बाल गजल
जए दे हमरो िददी केर सासुर गै माँ
हमहु खेबै माँछ भात आ काकुर गै माँ
ओझा भए के संग खेलेबै हम कबड्डी
बहिनक संग पकड़बै दादुर गै माँ
दी देलकै चुप्पे िचट्ठी देबै जा ओझा क
भेन्ट करै ल दिदी भेल छै आतुर गै माँ
बहला फुसला मना ओझा के ल आनब
ध िघसीया क आनब नै त पाखुर गै माँ
जुनि खिसियो माँ हमहूँ बड़का भेलौं
मुँह फुला बैसै नै हो पित्ते माहुर गै माँ
आखर~१५
रुबी झा
जए दे हमरो िददी केर सासुर गै माँ
हमहु खेबै माँछ भात आ काकुर गै माँ
ओझा भए के संग खेलेबै हम कबड्डी
बहिनक संग पकड़बै दादुर गै माँ
दी देलकै चुप्पे िचट्ठी देबै जा ओझा क
भेन्ट करै ल दिदी भेल छै आतुर गै माँ
बहला फुसला मना ओझा के ल आनब
ध िघसीया क आनब नै त पाखुर गै माँ
जुनि खिसियो माँ हमहूँ बड़का भेलौं
मुँह फुला बैसै नै हो पित्ते माहुर गै माँ
आखर~१५
रुबी झा
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