Wednesday, August 8, 2012

बाल गजल


बाल गजल-४

मोन पड़ल ई कियै अनेरे बात पुरनगर बचपन के
आंखि नोरेलै मोन जड़ेलक याद रमनगर बचपन के

बचपन दाबल - गाड़ल - बिसरल यौवन के मादकता में
खोलि रहल छी खाली मोटरी बैसल असगर बचपन के

बाबुक-कनहा मायक-कोरा अनुपम झूला सन घुआ-मुआँ
ता-ता-ता थैया आर ठेहुनिया खेल छमसगर बचपन के

ठकि-फुसला क कते खुयेलइन्ह दूध-भात आ गूड़क पूआ
चंदा-मामा सन मौसी-बिलाय नेह हिलसगर बचपन के

बस फूईसक खेती द्वेषक दोषी "नवल" जुआनी निर्संतोषी
धाह जुआनिक जड़ा गेलै ओ गाछ झमटगर बचपन के

***आखर-२३
(सरल वार्णिक बहर)©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
१७.०६.२०१२)



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