे बुधियारी अछि।
फूलमती कहलक- घबरायब नहि। जरेने रहू प्रेमक आगि, ओकरा लेल जे मोरंगमे आँगुर पर दिन गानि रहल अछि।
मोरंगक नाम सुनि महुआ उदास भए गेलि। ओ फागुनमे आयत गऽ।
भोरहरबामे ओ गामपर पहुँचल आ माए दस बात कहलकैक। बाप नशामे आएल तँ माए ओकरो लात मारि भगा देलकैक।
तखने हरकारा आएल आ माएक कानमे संदेश देलक। महुआ माएकेँ कहलक जे अहाँ जे कहब से हम करब। वणिकक आदमी आयल छल, ओकरा संग महुआ घाट पर पहुँचलि। वणिक दू सिपाहीक संग नावमे बैसल। महुआ नाव खेबय लागलि। मुदा ओकरा नहि बूझल रहए जे ओकरा बेचि देल गेल छै। सिपाही ओकरासँ पतवारि छीनि लेलक। सौदागर ओकरा कोरामे बैसाबय चाहलक तँ ओ छरपटाय लागलि। सिपाही कहलक जे सभटा पाइ चुका देल गेल अछि, अहाँकेँ कोनो मँगनीमे नहि लए जा रहल छथि।
महुआ स्थिर भए गेलीह। ओ सभ बुझलक जे महुआ मानि गेल अछि। तखने महुआ धारमे कूदि पड़लि। उल्टा धारमे मोरंग दिशि निकलि जाए चाहलक महुआ, जतय ओकर प्रेमी अछि। ओकरा लेल सात पालक नाव लेने।
सौदागरक छोटका सिपाही महुआकेँ प्रेम करए लागल छल, ओहो कूदि गेल कोशिकीक धारमे, दूनू डूबि गेल।
अखनो साओन-भादवक धारमे कोनो घटवारकेँ कखनो देखा पड़ैत छै महुआ। कोनो खिस्सा वचनहारकेँ देखा जाइत अछि ओ आ शुरू भए जाइत अछि-
एकटा छलीह महुआ घटवारिन..............................।
डाकूरौहिणेय
मगध देशमे अशोकक पिता बिम्बिसारक राज्य छल। संपूर्ण शांति व्याप्त छल मुदा एकटा डाकू रौहिणेयक आतंक छल।
रौहिणेयक पिता रहए डाकू लौहखुर। मरैत-मरैत ओ कहि गेल जे महावीर स्वामीक प्रवचन नहि सुनए आ ज्योँ कतओ प्रवचन होअय तँ अप्पन कान बन्द कऽ लए, अन्यथा बर्बादी निश्चित होएत।
रौहिणेय मात्र पाइ बला केँ लुटैत छल आ गरीबकेँ बँटैत छल। ताहि द्वारे गामक लोक ओकर मदति करैत रहए आ’ ओ पकड़ल नहि जा सकल छल।
एक बेर तँ ओ अप्पन संगीक संग वाटिकामे पाटलिपुत्रक सभसँ पैघ सेठक पुतोहु मदनवतीक अपहरण कए लेलक, जखन ओकर पति फूल लेबाक हेतु गेल रहए। जखन ओकर पति आएल तँ रौहिणेयक संगी ओकरा गलत जानकारी दऽ भ्रमित कएलक।
ओकरा बाद सुभद्र सेठक पुत्रक विवाह रहए। बराती जखन घुरि रहल छल तखन रौहिणेय सेठानी मनोरमाक भेष बनेलक आ ओकर संगी नर्त्तक बनि गेल। नकली नर्त्तक जखन नाचए लागल तखन रौहिणेय भीड़मे कपड़ाक साँप छोड़ि देलक। रौहिणेय गहनासँ लादल वरकेँ उठा निपत्ता भए गेल।
राजा शहरक कोतवालकेँ बजेलक। ओ तँ रौहिणेयकेँ पकड़बामे असमर्थता व्यक्त कएलक आ कोतवाली छोड़बाक बातो कएलक। मंत्री अभयकुमार पाँच दिनमे डाकू रौहिणेयकेँ पकड़ि कए अनबाक गप कहलक। राजा ततेक तामसमे छलाह जे पाँच दिनका बाद डाकू रौहिणेयकेँ नहि अनला उत्तर अभयकुमारकेँ गरदनि काटि लेबाक बात कहलन्हि।
डाकू रौहिणेयकेँ सभ बातक पता चलि गेल छलैक। अभयकुमार जासूस सभ लगेलक। रौहिणेयकेँ मोनमे अएलैक जे सेठ साहूकार बहुत भेल आब किए नहि राजमहलमे डकैती कएल जाय। ओ राजमहलक रस्ता पर चलि पड़ल। रस्तामे वाटिकामे महावीरस्वामीक प्रवचन चलि रहल छल।
रौहिणेय तुरत अपन कान बन्द कए लेलक। मुदा तखने ओकरा पैरमे काँट गरि गेलैक। महावीर स्वामी कहि रहल छलाह-
“देवता लोकनिकेँ कहियो घाम नहि छुटैत छन्हि। हुनकर मालाक फूल मौलाइत नहि अछि, हुनकर पएर धरती पर नहि पड़ैत छन्हि आ हुनकर पिपनी नहि खसैत छन्हि।”
तावत रौहिणेय काँट निकालि कानकेँ फेर बन्न कए लेलक आ राजमहलक दिशि बिदा भेल।राजमहलमे सभ पहरेदार सुतल बुझाइत छल। मुदा ई अभयकुमारक चालि रहए। ओकर जासूस बता रहल रहए जे डाकू नगर आ महल दिशि आबि रहल अछि।
जखने ओ महलमे घुसैत रहए तँ पहरेदार ललकारा देलक। ओ छड़पिकय काली मंदिर मे चलि गेल। सिपाही सभ मंदिरकेँ घेरि लेलक। ओ जखन देखलक जे बाहरसँ सभ घेरने अछि तँ सिपाहीक मध्यसँ मंदिरक चहारदिवारी छड़पि गेल। मुदा ओतहु सिपाही सभ छल आ ओ पकड़ल गेल। राजा ओकरा सूली पर चढ़ेबाक आदेश देलकैक। मुदा मंत्री कहलन्हि जे बिना चोरीक माल बरामद केने आ बिना चिन्हासीक एकरा कोना फाँसी देल जाए। रौहिणेय मौका देखि कए गोहारि लगेलक जे ओ शालि गामक दुर्गा किसान छी। ओकर घर परिवार ओहि गाममे छै। ओ तँ नगर मंदिर दर्शनक हेतु आएल छल। ततबेमे सिपाही घेरि लेलकैक। राजा ओहि गाममे हरकारा पठेलक मुदा ग्रामीण सभ रौहिणेयसँ मिलल छल। सभ कहलकैक जे दुर्गा ओहि गाममे रहैत अछि मुदा तखन कतहु बाहर गेल छल। अभयकुमार सोचलक जे एकरासँ गलती कोना स्वीकार करबाबी। से ओ डाकूकेँ नीक महलमे कैदी बना कए रखलक। डाकू महाराज ऐश-आराममे डूबि गेलाह।
