बाल गजल-१
निश्छल-निर्मल कोमल बचपन
धिया-पुता केर अलगहिं जीवन
चलैत रहछि सभके अंतर्मन
भावक अजबहिं कूटन - पीसन
छै देह लेढायल मोन ई कंचन
कमल-फूल सन लागै अनमन
क्षण ठिठियै क्षण कानै अनढन
चट सलाह आ झट द अनबन
बस टांट सोहारी बसिया तीमन
उठि भोरहरबा सभ सँ नीमन
इस्कूल सँ बचबा लेल धरछन
नीक लगई छई मरुआ मीरन
कितकित पाड़ल सगरो आँगन
चईत-कबड्डी मुँह में सदिखन
हो मेघ-सुरुज या चान-तरेगन
जहि पर हाथ धेलक से अप्पन
"नवल"कथी फुरि जेतय कक्खन
बाल-मनक नै किछु परिसीमन
***आखर-१३
(सरल वर्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
निश्छल-निर्मल कोमल बचपन
धिया-पुता केर अलगहिं जीवन
चलैत रहछि सभके अंतर्मन
भावक अजबहिं कूटन - पीसन
छै देह लेढायल मोन ई कंचन
कमल-फूल सन लागै अनमन
क्षण ठिठियै क्षण कानै अनढन
चट सलाह आ झट द अनबन
बस टांट सोहारी बसिया तीमन
उठि भोरहरबा सभ सँ नीमन
इस्कूल सँ बचबा लेल धरछन
नीक लगई छई मरुआ मीरन
कितकित पाड़ल सगरो आँगन
चईत-कबड्डी मुँह में सदिखन
हो मेघ-सुरुज या चान-तरेगन
जहि पर हाथ धेलक से अप्पन
"नवल"कथी फुरि जेतय कक्खन
बाल-मनक नै किछु परिसीमन
***आखर-१३
(सरल वर्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
०४.०४.२०१२)
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