बाल गजल
निन्न सँ मातल अछि बौआ आबि क सूताऊ यै
कतय गेलि बौआ मए ओछैन त ओछाऊ यै
खेलके नै ओ दिने सँ केहेन कठोर माई छी
भेल नै भानष त चूरे ढूध नेना बुझाऊ यै
खन बाबा खन हमरा कोरा झुकि खसय छै
अहाँ झट सँ जा किछ त बौआ क खुआऊ यै
कते महग गए किनलौं दुलरा पोता लेल
नेना काया में दूध बुन्न नै झट सँ पिआऊ यै
आबू यौ बौआ हमही दै छी अहाँ क दूध पिआ
कनि ''रूबी''आबि नेना क लोडियो त सुनाऊ यै
आखर -१७
रूबी झा
निन्न सँ मातल अछि बौआ आबि क सूताऊ यै
कतय गेलि बौआ मए ओछैन त ओछाऊ यै
खेलके नै ओ दिने सँ केहेन कठोर माई छी
भेल नै भानष त चूरे ढूध नेना बुझाऊ यै
खन बाबा खन हमरा कोरा झुकि खसय छै
अहाँ झट सँ जा किछ त बौआ क खुआऊ यै
कते महग गए किनलौं दुलरा पोता लेल
नेना काया में दूध बुन्न नै झट सँ पिआऊ यै
आबू यौ बौआ हमही दै छी अहाँ क दूध पिआ
कनि ''रूबी''आबि नेना क लोडियो त सुनाऊ यै
आखर -१७
रूबी झा
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