अभयकुमार एक दिन डाकूकेँ खूब मदिरा पिया देलन्हि। ओ जखन होशमे आएल तँ चारू कात गंधर्व-अप्सरा नाचि रहल छल।
ओ सभ कहलकैक जे ई स्वर्गपुरी थीक आ इन्द्र रौहिणेयसँ भेँट करबाक हेतु आबए बला रहथि। रौहिणेय सोचलक जे राजा हमरा सूली पर चढ़ा देलक। मुदा ओ सभतँ मंत्रीक पठाओल गबैया सभ छल।
तखने इंद्रक दूत आएल आ कहलक जे रौहिणेयकेँ देवताक रूप मे अभिषेक होएतैक मुदा ताहिसँ पहिने ओकरा अपन पृथ्वीलोक पर कएल नीक-अधलाह कार्यक विवरण देबए पड़तैक।
तखन रौहिणेयकेँ भेलैक जे सभटा पाप स्वीकार कए लिअए। मुदा तखने ओ देखलक जे दैव लोकक जीव सभ घामे-पसीने अछि, माला मौलायल छै, पएर धरती पर छै आ पिपनी उठि-खसि रहल छै।
ओ अपन पुण्यक गुणगाण शुरू कए देलक। अभयकुमार राजाकेँ कहलक जे अहाँ ज्योँ ओकरा अभयदान दए देबैक तँ ओ सभटा गप्प बता देत। सैह भेलैक।
रौहिणेय नगरक बाहरक अपन जंगलक गुफाक पता बता देलक। जतए सभटा खजाना आ अपहृत व्यक्ति सभ छल। राजा कहलन्हि जे किएक तँ ओकरा अभयदान भेटि गेल छै ताहि हेतु ओ सभ संपदा राखि सकैत अछि। मुदा रौहिणेय कोनोटा वस्तु नहि लेलक। ओ कहलक जे जाहि महावीरस्वामीक एकटा वचन सुनलासँ ओकर जान बचि गेलैक, तकर दीक्षा लेत आ ओकर सभटा वचन सुनि जीवन धन्य करत।
मूर्खाधिराज
एकटा गोपालक छल। तकर एकटा बेटा छल। ओकर कनियाँ पुत्रक जन्मक समय मरि गेलीह। बा बच्चाक पालन कएलन्हि। मुदा ओ बच्चा छल महामूर्ख। जखन ओ बारह वर्षक भेल तखन ओकर विवाह भए गेल। मुदा ओ विवाहो बिसरि गेल।
बुढ़िया बाकेँ काज करएमे दिक्कत होइत छलन्हि। से ओ बुझा-सुझाकेँ ओकरा, कनियाकेँ द्विरागमन करा कए अनबाक हेतु कहलन्हि। बा ओकरा गमछामे रस्ता लेल मुरही बान्हि देलन्हि। रस्तामे बच्चाकेँ भूख लगलैक। ओ गमछासँ मुरही निकालि कए जखने मुँहमे देबए चाहैत छल आकि मुरही उड़ि जाइत छल। बच्चा बाजए लागल- आऊ, आऊ उड़ि जाऊ।
लगमे बोनमे एकटा चिड़ीमार जाल पसारने छल। बच्चाक गप सुनि कए ओकरा बड्ड तामस उठलैक। ओकरा लगलैक जेना ई बच्चा ओकर चिड़ैकेँ उड़ाबए चाहैत अछि। चिड़ीमार बच्चाकेँ पकड़ि कए पुष्ट पिटान पिटलक।
बच्चा पुछलक- हमर दोख तँ कहू?
चिड़ीमार कहलक- एना नहि। एना बाजू। आबि जो। फँसि जो।
आब बच्चा सैह बजैत आगू जाए लागल। आब साँझ भए रहल छल। बोन खतम होएबला छल। ओतए चोर सभ चोरिक योजना बनाए रहल छलाह। ओ सभ सुनलन्हि जे ई बच्चा हमरा सभकेँ पकड़ाबए चाहैत अछि। से ओ लोकनि सेहो ओकरा पुष्ट पिटान पिटलन्हि।
बच्चा फेर पुछलक- हम बाजी तँ की बाजी?
चोरक सरदार कहलक- बाज जे एहन सभ घरमे होए।
आब बच्चा यैह कहैत आगाँ बढ़ए लागल। आब श्मसानभूमि आबि गेल। एकटा जमीन्दारक एकेटा बेटा छलैक। से मरि गेल छल आ सभ ओकरा डाहबाक लेल आबि रहल छलाह। ओ लोकनि बच्चाक गप पर बड़ कुपित भेलाह आ ओकरा पुष्ट पिटलन्हि।
फेर जखन बच्चा पुछलक जे की बाजब उचित होएत तँ सभ गोटे कहलखिन्ह जे एना बाजू- एहन कोनो घरमे नहि होए।
बच्चा यैह गप बाजए लागल। आब नगर आबि गेल छल आ राजाक बेटाक विवाहक बाजा-बत्ती सभ भए रहल छल। बरियाती लोकनि बच्चाकेँ कहैत सुनलन्हि जे एहन कोनो घरमे नहि होए तँ ओ लोकनि क्रोधित भए फेर ओहि बच्चाकेँ पिटपिटा देलखिन्ह।
जखन बच्चा पुछलक जे की बजबाक चाही तँ सभ कहलक जे किछु नहि बाजू। मुँह बन्न राखू।
बच्चा सासुर आबि गेल। ओतए नहिये किछु बाजल नहिये किछु खएलक। कारण खएबामे मुँह खोलए पड़ितैक।
भोरे-सकाले सासुर बला सभ अपन बेटीकेँ ओहि बच्चाक संग बिदा कए देलन्हि। रस्तामे बड्ड प्रखर रौद छलैक। ओ सुस्ताए लागल। मुदा कलममे सेहो बड्ड गुमार छलैक। कनियाकेँ बड्ड घाम खसए लगलैक आ ताहिसँ ओकर सिन्दूर धोखरि गेलैक। बच्चाकेँ भेलैक जे सासुर बला ओकरासँ छल कएलक आ ओकरा भँगलाहा कपार बाली कनियाँ दए जाइ गेल अछि। एहन कनियाँकेँ गाम पर लए जाए ओ की करत।
