Tuesday, July 31, 2012

बाल गजल

बाल गजल
जए दे हमरो िददी केर सासुर गै माँ
हमहु खेबै माँछ भात आ काकुर गै माँ

ओझा भए के संग खेलेबै हम कबड्डी
बहिनक संग पकड़बै दादुर गै माँ

दी देलकै चुप्पे िचट्ठी देबै जा ओझा  क
भेन्ट करै ल दिदी  भेल छै आतुर गै माँ

बहला फुसला मना ओझा  के ल आनब
ध िघसीया क आनब नै त पाखुर गै माँ

जुनि खिसियो माँ हमहूँ बड़का भेलौं
मुँह फुला बैसै नै हो पित्ते माहुर गै माँ
आखर~१५
रुबी झा

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