Wednesday, August 8, 2012

बाल गजल

बाल गजल-५
कीन दे कचरी-झिल्ली-बऽरी लवणचूस आ कुट-कुट माँ
लोढि बाधसँ धान जे अनलौं भूजि दे मुरही भुट-भुट माँ
धान अगोअं के जे उसरगल तकर कीन दे फीता-बाला
काकी जे देलखिन्ह बाला से हाथमें होई छ छुट-छुट माँ
ललका फीता गूहल जुट्टी तेल सँ माथा गमकै गम-गम
थकरै केश जहन ककबा लऽ ढील केऽ मारै पुट - पुट माँ
देखि भूख सँ लोहछल नेन्ना दुःख-सुख सभटा लोप भेलै
भंसा घर में घाम सँ भीजल काज करै सभ चुट-चुट माँ
होय कहाँ अनका देखबैलै "नवल" इ मायक माया-तृष्णा
भेड़ निन्न तइयो कहि खिस्से दूध पियाबय घुट-घुट माँ
***आखर-२२
(सरल वार्णिक बहर)©पंकज चौधरी (नवलश्री)(तिथि-२४.०६.२०१२)

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