ओ तखने एकटा हजामकेँ बकरी चरबैत देखलक। ओकरासँ अपन पेटक बात कहबाक लेल अपन मुँह खोललक आ सभटा कहि गेल। हजाम बुझि गेल जे ई बच्चा मूर्खाधिराज अछि। ओ ओकरा अपन दूध देमए बाली बकड़ीक संग कनियाँक बदलेन करबाक हेतु कहलक। बच्चा सहर्ष तैयार भए गेल।
आगू ओ बच्चा सुस्ताए लागल आ खुट्टीसँ बकड़ीकेँ बान्हि देलक। बकड़ी पाउज करए लागल तँ बच्चाकेँ भेलैक जे बकड़ी ओकर मुँह दूसि रहल अछि। ओ ओकरा हाट लए गेल आ कदीमाक संग ओकरो बदलेन कए लेलक। गाम पर जखन ओ पहुँचल तँ ओकर बा बड्ड प्रसन्न भेलीह। हुनका भेलन्हि जे कनियाँक नैहरसँ सनेसमे कदीमा आएल अछि। मुदा कनियाँकेँ नहि देखि तकर जिगेसा कएलन्हि तँ बच्चा सभटा खिस्सा सुना देलकन्हि। ओ माथ पीटि लेलन्हि। मुदा बच्चा ई कहैत खेलाए चलि गेल जे कदीमाक तरकारी बना कए राखू।
कौवा आ फुद्दी
एकटा छलि कौआ आ एकटा छल फुद्दी। दुनूक बीच भजार-सखी केर संबंध। एक बेर दुर्भिक्ष पड़ल। खेनाइक अभाव एहन भेल जे दुनू गोटे अपन-अपन बच्चाकेँ खएबाक निर्णय कएलन्हि। पहिने कौआक बेर आएल। फुद्दी आ कौआ दुनू मिलि कए कौआ-बच्चाकेँ खा गेल। आब फुद्दीक बेर आएल। मुदा फुद्दी सभ तँ होइते अछि धूर्त्त।
“अहाँ तँ अखाद्य पदार्थ खाइत छी। हमर बच्चा अशुद्ध भए जायत। से अहाँ गंगाजीमे मुँह धोबि कए आबि जाऊ”।
कौआ उड़ैत-उड़ैत गंगाजी लग गेल-
“हे गंगा माय, दिए पानि, धोबि कए ठोढ़, खाइ फुद्दीक बच्चा”।
गंगा माय पानिक लेल चुक्का अनबाक लेल कहलखिन्ह।
आब चुक्का अनबाक लेल कौआ गेल तँ ओतएसँ माटि अनबाक लेल कुम्हार महाराज पठा देलखिन्ह्। खेत पर माटिक लेल कौआ गेल तँ खेत ओकरा माटि खोदबाक लेल हिरणिक सिंघ अनबाक लेल विदा कए देलकन्हि। हिरण कहलकन्हि जे सिंहकेँ बजा कए आनू जाहिसँ ओ हमरा मारि कए अहाँकेँ हमर सिंघ दऽ देमए।
आब जे कौआ गेल सिंह लग तँ ओ सिंह कहलक- “हम भेलहुँ शक्त्तिहीन, बूढ़। गाएक दूध आनू, ओकरा पीबि कए हमरामे ताकति आयत आ हम शिकार कए सकब”।
गाएक लग गेल कौआ तँ गाए ओकरा घास अनबाक लेल पठा देलखिन्ह। घास कौआकेँ कहलक जे हाँसू आनि हमरा काटि लिअ।
कौआ गेल लोहार लग, बाजल-
“हे लोहार भाए,
दिअ हाँसू, काटब घास, खुआयब गाय, पाबि दूध,
पिआयब सिंहकेँ, ओ मारत हरिण,
भेटत हरिणक सिंघ, ताहिसँ कोरब माटि,
माटिसँ कुम्हार बनओताह चुक्का, भरब गङ्गाजल,
धोब ठोर, आ खायब फुद्दीक बच्चा”।
लोहार कहलन्हि, “हमरा लग दू टा हाँसू अछि, एकटा कारी आ एकटा लाल। जे पसिन्न परए लए लिअ”।
कौआकेँ ललका हाँसू पसिन्न पड़लैक। ओ हाँसू धीपल छल, जहाँने कौआ ओकरा अपन लोलमे दबओलक, छरपटा कए मरि गेल।
नैका बनिजारा
शोभनायका छलाह एकटा वणिकपुत्र। हुनकर विवाह तिरहुतक कोनो स्थानमे बारी नाम्ना स्त्रीसँ भेल छलन्हि। शोभा द्विरागमन करबा कए कनियाँकेँ अनलन्हि आ बिदा भए गेलाह मोरंगक हेतु व्यापार करबाक लेल। पत्नीक संग एको दिन नहि बिता सकल छलाह। रातिमे एकटा गाछक नीचाँमे जखन ओ राति बितेबाक लेल सुस्ता रहल छलाह तखन हुनका एकटा ध्वनि सुनबामे अएलन्हि। एकटा डकहर अपन भार्याक संग ओहि गाछ पर रहैत छल। दुनू गोटे गप कए रहल छलाह, जे ओ राति बड़ शुभ छल आ ओहि दिन पत्नीक संग जे रहत तकरा बड्ड प्रतिभावान पुत्रक प्राप्ति होएतैक।
ई सुनतहि शोभा घर पहुँचि गेल भार्या लग। लोकोपवादसँ बचबाक लेल पत्नीकेँ अभिज्ञानस्वरूप एकटा औँठी दए देलन्हि आ चलि गेलाह मोरंग। ओतए १२ बर्ख धरि व्यापार कएलन्हि आ तेरहम बरख बिदा भेलाह घरक लेल।
एम्हर ओकर कनियाक बड़ दुर्गति भेलैक। ओ जखन गर्भवती भए गेलीह, सासु-ससुर घरसँ निकालि देलकन्हि हुनका। मुदा ओकर दिअर जकर नाम छल चतुरगन, ओकरा सभटा कथा बुझल छलैक। ओतए रहय लगलीह ओ। जखन शोभा घुरल तखन सभ रहस्य बुझलक आ सभ हँसी खुशी रहए लागल।
तब बारी रे कानय जार बेजारो कानै रे ना।
दुर्गा गे स्वामी के लैके कोहबर घर लेवा ने
केलही रे ना।
कोहबर घर से हमरो निकालियो देलकइ रे ना
दुर्गा गे केना बचबै अन्न-पानी बिन केना
रहबइ रे ना।
डोकी डोका
एक टा छल डोका आ एकटा छल डोकी।
दुनूमे बड्ड प्रेम। डोकी कहए तरेगण लए आऊ तँ डोका तरेगण आनएमे सेकेण्डक देरी भए जाए तँ ठीक मुदा मिनटक देरी नञि होमए दैत छल।
