बाल गजल-१०
काँचे खटहा सरही पड़ में मारय मूस हबक्का यौ
लड्डूओ नञि खा हेतय ओकरा दांत कोंतेतै पक्का यौ
राति दिवालिक दीप जड़ेबै खेबै हम बताशा लड्डू
हुक्कालोली गेनी भंजबय फोड़बय खूब फटक्का यौ
चिप्स-चरौरी चूड़ा भूजल लागत करू तइयो खेबै
बीछ-बीछ मिरचाय दीयउ भूजा हमरो दू फक्का यौ
बारी में जा कोना चलेबै अप्पन छोटकी कठही गाड़ी
माटिक नमहर ढेपा तर फँसतै गाड़ी के चक्का यौ
पन्नी ताकू गेन बनाकऽ अंगनें में किरकेट खेलेबै
गेंद दियौ गुड़कौवा हमरा हमहूँ मारब छक्का यौ
बंटी सँ नञि मीत लगेबै सी नम्मर के छै बदमाश
अपने मारि बझाबै सभ सँ हमरा कहै उचक्का यौ
इस्कुल के बस्ता में राखल मुरही नै मसुवाई कहीं
"नवल" हाट के बाट तकै छै कचरी आनब कक्का यौ
***आखर-२०
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि :२७.०७.२०१२)
काँचे खटहा सरही पड़ में मारय मूस हबक्का यौ
लड्डूओ नञि खा हेतय ओकरा दांत कोंतेतै पक्का यौ
राति दिवालिक दीप जड़ेबै खेबै हम बताशा लड्डू
हुक्कालोली गेनी भंजबय फोड़बय खूब फटक्का यौ
चिप्स-चरौरी चूड़ा भूजल लागत करू तइयो खेबै
बीछ-बीछ मिरचाय दीयउ भूजा हमरो दू फक्का यौ
बारी में जा कोना चलेबै अप्पन छोटकी कठही गाड़ी
माटिक नमहर ढेपा तर फँसतै गाड़ी के चक्का यौ
पन्नी ताकू गेन बनाकऽ अंगनें में किरकेट खेलेबै
गेंद दियौ गुड़कौवा हमरा हमहूँ मारब छक्का यौ
बंटी सँ नञि मीत लगेबै सी नम्मर के छै बदमाश
अपने मारि बझाबै सभ सँ हमरा कहै उचक्का यौ
इस्कुल के बस्ता में राखल मुरही नै मसुवाई कहीं
"नवल" हाट के बाट तकै छै कचरी आनब कक्का यौ
***आखर-२०
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि :२७.०७.२०१२)
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