सियारकेँ रहए ईर्ष्या दुनूसँ। से ओ कनही सियारिनसँ मिलि गेल आ एक दिन जख्नन डोका आ डोकी एक्के थारीमे भोजन कए रहल छल, तखन डोकाकेँ बजेलक। एम्हर-ओम्हरक गप कए ओकरा बिदा कए देलक। फेर डोकीकेँ बजेलक ओ सियरबा। पुछलक जे अहाँ दुनू गोटेमे बड़ प्रेम अछि मुदा डोका जे कहलक ताहिसँ तँ हमरा बड़ दुःख भेल। लागय-ए जे ओकर मोन ककरो आन पर छै। आर किछु पूछए लागल डोकी तावत ओ सियरबा पड़ा गेल।
आब डोकी घरमे हनहन-पटपट मचा देलक। डोका लकड़ी काटय बोन दिशि गेल। घुरल नहि। भोरमे एकटा जोगी आएल तँ ओकरासँ डोकी पुछलक जे ई की भेल ? जोगिया कहलक जे ई अछि पूर्व जन्मक सराप। जखने अहाँ डोकी पर विश्वास छोड़ब डोका छोड़ि कए चलि जाएत मुदा सातम दिन भेटि जाएत।
मुदा डोकी निकलि गेलि डोकाकेँ ताकए। बगुला भेटलैक डोकीकेँ कहलकैक-रुकि जाऊ एहि राति। फेर सियरबा, वटवृक्ष, मानसरोवरक रस्तामे बोनमे हाथी सभ कहलकैक जे एक एक राति रुकि कए जाऊ मुदा डोकी नहि रुकलि।
फेर भेटल मूस। ओ कहलक जे हमरा संग चलू, हम महल लए जायब, खिस्सा सुनाएब छह रातिक बाद सातम राति बीतत आ डोका भेटत। खिस्सा सुनैत-सुनबैत महल दिशि विदा भेल दुनू गोटे। मूस कहलक जे अहाँ हँ-हँ कहैत रहब खिस्साक बीचमे। मूसक खिस्सा कनेक नमगर रहए। डोकी बीचमे हँ कहब बिसरि गेलि। आ तकर बाद मूस सेहो खिस्सा बिसरि गेल। कतबो मोन पाड़य चाहलक मुदा मोन नहि पड़लैक। फेर आगू बढ़ल दुनू गोटे। एकटा दीबारिमे भूर कए दुनू गोटे सुरंगमे पहुँचल तँ दू राति धरि चलैत रहल तखन महल आएल। ओतए डोकी हलुआ बनबए लेल लोहियामे समान देलक आ कनेक पानि आनए लेल बाहर गेल तँ मूसकेँ रहल नञि गेलैक आ ओ लोहियामे मुँह दए देलक आ मरि गेल। डोकी घुरि कए ई देखलक तँ कुहड़ि उठल।
बगुला छोड़ल सियरबा छोड़ल
छोड़ल वटक वृक्ष
हाथी सन बलगर
पकड़ल ई मूस।
मूस भैयाक संग लेल बीतल छह राति,
सातम रातिमे ओ प्राण गमेलन्हि
आ ओकर साँस टुटए लगलैक, मुदा तखने दरबज्जा खुजल आ कुरहड़ि लेने डोका हाजिर।
रघुनी मरर
देवदत्त, काशीराम आ रघुनी मरर तीन भाँए। गाए चराबए जाथि। एक बेर अकाल आएल तँ रघुनी भागि कए सहरसाक बनमां प्रखण्डक बिदिया बरहमपुर गाममे अपन डेरा खसेलन्हि।एतए जमीन्दार रहथि जुगल आ कमला प्रसाद। जुगल प्रसाद एक बेर दंगल करेने छलाह ओहि दंगलकेँ जितने छलाह रघुनी। रघुनी हुनके लग गेलाह। एक सय बीघा जमीन देलन्हि जुगल प्रसाद हुनका। सुगमां गाममे बथान बनओलन्हि रघुनी। खेती करथि आ परिवारसँ दूर सुगमा गाममे रहथि।
एम्हर जुगल प्रसादक घरमे कलह भेल आ अपन जमीन-जत्था ओ गागोरी राजकेँ बेचि देलन्हि। रघुनीकेँ जखन ई पता चललन्हि तँ हुनका बड्ड दुख भेलन्हि।
एक दिन संगीक संग रघुनी नाच देखबाक लेल सिमरी गामक चौधरीक दलान पर गेल। चौधरी नाचक बाद नटुआकेँ औँठी आ दुशाला देलखिन्ह। रघुनी नटुआकेँ कहलखिन्ह जे बथान परसँ अपन पसिन्नक एक जोड़ी गाए हाँकि लिअ। नटुआ खुशीसँ दू टा निकगर गाय हाँकि अनलक आ खुशीसँ चौधरीकेँ देखेलक। मुदा चौधरीकेँ बुझेलए जे रघुनी हुनका नीचाँ देखबए चाहैत छथि। मुदा सोझाँ-सोँझी भिरबाक हिम्मत तँ छलए नहि।
से चौधरी देवी उपासक जादूक कलाकार मकदूम जोगीसँ भेँट कएलक। ओ जोगीकेँ कहलक जे रघुनीकेँ हमर नोकर बना दिअ। जोगी सरिसओ फूकि छिटलक मुदा रघुनी छल देवी भक्त से जोगीक जादू नहि चललैक।
चण्डिकाक सिद्धि कएलक जोगी आ रघुनी पर जादू सँ सए टा बाघसँ घेरबा कए मारि देलक। मुदा भक्त छल रघुनी से चण्डिकाक बहिन कामाख्या आबि रघुनीकेँ जिया देलन्हि। दोसर जादू लेल जोगी सरिसओ मन्त्राबए लेल जे सरिसओ मुट्ठीमे लेलक तँ मुट्ठी बन्दक-बन्दे रहि गेलैक।
फेर चौधरीकेँ पता चललैक जे रघुनी गागोरी राजाक लगान नहि देने अछि। से ओ राजा लग गेल आ कहलक जे रघुनी ने तँ अपने लगान देने अछि आ उनटले लोक सभकेँ लगान देबासँ मना कए रहल अछि।
गाम पर रघुनी नहि रहए आ सिपाही सभ ओकर भाए देवदत्त मरड़केँ लए विदा भए गेलाह। रस्तामे केजरीडीह लग देवदत्त रघुनीकेँ देखलन्हि, रघुनी सेहो देवदत्तकेँ देखलन्हि। मुदा सिपाही सभ रघुनीकेँ नहि देखि सकलाह। मुदा जखन राजा देवदत्तकेँ काल कोठरीमे दए सिपाही सभकेँ ओकरा मारबाक लेल कहलक तँ जे कोड़ा चलबय उनटे तकरे चोट लागए।
राजा देवदत्तसँ कहलक जे गलती भेल आब अहाँ जे कहब सैह हम करब। देवदत्तक कहला अनुसार जे रैयत लगान नहि भरलाक कारणसँ जहलमे रहथि से छोड़ि देल गेलाह आ राजा रघुनी मररसँ सेहो घट्टी मँगलन्हि।
जट-जटिन
महाराज सिव सिंह (१४१२-१४४६) मिथिलाक राजा छलाह। विद्यापति हुनके शासनकालमे भेल छलाह आ राजा शिव सिंह आ हुनकर रानी लखिमारानी हुनकासँ बड़ प्रेम करैत रहथि। एक टा जयट वा जट नाम्ना बड़ पैघ संगीतकार सेहो छलाह ओहि समयमे। राजा शिव सिंह हुनकासँ विद्यापतिक गीतकेँ राग-रागिनीमे बन्हबाक लेल कहने रहथि। वैह जयट जट-जटिन नाटकक रचना कएलन्हि आ जटक भूमिका सेहो कएने छलाह। साओन-भादवक शुक्ल-पक्षक रातिमे ई नाटक स्त्रीगण द्वारा होइत अछि।
जट छथि पहिरने पुरुष-परिधान आ जटिन पहिरने छथि छिटगर नूआ। आ देखू दुनू गोटे अपना संग अपन-अपन संगीकेँ लए आबि गेल छथि।
बियाहक पहिल सालक साओन। जटिन जाए चाहैत छथि नैहर मुदा धारमे बाढ़ि छै, हे माय कोनो नौआ-ठाकुर-ब्राह्मण आकि पैघ भाए केर बदलामे छोटका भायकेँ पठबिहँ बिदागरीक लेल नञि तँ सासुर बला सभ बिदागरी आपिस कए देत।
जाहि नवकनियाँकेँ नैहर नहि जाय देल गेल ओ अपन पतिकेँ कहैत छथि जे जट-जटिनक नृत्यमे तँ भाग लेबए दिअ। मुदा वर झूमर खेलएबासँ मना कए दैत छथि तखन ओ घामक बहन्ना बनाए दूर भए जाइत छथि।
जट-जटिन बीचमे छथि आ दुनूक संगीमे बहस चलि रहल अछि।
-चलू झूमर खेलाए।
-कोन पातपर चढ़ि कए।
-पुरैनीक।
जट-जटिनमे विआह होए बला अछि मुदा जट किछु बातपर अड़ि गेल, जेना धानक शीस जेकाँ लीबि कए चलए जटिन, किछु देखावटी विरोधक बाद जटिन सभटा मानि जाइत छथि।
फेर दुनू गोटे विआह कए लैत छथि। फेर भोर होइत अछि, जटिन कहैत छथि जे जाए दिअ। अँगना बहारबाक अछि मुदा जटा कहैत छथि जे अँगना माए-बहिन बहारि लेत।
फेर दिन बितैत अछि तँ जटिन कहैत छथि जे गहना किएक नहि बनबाए रहल छी हमरा लेल आर बहन्ना करब तँ हम सोनारक घर चलि जाएब।
जटिन ततेक खरचा करबैत छन्हि जे जटाक हाथी तक बिका जाइत छन्हि आ हाथीक सिकड़ि मात्र बचल रहि जाइत छन्हि।
जटिन कहैत छथि जे हमरा नैहर जएबाक अछि तँ जटा कहैत छथि जे धानक फसिल तैयार अछि, तकरा काटि कए जाऊ। जटिन नहि मानैत छथि कहैत छथि जे एहि बेर जे हम जाएब तँ घुरि कए नहि आएब। मुदा सौतिनक गप सुनि कए डेराए जाइत छथि। बीचमे स्वांग जेना कोनो रोगीक इलाज आदि सेहो होइत रहैत अछि।
जट मोरंग बिदा भए जाइत छथि कमाएबा लेल। जटिनकेँ सोनार प्रलोभन दैत छन्हि गहनाक मुदा जटिन जटाक सुन्दरताक वर्णन करैत छथि।
फेर जटा घुरि अबैत अछि। एक दिन दुनू गोटेमे कोनो गप लऽ कए झगड़ा भए जाइत छन्हि। जट छौँकीसँ जटिनकेँ छूबि दैत छथि। जटिन रूसि कए घर छोड़ि दैत छथि। जटा गोपी, मनिहारिन आ आन-आन रूप धरि ताकैत छथि हुनका। जटाक घरमे झोल-मकड़ा भरि जाइत छन्हि आ अंगनामे दूभि जनमि जाइत छन्हि। तखन जटिन हुनका लग आबि जाइत छथि। फेर स्त्रीगण लोकनि बेंग सभकेँ एकटा खद्धा खुनि कए ओहिमे दए दैत छथि आ ऊपरसँ ओकरा कूटैत छथि आ मरल बेंगकेँ झगराहि स्त्रीक दरबज्जापर फेकि अबैत छथि। ओ स्त्री भोरमे मरल बेंगकेँ देखला उत्तर जतेक गारि पढ़ैत छथि, ततेक बेशी बरखा होइत अछि।
बत्तू
एकटा बकड़ी छलि। ओकरा एकटा बच्चा भेलैक। मुदा ओ छागर मात्र ४ मासक छल आकि दुर्गापूजा आबि गेल। दुर्गापूजामे छागरक बलि देबाक कियो कबुला केने छलाह। से बकड़ीक मालिकक लग आबि छागरक दाम-दीगर केलन्हि। संगमे पाइ नहि अनने छलाह से अगिला दिन पाइ अनबाक आ छागर लए जएबाक गप कए चलि गेलाह।
बकड़ी ई सभ सुनैत छलि ओ अपन बच्चाकेँ कहलन्हि जे भागि जाऊ जंगल दिस नहि तँ ई मलिकबा काल्हि अहाँकेँ बेचि देत आ किननहार दुर्गापूजामे अहाँक बलि दए देत।
छागर राता-राती जंगल भागि गेल। २-३ साल ओ जंगलमे बितेलक, मोट-सोट बत्तू भए गेल, पैघ दाढ़ी आ सिंघ भए गेलैक ओकरा। एक दिन घुमैत-घुमैत ओ दोसर जंगलमे चलि गेल। ओतए एकटा बाघ छल, बत्तू बाघकेँ देखि कए घबड़ा गेल। बाघ सेहो एहन जानवर नहि देखने छल, से ओ अपने डरायल छल। ओ पुछलक-
नामी नामी दाढ़ी- मोंछ भकुला,
कहू कतएसँ अबैत छी, नञि तँ देव ठकुरा।
बत्तू कहलक-
अर्चुन्नी खेलहुँ गरचुन्नी खेलहुँ, सिंह खेलहुँ सात।
आ जहिया दस बाघ नञि होए, तहिया परहुँ ठक दए उपास।
ई सुनि बाघ पड़ाएल। मुदा रस्तामे नढिया सियार ओकरा भेटलैक आ कहलकैक जे अहाँ अनेरे डराइत छी। चलू आइ तँ नीक मसुआइ होएत। ओ तँ बकड़ीक बच्चा अछि। बाघ डराएल छल से ओ सियारक पएरमे पएर बान्हि ओतए जएबा लेल तैयार भए गेल। आब बत्तू जे दुनूकेँ अबैत देखलक तँ बुझि गेल जे ई सियरबाक काज अछि। मुदा ओ बुद्धिसँ काज लेलक। कहलक-
“ऐँ हौ, तोरा दू टा बाघ आनए ले कहलियहु आ तोँ एकेटा अनलह”।
ई सुनैत देरी बाघ भागल आ सियरबा घिसिआइत मरि गेल।
भाट-भाटिन
एकटा छल भाट आ एकटा छलि भाटिन।
भाटिन एकटा मणिधारी गहुमनसँ प्रेम करैत छलि। ओ साँप लेल नीक निकुत बनबैत छलि आ भाटकेँ बसिया-खोसिया दैत छलि। भाट दुबर-पातर होइत गेल। मुदा भाटिन ओकरा जिबए नहि दए चाहैत छलि से ओ साँपकेँ कहलक भाटकेँ काटि लेबाक लेल।
आब साँप भाटकेँ काटए लेल ताकिमे रहए लागल। एक दिन जखन भाट धारमे पएर धोबए लेल पनही खोलि कए रखलक तखने साँप ओकर पनहीमे नुका गेल। भाट आएल आ पहिरबाक पहिने पनही झारलक तँ ओ साँप खसि पड़ल। भाट पनहीसँ मारि-मारि कए साँपक जान लऽ लेलक आ ओकरा मारि कए वरक गाछपर लटका देलक।
भाट जखन गामपर पहुँचल तखन ओ अपन कनियाँकेँ सभटा खिस्सा सुनेलक। आब भाटिनक तँ प्राण सुखा गेलैक। ओ भाटक संग वरक गाछ लग गेल आ अपन प्रेमी साँपकेँ मरल देखि कए बेहोश भऽ गेल। भाट ओकरा गामपर अनलक। भाटिन दुखी भऽ असगरे वरक गाछपरसँ साँप उतारि ओकरा नौ टुकड़ा कए घर आनि लेलक। भाटिन साँपक चारि टा टुकड़ी चारू खाटक पाइसक नीचाँ, एकटा मचियाक नीचाँ, एकटा तेलमे, एकटा नूनमे, एकटा डाँरमे आ एकटा खोपामे राखि लेलक। फेर भाटकेँ कहलक जे खाट, मचिया, नून-तेल, डाँर आ खोपामे की अछि से बता नहि तँ भकसी झोका कए मारबौक। भाट नहि बता सकल आ ओ कहलक जे मरएसँ पहिने ओ बहिनसँ भेँट करए चाहैत अछि आ ताहि लेल दू दिनुका मोहलति ओकरा चाही।
भाट अपन बहिन लग गेल तँ ओ अपन भाइक औरदा जोड़ि रहल छलि। सभ गप जखन ओकरा पता चललैक तखन ओ कहलक जे ओहो संग चलत ओकर। रस्तामे एकटा धर्मशालामे रातिमे दुनू भाइ-बहिन रुकल मुदा बहिन चिन्ते सुति नहि सकल। तखने धर्मशालाक सभटा दीआ एक ठाम आबि कए गप करए लागल। भाटक बहिनक कोठलीक दीआ कहलक जे भाटिन अपन वर भाटकेँ मारए चाहैत अछि आ ओ जे फुसियाहीक प्रहेलिका बनेने अछि, से ओकर प्रेमी जे मरल गहुमन छल तकरा ओ टुकड़ी कए ठाम-ठाम राखि देने अछि आ तकरे प्रहेलिका बना देने अछि। आब भोरमे जखन दुनू भाइ बहिन गामपर पहुँचए जाइ गेल तँ बहिन अपन भौजीकेँ कहलक जे ओ सेहो प्रहेलिका सुनए चाहैत अछि।
भाटिन कहलक जे ज्योँ ओ प्रहेलिका नञि बुझि सकल तखन ओकरो भकसी झोँका कऽ ओ मारि देत। तखन ननदि कहलक जे यदि ओ प्रहेलिकाक उत्तर दए देत तखन भौजीकेँ भकसी झोका कए मारि देत। आब जखने भाटिन प्रहेलिका कहलक तखने बहिन सभटा टुकड़ी निकालि-निकालि कऽ सोझाँ राखि देलक आ भौजीकेँ भकसी झोका कऽ मारि देलक।
गांगोदेवीक भगता
गांगोदेवी मलाहिन छलीह। एक दिन हुनकर साँए, अपन भाय आ पिताक संग माछ मारए लेल गेलाह। साओनक मेला चलि रहल छलैक आ मिथिलामे साओनमे माँछ खएबा आकि बेचएपर तँ कोनो मनाही छै नहि। गांगोदेवीक वर सोचलन्हि जे आइ माछ मारि हाटमे बेचब आ साओनक मेलासँ गांगो लेल चूड़ी-लहठी आनब।
धारमे तीनू गोटे जाल फेकलन्हि सरैया पाथलन्हि मुदा बेरू पहर धरि डोका, हराशंख आ सतुआ मात्र हाथ अएलन्हि। आब गांगोक वर अपन कनियाँक नाम लए जाल फेकि कहलन्हि जे ई अन्तिम बेर छी गांगो। एहि बेर जे माँछ नहि आएल तँ हमरा क्षमा करब। आब भेल ई जे एहि बेर जाल माँछसँ भरि गेल। जाल घिंचने नहि घिंचाए। सभटा माँछ बेचि कए गांगो लेल लहठी-चूड़ीक संग नूआ सेहो कीनल गेल।
अगिला दिन गांगोक वर गांगोक नाम लए जाल फेंकलन्हि तँ फेर हुनकर जाल माँछसँ भरि गेलन्हि मुदा हुनकर भाइ आ बाबूक हिस्सा वैह डोका-काँकड़ु अएलन्हि। ओ लोकनि खोधिया कए एकर रहस्य बूझि गेलाह फेर ई रहस्य सौँसे मिथिलाक मलाह लोकनिक बीच पसरि गेल। गांगोदेवीक भगता एखनो मिथिलाक मलाह भैया लोकनिमे प्रचलित अछि। सभ जाल फेंकबासँ पहिने गांगोक स्मरण करैत छथि।
बड़ सख सार पाओल तुअ तीरे
मिथिलाक राजाक दरबारमे रहथि बोधि कायस्थ। राजा दरमाहा देथिन्ह ताहिसँ गुजर बसर होइत छलन्हि बोधि कायस्थक। दोसाराक प्रति हिंसा, दोसरक स्त्री वा धनक लालसा एहि सभसँ भरि जन्म दूर रहलाह बोधि कायस्थ। आजीविकासँ अतिरिक्त जे राशि भेटन्हि से दान-पुण्यमे खरचा भऽ जाइत छलन्हि। भोलाबाबाक भक्त छलाह।
जेना सभकेँ बुढ़ापा अबैत छै तहिना बोधि कायस्थक मृत्यु सेहो हुनकर निकट अएलन्हि आ ओ घर-द्वार छोड़ि गंगा-लाभ करबाक लेल घरसँ निकलि गेलाह। जखन गंगा धार अदहा कोसपर छलीह तखन परीक्षाक लेल बोधि कायस्थ गंगाकेँ सम्बोधित कए अपनाकेँ पवित्र करबाक अनुरोध कएलन्हि। गंगा माय तट तोड़ि आबि बोधि कायस्थकेँ अपनामे समाहित कएलन्हि। बोधि कायस्थकेँ सोझे स्वर्ग भेटलन्हि।
बोधि कायस्थ विद्यापतिसँ पूर्व भेल छलाह कारण ई घटना विद्यापति रचित संस्कृत ग्रंथ पुरुष-परीक्षामे वर्णित अछि। फेर विद्यापति अपन मैथिली पद बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे लिखलन्हि- आ बोधि-कायस्थ जेकाँ गंगा लाभ कएलन्हि।
छेछन
डोम जातिक लोकदेवता छेछन महराज बड्ड बलगर छलाह। मुदा हुनकर संगी साथी सभ कहलकन्हि जे जखन ओ सभ सहिदापुर गेल छलाह, बाँसक टोकरी आ पटिया सभ बेचबाक लेल, तखन ओतुक्का डोम सरदार मानिक चन्दक वीरता देखलन्हि। ओ एकटा अखराहा बनेने रहथि आ ओतए एकटा पैघ सन डंका राखल रहए। जे ओहि डंकापर छोट करैत छल ओकरा मानिकचन्दक पोसुआ सुग्गर, जकर नाम चटिया छल, तकरासँ लड़ए पड़ैत छलैक। मानिकचन्द प्रण कएने रहथि कि जे क्यो चटियासँ जीति जाएत से मानिकचन्दसँ लड़बाक योग्य होएत आ जे मानिकचन्दकेँ हराएत से मानिकचन्दक बहिन पनमासँ विवाहक अधिकारी होएत। मुदा ई मौका आइ धरि नहि आएल रहए जे क्यो चटियाकेँ हरा कए मानिकचन्दसँ लड़ि सकितए।
दिन बितैत गेल आ एक दिन अपन पाँच पसेरीक कत्ता लए छेछन महराज सहिदापुर दिश विदा भेलाह। डंकापर चोट करबासँ पहिने छेछन महराज एकटा बुढ़ीसँ आगि माँगलन्हि आ अपन चिलममे आगि आ मेदनीफूल भरि सभटा पीबि गेलाह आ झुमैत डंकापर चोट कए देलन्हि। मानिकचन्द छेछनकेँ देखलन्हि आ चटियाकेँ शोर केलन्हि। चटिया दौगि कए आएल मुदा छेछनकेँ देखि पड़ा गेल। तखन पनमा आ मानिकचन्द ओकरा ललकारा देलन्हि तँ चटिया दौगि कय छेछनपर झपटल मुदा छेछन ओकर दुनू पएर पकड़ि चीरि देलन्हि। फेर मनिकचन्द आ छेछनमे दंगल भेल आ छेछन मानिकचन्दकेँ बजारि देलन्हि। तखन खुशी-खुशी मानिकचन्द पनमाक बियाह छेछनक संग करेलन्हि।
दिन बितैत गेल आ आब छेछन दोसराक बसबिट्टीसँ बाँस काटए लगलाह। एहिना एक बेर यादवक लोकदेवता कृष्णारामक बसबिट्टीसँ ओ बहुत रास बाँस काटि लेलन्हि। कृष्णाराम अपन सुबरन हाथीपर चढ़ि अएलाह आ आमक कलममे छेछनकेँ पनमा संग सुतल देखलन्हि। सुबरन पाँच पसेरीक कत्ताकेँ सूढ़सँ उठेलक आ छेछनक गरदनिपर राखि देलक आ अपन भरिगर पएर कत्तापर राखि देलक।
गरीबन बाबा
कमला कातक उधरा गाममे तीनटा संगी रहथि। पहिने गामे-गामे अखराहा रहए, ओतए ई तीनू संगी कुश्ती लड़थि आ पहलमानी करथि। बरहम ठाकुर रहथि ब्राह्मण, घासी रहथि यादव आ गरीबन रहथि धोबि। अखराहा लग कमला माइक पीड़ी छल। एक बेर गरीबनक पएर ओहि पीड़ीमे लागि गेलन्हि, जाहिसँ कमला मैय्या तमसा गेलीह आ इन्द्रक दरबारसँ एकटा बाघिन अनलन्हि आ ओकरासँ अखराहामे गरीबनक युद्ध भेल। गरीबन मारल गेलाह। गरीबनकेँ कमला धारमे फेंकि देल गेलन्हि आ हुनकर लहाश एकटा धोबिया घाटपर कपड़ा साफ करैत एकटा धोबि लग पहुँचल। हुनका कपड़ा साफ करएमे दिक्कत भेलन्हि से ओ लहाशकेँ सहटारि कए दोसर दिस बहा देलन्हि।
एम्हर गरीबनक कनियाँ गरीबनक मुइलाक समाचार सुनि दुखित मोने आर्तनाद कए भगवानकेँ सुमिरलन्हि। आब भगवानक कृपासँ गरीबनक आत्मा एक गोटेक शरीरमे पैसि गेल आ ओ भगता खेलाए लागल। भगता कहलन्हि जे एक गोटे धोबि हुनकर अपमान केलन्हि से ओ शाप दैत छथिन्ह जे सभ धोबि मिलि हुनकर लहाशकेँ कमला धारसँ निकालि कए दाह-संस्कार करथि नहि तँ धोबि सभक भट्ठीमे कपड़ा जरि जाएत। सभ गोटे ई सुनि धारमे कूदि लहाशकेँ निकालि दाह संस्कार केलन्हि। तकर बादसँ गरीबन बाबा भट्ठीक कपड़ाक रक्षा करैत आएल छथि।
लालमैन बाबा
नौहट्टामे दू टा संगी रहथि मनसाराम आ लालमैन बाबा। दुनू गोटे चमार जातिक रहथि आ संगे-संगे महीस चराबथि। ओहि समयमे नौहट्टामे बड्ड पैघ जंगल रहए, ओतहि एक दिन लालमैनक महीसकेँ बाघिनिया घेरि लेलकन्हि। लालमैन महीसकेँ बचबएमे बाघिनसँ लड़ए तँ लगलाह मुदा स्त्रीजातिक बाघिनपर अपन सम्पूर्ण शक्तिक प्रयोग नहि केलन्हि आ मारल गेलाह। मनसारामकेँ ओ मरैत-मरैत कहलन्हि जे मुइलाक बाद हुनकर दाह संस्कार नीकसँ कएल जाइन्हि। मुदा मनसाराम गामपर ककरो ई गप नहि कहलन्हि। एहिसँ लालमैन बाबाकेँ बड्ड तामस चढ़लन्हि आ ओ मनसारामकेँ बका कऽ मारि देलन्हि। फेर सभ गोटे मिलि कए लालमैन बबाक दाह संस्कार कएलन्हि आ हुनकर भगता मानल गेल। एखनो ओ भगताक देहमे पैसि मनता पूरा करैत छथि।
गोनू झा आ दस ठोप बाबा
मिथिला राज्यमे भयंकर सुखाड़ पड़ल। राजा ढ़ोलहो पिटबा देलन्हि, जे जे क्यो एकर तोड़ बताओत ओकरा पुरस्कार भेटत।
एकटा विशालकाय बाबा दस टा ठोप कएने राजाक दरबारमे ई कहैत अएलाह जे ओ सय वर्ष हिमालयमे तपस्या कएने छथि आ यज्ञसँ वर्षा करा सकैत छथि। साँझमे हुनका स्थान आ सामग्री भेटि गेलन्हि। गोनू झा कतहु पहुनाइ करबाक लेल गेल रहथि। जखन साँझमे घुरलाह तखन कनिञाक मुँहसँ सभटा गप सुनि आश्चर्यचकित हुनका दर्शनार्थ विदा भेलाह।
एम्हर भोर भेलासँ पहिनहि सौँसे सोर भए गेल जे एकटा बीस ठोप बाबा सेहो पधारि चुकल छथि।
आब दस ठोप बाबाक भेँट हुनकासँ भेलन्हि तँ ओ कहलन्हि-
“अहाँ बीस ठोप बाबा छी तँ हम श्री श्री १०८ बीस ठोप बाबा छी। कहू अहाँ कोन विधिये वर्षा कराएब”।
“हम एकटा बाँस रखने छी जकरासँ मेघकेँ खोँचारब आ वर्षा होएत”।
“ओतेक टाक बाँस रखैत छी कतए”।
“अहाँ एहन ढोंगी साधुक मुँहमे”।
आब ओ दस ठोप बाबा शौचक बहन्ना कए विदा भेला।
“औ। अपन खराम आ कमण्डल तँ लए जाऊ”। मुदा ओ तँ भागल आ लोक सभ पछोड़ कए ओकर दाढ़ी पकड़ि घीचए चाहलक। मुदा ओ दाढ़ी छल नकली आ ताहि लेल ई नोचा गेल। आ ओ ढ़ोंगी मौका पाबि भागि गेल। तखन गोनू झा सेहो अपन मोछ दाढ़ी हटा कए अपन रूपमे आबि गेलाह। राजा हुनकर चतुरताक सम्मान कएलन्हि।
वर्णमाला शिक्षा: अंकिता
अकादारुण समय छल । अंकिता अङैठीमोड़ कएलक। ओकर पिता कहलन्हि-
“अतत्तह करए छी। जल्दीसँ झटकारि कऽ चलू।
अंकिता अकच्छ भऽ गेलि। चलैत-चलैत ओकर पएर दुखा गेलैक।
रस्तामे ओ एकटा लालछड़ी बलाकेँ देखलक।
“हमरा लालछड़ी कीनि दिअ”।
“अंकिता अकर-धकर नहि खाऊ”।
“नहि। हमरा ई चाहबे करी”।
“अहूँ अधक्की छी। एखने तँ कतेक रास चीज खएने रही”।
पिता तैयो ओकरा लालछड़ी कीनि देलन्हि।
रस्तामे अगिनवान देखि अंकिता बाजलि-
“ई आगि किएक लागल अछि”?
“बोन-झाँकुर खतम करबाक लेल”।
“अक्खज गाछ सभ तैयो नहि जरल अछि”।
प्रश्न: बचियाक नाम की छी?
उत्तर: अंकिता।
प्रश्न: समय केहन छल?
उत्तर: अकादारुण।
प्रश्न: अंकिता चलैत-चलैत.......भऽ गेल छलि।
उत्तर: अकच्छ।
प्रश्न: पिता ......खाए लेल मना केलन्हि।
उत्तर: अकर-धकर।
प्रश्न: रस्तामे बोन-झाकुँड़केँ आगिसँ जराओल जाइत रहए। ओहि आगिक लेल प्रयुक्त शब्द रहए...।
उत्तर: अगिनवान।
प्रश्न: अगिनवानमे केहन बोन-झाँकुड़ नहि जरल?
उत्तर: अक्खज।
आगाँ:-
कनी काल दुनू बाप बेटी गाछक छाहमे बैसि जाइ गेलाह। अंकिता उकड़ू भए बैसि गेलि आ उकसपाकस करए लागलि।
“अहाँकेँ उखी-बिखी किएक लागल अछि अंकिता? साँझ भऽ गेल अछि। कनेक काल आर चलब तँ घर आबि जाएत”।
तखने अकासमे अंकिता उकापतङ्ग देखलक।
“एक उखराहा चललाक बादो गामपर नहि पहुँचलहुँ”|
“चलू। चली। रस्ता धऽ कऽ चलू नहि तँ उड़कुस्सी देहमे लागि जाएत”।
“दिन रहितए तँ खेतमे ओड़हा खएतहुँ”।
“कलममे ओगरबाह सभ आबि गेल। कड़ेकमान अछि, अपन-अपन मचानपर”।
“इजोरियामे देखू। दिनमे बरखा भेल रहए से लोक सभ खेतमे कदबा केने अछि”।
“कमरसारि आबि गेल आ अपन सभक घर सेहो”।
टिप्पणी: पहिल भागमे अ उत्तरबला प्रश्न पूछल गेल छल। एहि भाग लेल “ओ” आ “क” वर्णसँ शुरू होअएबला उत्तर सभक लेल प्रश्न बनाऊ।
एहिना कचटतप वर्णमालासँ शुरु होअएबला शब्द बहुल खिस्सा बनाऊ आ बच्चाकेँ सुनाऊ आ फेर ओकरासँ प्रश्न पूछू। खिस्सा कताक बेर बच्चाकेँ सुनाओल जाए, से बच्चाक क्षमता आ कथामे प्रयुक्त शब्दावलीक संख्याक हिसाबसँ निर्धारित करू।
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